साल 2002 के गुजरात दंगों के केंद्र में रही गोधरा सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक सीके राउलजी ने 35,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की है. राउलजी वहीं भाजपा नेता हैं, जो बिलक़ीस बानो के बलात्कारियों को रिहा करने के फैसले में शामिल थे और उन्हें ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
नई दिल्ली: गुजरात में लगातार सातवीं बार सत्ता में आने की प्रबल संभावनाओं के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इतिहास रचने जा रही है.
साल 2002 के दंगों के केंद्र में रही गोधरा की बात करें तो इस सीट पर भाजपा ने निवर्तमान विधायक चंद्रसिंह राउलजी या सीके राउलजी को दोबारा अपना उम्मीदवार बनाया था. राउलजी वहीं भाजपा नेता हैं, जिन्होंने भाजपा नेता बिलकीस बानो के बलात्कारियों को रिहा करने के फैसले में शामिल थे और उन्हें ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
इस सीट से राउलजी अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी रश्मिताबेन चौहान से का हरा दिया है. सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील गोधरा सीट पर राउलजी ने 35,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार,राउजी को अब तक 96,223 मत मिले हैं, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रश्मिताबेन चौहान को 61,025 मत से संतोष करना पड़ा. इस सीट पर आम आदमी पार्टी के राजेशभाई पटेल को 11,827 वोट, जबकि एआईएमआईएम के हसन कछबा को 9,508 वोट मिले.
गोधरा, जहां सांप्रदायिक दरारें अभी भी बनी हुई हैं और जहां बड़े पैमाने पर धार्मिक आधार पर मतदान होता है, में लगभग 2,79,000 मतदाता हैं. इनमें से 72,000 मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं.
मालूम हो कि पिछले गुजरात चुनाव के पहले अगस्त 2017 में राउजी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. 2007 और 2016 तक वह कांग्रेस विधायक के रूप में गोधरा का प्रतिनिधित्व करते रहे. 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया जरूर था, लेकिन बमुश्किल 258 मतों के अंतर से.
मालूम हो कि गोधरा से भाजपा निवर्तमान विधायक सीके राउलजी गुजरात सरकार की उस समिति के उन चार सदस्यों में से एक थे, जिसने बिलकीस बानो के साथ बलात्कार और उनकी तीन साल की बेटी सहित परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों को रिहा करने का फैसला किया था.
इतना ही नहीं राउलजी ने बेहद विवादास्पद टिप्पणी के साथ इस फैसले का बचाव भी किया था.
एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि 2002 के गुजरात दंगों के इस मामले के दोषियों में शामिल कुछ लोग ‘ब्राह्मण’ हैं, जिनके अच्छे ‘संस्कार’ हैं और यह संभव है कि उन्हें फंसाया गया हो.
उन्होंने यह भी कहा था कि हो सकता है कि वे बेगुनाह हों, क्योंकि सांप्रदायिक स्थिति में एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के निर्दोष लोगों को फंसाने की कोशिश भी की जाती है. उन्होंने कहा था कि जेल में दोषियों का आचरण अच्छा था.
मालूम हो कि बीते 15 अगस्त को अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा माफी दिए जाने के बाद बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था.
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया था.
इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.
इस निर्णय से बेहद निराश बिलकीस ने भी इसके बाद अपनी वकील के जरिये जारी एक बयान में गुजरात सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील की थी.