दुनिया के सबसे बड़े वीपीएन सेवा प्रदाताओं में से एक नॉर्डवीपीएन द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोगों का डेटा चोरी करके बेच दिया गया है. चुराए गए डेटा में यूज़र के लॉगिन, कुकीज़, डिजिटल फिंगरप्रिंट, स्क्रीनशॉट और अन्य जानकारियां शामिल हैं.
बेंगलुरु: दुनिया के सबसे बड़े वीपीएन सेवा प्रदाताओं में से एक नॉर्डवीपीएन के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोगों का डेटा चोरी करके बॉट बाजार में बेच दिया गया है. इनमें 6 लाख भारतीयों का भी डेटा शामिल है, जो इसे सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बनाता है.
बॉट बाजार एक ऑनलाइन मार्केट होता है, जहां हैकर्स चोरी किए गए डेटा को बेचते हैं.
एक वीपीएन सेवा एक मोबाइल ऐप या अन्य सॉफ्टवेयर है, जो आपके डिवाइस और इंटरनेट के बीच कनेक्शन को एन्क्रिप्ट करता है. यह आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता को यह देखने से रोकता है कि आप कौन से ऐप या वेबसाइट का उपयोग कर रहे हैं. साथ ही यह उन अधिकांश वेबसाइट्स और ऐप्स को यह देखने से भी रोकता है कि आप किस भौगोलिक स्थान से ऑनलाइन जुड़ रहे हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, लिथुआनिया के नॉर्ड सिक्योरिटी के नॉर्डवीपीएन द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि चुराए गए डेटा में यूजर्स के लॉगिन, कुकीज़, डिजिटल फिंगरप्रिंट, स्क्रीनशॉट और अन्य जानकारियां शामिल हैं. एक व्यक्ति की डिजिटल पहचान की औसत कीमत प्रति व्यक्ति 490 भारतीय रुपये आंकी गई है.
नॉर्डवीपीएन ने पिछले चार वर्षों के डेटा को खंगाला है, जब से 2018 में बॉट बाजार की शुरुआत हुई थी.
भारत पिछले कुछ समय से साइबर सुरक्षा चिंताओं से जूझ रहा है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि पिछले महीने 23 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) – एक संघीय सरकारी अस्पताल जहां मंत्रियों, राजनेताओं और आम जनता का इलाज होता है – के कई सर्वरों पर हमला हुआ था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एम्स पर रैनसमवेयर हमले के एक हफ्ते बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को 30 नवंबर को 24 घंटे के भीतर हैकिंग के लगभग 6,000 प्रयासों का सामना करना पड़ा.
भारतीय साइबर सुरक्षा नियम इस साल की शुरुआत में ही कड़े हुए हैं, जिनके तहत भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) के साथ तकनीकी कंपनियों को ऐसी घटनाओं को नोटिस करने के छह घंटे के भीतर डेटा उल्लंघन की रिपोर्ट करने और छह महीने के लिए आईटी व संचार लॉग बनाए रखने की आवश्यकता होती है.
नॉर्डवीपीएन के अध्ययन ने तीन प्रमुख बॉट बाजारों- उत्पत्ति बाजार, रूसी बाजार और 2ईजी- ध्यान केंद्रित किया और गूगल, माइक्रोसॉफ्ट व फेसबुक एकाउंट्स से चोरी की गईं लॉगिंस जानकारी पाई.
नॉर्डवीपीएन के मुख्य तकनीकी अधिकारी मारिजस ब्राइडिस ने कहा, ‘बॉट मार्केट्स को अन्य डार्क वेब मार्केट्स से जो अलग बनाता है, वह यह है कि वे एक ही स्थान में एक व्यक्ति के बारे में बड़ी मात्रा में डेटा प्राप्त करने में सक्षम होते हैं.’
उन्होंने बताया, ‘और बॉट बेचे जाने के बाद, वे खरीददार को गारंटी देते हैं कि पीड़ित की जानकारी तब तक अपडेट की जाएगी, जब तक कि उनका डिवाइस बॉट से संक्रमित है.’
नॉर्डवीपीएन के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 667 मिलियन कुकीज, 81000 डिजिटल फिंगरप्रिंट, 5,38,000 ऑटो-फिल फॉर्म, कई डिवाइस स्क्रीनशॉट और वेबकैम स्नैप पाए.
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