2018 में दुबई से प्रत्यर्पित करके भारत लाए गए अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स तब से जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए सवाल किया कि आरोपी को कब तक उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित रखा जा सकता है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स के विदेशी नागरिक होने के कारण उसे कितने समय तक हिरासत में रखा जा सकता है और क्या उसका भारतीय न होना उसे स्वतंत्रता से ‘पूरी तरह वंचित करने’ को सही ठहराता है.
जेम्स ब्रिटेन के नागरिक हैं और उन्हें 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था.
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि आमतौर पर, यदि आरोपी भारतीय नागरिक होता, तो अदालत उसे जमानत देने के लिए तैयार होती, खासकर अगर उसने उन अपराधों के लिए हिरासत में चार साल से अधिक समय बिताया होता जिनमें अधिकतम सजा पांच साल है.
पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू से कहा, ‘केवल इसलिए कि वह एक विदेशी नागरिक है और उसे प्रत्यर्पण के जरिये भारत लाया गया है, हम उसे कितने समय तक रख सकते हैं? क्या यह उसे स्वतंत्रता से पूरी तरह वंचित करने को न्यायोचित ठहरा सकता है? अगर वह भारतीय नागरिक होता तो अदालत उसे जमानत देने को तैयार हो चुकी होती.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह देखते हुए कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में 250 से अधिक गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है, सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि 4 दिसंबर, 2018 को गिरफ्तार किए गए और दुबई से प्रत्यर्पित बिचौलिए क्रिश्चियन जेम्स मिशेल को कब तक उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित रखा जा सकता है.
सीजेआई चंद्रचूड़ पूछा कि क्या यह पर्याप्त होगा कि अदालत उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कुछ शर्तें लगाए. मिशेल के वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने पहले ही उन अपराधों के लिए उन्हें मिलने वाली लगभग अधिकतम पांच साल की सजा काट ली है, जिनमें उन्हें आरोपी बनाया गया है. इसलिए यह मामला सीआरपीसी की धारा 436 के तहत आता है.
सीआरपीसी की धारा 436 कहती है कि एक विचाराधीन कैदी अगर उसके अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के आधे समय तक जेल में रहा हो, तो उसे अदालत द्वारा रिहा किया जाएगा.
मिशेल के वकील ने उनके हवाले से कहा, ‘एफआईआर फरवरी 2013 में दर्ज की गई थी. घटना 2004 और 2008 की है. मुझे गिरफ्तार करके 4 दिसंबर 2018 को भारत लाया गया था. आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, लेकिन 1,280 से अधिक दस्तावेजों की जांच की जानी है.’
उन्होंने कहा, ‘ट्रायल के अगले कुछ वर्षों में आगे बढ़ने की संभावना नहीं है. जांच 9 वर्षों से अधिक समय से चल रही है.’
एएसजी राजू ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 467, जिसके तहत आरोपी पर आरोप लगाया गया है, एक जुड़ा हुआ अपराध है और यह आरोपपत्र में है जो अब मुकदमे का विषय है.
राजू ने कहा कि हालांकि प्रत्यर्पण अधिनियम 1962 की धारा 21 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो आत्मसमर्पण करता है या किसी अन्य देश से वापस लौटता है, उसके ऊपर भारत में केवल उसी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाएगा जिसके लिए उसका प्रत्यर्पण हुआ है, इसके अलावा किसी और अपराध में मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. लेकिन, इसे भारत-यूएई प्रत्यर्पण संधि के साथ पढ़ा जाना चाहिए जो कहती है कि ऐसे व्यक्ति पर ‘जुड़े हुए अपराध’ के लिए भी मुकदमा चलाया जा सकता है.
पीठ ने कहा कि क़ानून कहता है कि उन पर केवल उन अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है जिनके लिए उन्होंने आत्मसमर्पण किया था, या प्रत्यर्पित किया गया था, और क़ानून द्वारा लगाई गई सीमा को एक संधि द्वारा हटाया नहीं जा सकता है.
पीठ ने कहा कि अदालत के लिए जो चिंता की बात है वह मुकदमे की जटिलता है क्योंकि मामले में 250 से अधिक गवाह हैं और सह-आरोपी सरकारी अधिकारियों को अभियोजन की मंजूरी के अभाव में जमानत दे दी गई है.
शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर को कहा था कि वह अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में जेम्स की जमानत याचिकाओं पर छह दिसंबर को सुनवाई करेगी जिसमें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं.
इससे पहले मई में शीर्ष अदालत ने जेम्स द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा था. 3,600 करोड़ रुपये का कथित घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से संबंधित है.
मामले में अगली सुनवाई जनवरी 2023 में होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)