स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संचालित अस्पतालों में रिक्त पदों को लेकर संसदीय समिति ने चिंता जताई

समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित एम्स को रिक्त पदों को भरने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाने के बावजूद ग्रुप-ए के कुल 404 मेडिकल पद ख़ाली हैं. इसी तरह ग्रुप-बी के 26.82 फीसदी और ग्रुप-सी के 20.73 फीसदी पद भी भरे नहीं गए हैं.

एम्स दिल्ली. (फोटो: पीटीआई)

समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित एम्स को रिक्त पदों को भरने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाने के बावजूद ग्रुप-ए के कुल 404 मेडिकल पद ख़ाली हैं. इसी तरह ग्रुप-बी के 26.82 फीसदी और ग्रुप-सी के 20.73 फीसदी पद भी भरे नहीं गए हैं.

एम्स दिल्ली. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत विभिन्न अस्पतालों में रिक्तियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसका असर प्रशासनिक दक्षता और अस्पतालों के कामकाज पर पड़ता होगा.

संबंधित कैडर नियंत्रक प्राधिकरणों – कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय – के साथ रिक्त पदों को भरने का मामला उठाना मंत्रालय का दायित्व है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, स्वास्थ्य पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार (8 दिसंबर) को राज्यसभा में पेश की गई अपनी 140वीं रिपोर्ट में कहा कि मंत्रालय को ऐसी रिक्तियों को भरने के लिए उन कैडर नियंत्रक प्राधिकरणों की प्रतिक्रिया के बारे में समिति को सूचना देनी चाहिए.

समिति ने कहा कि मंत्रालय द्वारा एम्स, नई दिल्ली को रिक्त पदों को भरने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाने के बावजूद ग्रुप-ए के कुल 404 मेडिकल पद खाली हैं.

इसी तरह, ग्रुप-बी के 26.82 फीसदी और ग्रुप-सी के 20.73 फीसदी पद भी संस्थान में खाली हैं, जिसका स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के वितरण पर असर पड़ता होगा.

समिति ने एम्स प्रबंधन और मंत्रालय से बिना कोई देरी किए खाली पदों को भरने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है.

समिति ने सिफारिश की कि मंत्रालय को एम्स, नई दिल्ली के मास्टर प्लान को हरी झंडी देनी चाहिए, ताकि संस्थान को मार्च 2024 तक विश्वस्तरीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का लक्ष्य बिना असफलता के हासिल किया जा सके.

समिति ने कहा कि देश भर के विभिन्न एम्स में रिक्तियां चिंता का विषय हैं.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भले ही भर्ती प्रक्रिया की योजना संस्थानों के संबंधित प्रबंधन द्वारा बनाई गई हो, लेकिन मंत्रालय भर्ती प्रक्रिया की प्रगति की निगरानी करने से अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है.

समिति ने मंत्रालय की इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि संस्थान में उसी सीमा तक पद भरे जा सकते हैं, जितने लोग पहले से सेवा में कार्यरत हैं.

समिति ने कहा, ‘बल्कि इसका उल्टा कहा जाना सही है- विभिन्न एम्स में कई विभाग फैकल्टी या नॉन-फैकल्टी कर्मचारियों के पद रिक्त होने के चलते निष्क्रिय पड़े रहते हैं.’

समिति ने मंत्रालय से न केवल गारंटीकृत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा, बल्कि विभिन्न रोगों के जीव विज्ञान को समझने के लिए शिक्षा प्रदान करने और अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा कार्य बल सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

समिति ने यह भी बताया कि मंत्रालय ने अपनी एक्शन टेकेन रिपोर्ट में अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और आरएमएल अस्पताल में कुल 4,126 स्वीकृत पदों में से 283 रिक्त पदों को भरने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सूचित नहीं किया है और 1 फरवरी 2022 तक रिक्त पुराने पदों की जानकारी दी है, जो कि समिति के पास पहले से थी.

समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और डॉ. आरएमएल अस्पताल में भर्ती प्रक्रिया की निगरानी करने का आग्रह किया.

समिति ने यह भी सिफारिश की कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) और श्रीमती एसके अस्पताल में लेबर रूम का नवीनीकरण कार्य 2022-23 के भीतर पूरा किया जाना चाहिए.

समिति ने सफदरजंग अस्पताल और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में विभिन्न पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया की स्थिति को भी संज्ञान में लिया.

समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विशिष्ट समय सीमा की रूपरेखा निर्धारित करे, ताकि रिक्त पदों को बिना देरी भरा जा सके.