रामपुर उपचुनाव: सपा के गढ़ में सेंध, पहली बार विधानसभा सीट जीती भाजपा

आज़ादी के बाद से पहली बार भाजपा ने रामपुर विधानसभा सीट जीती है. आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दर्ज करवाने वाले भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम राजा को 30 हज़ार से अधिक मतों से हराया है. इससे पहले सपा ने उपचुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए फिर से मतदान कराने की मांग की थी.

एक चुनावी जनसभा में योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा के आकाश सक्सेना. (फोटो साभार: फेसबुक/@AkashsaxenaBJPrampur)

आज़ादी के बाद से पहली बार भाजपा ने रामपुर विधानसभा सीट जीती है. आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दर्ज करवाने वाले भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम राजा को 30 हज़ार से अधिक मतों से हराया है. इससे पहले सपा ने उपचुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए फिर से मतदान कराने की मांग की थी.

एक चुनावी जनसभा में योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा के आकाश सक्सेना. (फोटो साभार: फेसबुक/@AkashsaxenaBJPrampur)

रामपुर/नई दिल्ली: रामपुर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के आसिम राजा को हराया. भाजपा को इस सीट पर पहली बार जीत मिली है.

जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, सक्सेना ने राजा को 34,136 मतों से हराया. सक्सेना को 81,432 मत मिले जबकि राजा को 47,296 वोट हासिल हुए.

भाजपा आजादी के बाद पहली बार रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीती है. इससे पहले करीब 40 साल से यहां सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ही विधायक रहे. उनसे पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व रहा था.

2002 के बाद यह पहला मौका है जब इस सीट पर आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं है.

सक्सेना ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि रामपुर की जनता को रोजगार और बेहतर भविष्य चाहिए और इसी को ध्यान में रखते हुए उसने उपचुनाव में मतदान किया है.

दूसरी, ओर सपा उम्मीदवार आसिम राजा ने परिणामों पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि मतगणना के 19वें चक्र तक वह करीब सात हजार मतों से आगे थे, लेकिन अचानक 21वें चक्र में आकाश सक्सेना को 12 हजार मतों से आगे कर दिया गया.

पुलिस प्रशासन पर उपचुनाव में सपा के मतदाताओं पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हुए राजा ने कहा, ‘मेरी हार यहां के पुलिस प्रशासन को मुबारक हो.’

उल्लेखनीय है कि आजम खान करीब 45 साल बाद रामपुर के किसी चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े नहीं थे, लेकिन यह चुनाव भाजपा बनाम आजम खान के तौर पर ही लड़ा गया.

गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा सीट आजम खान को 2019 में नफरत भरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई थी.

मालूम हो कि उपचुनाव के प्रचार के दौरान ही आज़म खान के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए थे.

रामपुर में यह हार आजम खान के लिए यह लगातार दूसरा झटका है. इससे पहले इसी साल जून में हुए रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने सपा उम्मीदवार आसिम राजा को करीब 46 हजार मतों से हराया था.

हालांकि, उस वक्त भी रामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से सपा को ही करीब साढ़े सात हजार मतों से बढ़त मिली थी. ऐसे में माना जा रहा था कि रामपुर विधानसभा का उपचुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं होगा.

सपा ने लगाए थे मतदान में धांधली के आरोप

ज्ञात हो कि बुधवार को सपा ने उपचुनाव में पुलिस तथा प्रशासन पर धांधली और सपा समर्थक मतदाताओं को वोट डालने से जबरन रोकने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें उसने रामपुर विधानसभा उपचुनाव को निरस्त कर फिर से मतदान कराने की मांग की थी.

इस सीट पर उपचुनाव के तहत सोमवार को 33.94% मतदान हुआ था. इस दौरान आजम खान केपरिजनों ने भी पुलिस पर मुस्लिम मतदाताओं को घर से नहीं निकलने देने और वोट डालने जा रहे लोगों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया था.

समाजवादी पार्टी द्वारा लखनऊ में बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार को लिखे पत्र में कहा था कि रामपुर विधानसभा उपचुनाव में हुए मतदान में शासन द्वारा बड़े पैमाने पर धांधली कराई गई है, लोगों को वोट डालने से रोका गया है और पुलिस की बर्बरता से कई लोग घायल हुए.

उन्होंने पुलिस की कथित बर्बरता के फोटो भी प्रमाण स्वरूप संलग्न किए थे. रामगोपाल ने कहा था कि रामपुर में इस बार मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में काफी कम रहा है इसलिए वहां पुनःमतदान कराया जाना चाहिए.

इससे पहले विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर हुए एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरकार ने सोमवार को हुए रामपुर विधानसभा उपचुनाव में अन्याय की पराकाष्ठा कर दी और जिस तरह पुलिस की मदद से एक खास धर्म और वर्ग के मतदाताओं को वोट देने से रोका गया वह लोकतंत्र की हत्या के समान है.

उन्होंने कहा, ‘हम चुनाव आयोग सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं से अपील करते हैं कि वे रामपुर उपचुनाव के दौरान हुई ज्यादती का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराएं क्योंकि अब यह मामला किसी व्यक्ति का नहीं है बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का है.’

पांडे ने इस दौरान रामपुर में पुलिस की कथित ज्यादतियों के पीड़ित लोगों के वीडियो भी दिखाए थे.

उन्होंने रामपुर विधानसभा क्षेत्र के खेत कलंदर खान, हाजी नगर, हामिद इंटर कॉलेज और अलीनगर बूथों पर पड़े मतों का आंकड़ा पेश करते हुए कहा था कि प्रशासन द्वारा मतदाताओं को ‘रोके जाने’ के कारण इन बूथों पर मात्र नौ से 10 प्रतिशत ही वोट पड़े, जबकि पिछले लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो रामपुर विधानसभा क्षेत्र में इससे पहले मत प्रतिशत कभी 58 फीसदी से कम नहीं रहा.

कौन हैं आकाश सक्सेना

आकाश सक्सेना रामपुर जिले की स्वार सीट से पूर्व विधायक और प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं.

शिव बहादुर सक्सेना साल 2017 के चुनाव में रामपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से आजम के खिलाफ उतरे थे, लेकिन हार गए थे. इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में आकाश सक्सेना को भाजपा का टिकट मिला था लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा.

ज्ञात हो कि चुनावी लड़ाई से पहले आकाश ने आज़म खान और उनके परिवार के खिलाफ कानूनी लड़ाई छेड़ी हुई थी.

जिस मामले को लेकर आजम खान की सदस्यता रद्द हुई थी, वह आकाश ने ही दर्ज करवाया था. इससे पहले आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम के जाली बर्थ सर्टिफिकेट केस में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कराने के मामले में भी आकाश की बड़ी भूमिका थी. इस सिलसिले में आजम के परिजनों को भी जेल जाना पड़ा था.

ख़बरों के मुताबिक, वे आज़म खान के खिलाफ दर्ज चालीस से अधिक मामलों में सीधे पक्षकार हैं.

गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आजम खान के खिलाफ चोरी से लेकर भ्रष्टाचार तक के 87  मामले दर्ज किए गए.

जमीन कब्जाने से संबंधित मामले में वे करीब दो सालों तक जेल में रहे थे. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत मिलने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया था.

क्या रहा है सीट का इतिहास

रामपुर सदर विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास को देखें तो इससे पहले कभी यहां भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीता था. इस सीट पर पिछले करीब 40 साल से आजम खान ही विधायक रहे. उससे पहले यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा.

रामपुर सदर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत इस मायने में भी अहम है कि यहां वर्ष 1980 से ही आजम खान का कब्जा रहा. वह वर्ष 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर पहली बार रामपुर सदर से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी के विधायक चुने गए.

हालांकि, वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अफरोज अली खान से पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में आजम खान ने फिर रामपुर सदर सीट पर कब्जा कर लिया था.

उसके बाद वर्ष 2007, 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आजम खान ही विधायक रहे.

वर्ष 2019 में रामपुर लोकसभा चुनाव जीतने पर उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद अक्टूबर 2019 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी तजीन फातिमा सपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचीं थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)