हिंदुओं को आठ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

दिल्ली भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.

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(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में दिल्ली भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने आठ राज्यों में हिंदुओं की जनसंख्या में गिरावट दिखाते हुए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की है. आठ राज्यों में 5 उत्तर पूर्वी राज्य मिज़ोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल हैं, बाक़ी तीन राज्य पंजाब, जम्मू कश्मीर और लक्षद्वीप हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ अश्विनी कुमार उपाध्याय ने साल 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में आठ राज्यों में हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग की है जहां हिंदू समुदाय की जनसंख्या में गिरावट आई है.

2011 की जनगणना के मुताबिक हिंदू समुदाय आठ राज्यों में अल्पसंख्यक हैं. याचिका में दिए गए नामों में लक्षद्वीप (2.5%), मिजोरम (2.75%), नगालैंड (8.75%), मेघालय (11.53%), जम्मू और कश्मीर (28.44%) , अरुणाचल प्रदेश (2 9%), मणिपुर (31.39%) समेत पंजाब (38.40%) शमिल हैं.

अश्विनी कहते हैं कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू समुदाय को उनके अधिकारों से अवैध और मनमाने तरीक़े से वंचित रखा जा रहा है क्योंकि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारों ने हिंदुओं को अल्पसंख्यक कानूनों के राष्ट्रीय आयोग की धारा 2 (सी) के तहत अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया है.

उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जो कि अनुच्छेद 25 से 30 के तहत क़ानून उन्हें देता है.