गुजरात चुनाव: कांग्रेस के जिग्नेश मेवाणी ने वडगाम सीट पर दोबारा जीत हासिल की

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने निर्दलीय विधायक के रूप में वडगाम सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने इस सीट से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं कर उन्हें अपना समर्थन दिया था. 

जिग्नेश मेवाणी. (फोटो साभार: फेसबुक)

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने निर्दलीय विधायक के रूप में वडगाम सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने इस सीट से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं कर उन्हें अपना समर्थन दिया था.

जिग्नेश मेवाणी. (फोटो साभार: फेसबुक)

वडगाम: गुजरात के सबसे प्रमुख दलित चेहरों में से एक प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी ने अपनी वडगाम सीट फिर से जीत ली है. हालांकि उनकी पार्टी ने राज्य में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है.

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस सीट पर मेवाणी को 93,848 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के मणिभाई वाघेला को 89,052 मत हासिल हुए हैं.

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मेवाणी ने निर्दलीय विधायक के रूप में वडगाम सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने इस सीट से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं कर उन्हें अपना समर्थन दिया था.

41 वर्षीय मेवाणी राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक हैं, जो दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाला एक मंच है.

वहीं इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार मणिभाई वाघेला पहले कांग्रेस में ही थे और 2017 में टिकट नहीं मिलने के बाद वह भाजपा में चले गए थे. बाघेला 2012 से 2017 तक वडगाम के विधायक थे.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वडगाम अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट है, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. करीब 90,000 मुस्लिम मतदाता वडगाम के 2.94 लाख मतदाताओं का एक तिहाई हैं. लगभग 44,000 दलित मतदाता और 15,000 राजपूत हैं, बाकी ज्यादातर ओबीसी हैं.

हालांकि इस साल के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा ने 182 सीटों में से 150 से अधिक सीटें हासिल कर ली हैं, जो पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि राज्य के लिए भी एक रिकॉर्ड है. भाजपा ने 1985 में बनाए गए उस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया, जब कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थी.

भाजपा ने गुजरात में लगातार सातवीं बार जीत हासिल की है, जो कि एक और रिकॉर्ड है. यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निभाई गई केंद्रीय भूमिका के कारण है, जिन्होंने अपने गृह राज्य गुजरात में 30 से अधिक रैलियां की थीं.