मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए ‘मैंग्रोव’ के 20 हज़ार पेड़ काटने की मंज़ूरी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने परियोजना के ‘सार्वजनिक महत्व’ के कारण सात शर्तों के तहत मैंग्रोव पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाली नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है. बॉम्बे एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप नाम के एक एनजीओ ने मैंग्रोव पेड़ों को काटने पर आपत्ति जताई थी.

मैंग्रोव पेड़. (प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने परियोजना के ‘सार्वजनिक महत्व’ के कारण सात शर्तों के तहत मैंग्रोव पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाली नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है. बॉम्बे एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप नाम के एक एनजीओ ने मैंग्रोव पेड़ों को काटने पर आपत्ति जताई थी.

मैंग्रोव पेड़. (प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन (एनएचएसआरसीएल) को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई, पालघर और ठाणे में मैंग्रोव के लगभग 20 हजार पेड़ काटने की अनुमति दे दी.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ ने परियोजना के ‘सार्वजनिक महत्व’ के कारण सात शर्तों के तहत मैंग्रोव पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाली रेल कॉरपोरेशन द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया.

अदालत ने 1 दिसंबर, 2020 को इस याचिका को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने पहले रेल कॉरपोरेशन को परियोजना के लिए काटे जाने वाले मैंग्रोव पेड़ों की संख्या को कम करने के लिए कहा था. इसके बाद कॉरपोरेशन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रल्हाद परांजपे और मनीष केलकर ने अदालत को सूचित किया था कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या 53,467 से कम करके 21,997 कर दी गई है. इसके साथ ही उन्होंने अदालत से अनुरोध मंजूर करने का आग्रह किया था.

मैंग्रोव पेड़ खास तौर पर निचले इलाकों में बाढ़ को रोकने और उत्सर्जन को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा ये वर्षा वनों की तुलना में वातावरण से पांच गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं.

हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के एक आदेश के तहत राज्यभर में मैंग्रोव (दलदलीय भूमि में उगे पेड़ व झाड़ियां) के पेड़ों की कटाई पर ‘पूर्ण पाबंदी’ है और जब भी कोई प्राधिकरण किसी सार्वजनिक परियोजना के लिए मैंग्रोव के पेड़ों को काटना जरूरी समझता है तो उसे हर बार हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होती है.

उक्त आदेश के तहत जिस क्षेत्र में मैंग्रोव के पेड़ हैं, उसके आसपास 50 मीटर का ‘बफर जोन’ बनाया जाना चाहिए, जिसमें किसी भी निर्माण गतिविधि या मलबे को गिराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

रेल कॉरपोरेशन ने 2020 में दायर याचिका में अदालत को आश्वस्त किया था कि पहले मैंग्रोव के जितने पेड़ों को काटे जाने की योजना थी, वह उनका पांच गुना पेड़ लगाएगा.

हालांकि, ‘बॉम्बे एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप’ नाम के एक गैर-सरकारी संगठन ने यह कहते हुए रेल कॉरपोरेशन की याचिका का विरोध किया था कि प्रतिपूरक उपाय के रूप में लगाए जाने वाले पौधों की जीवित रहने की दर के बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है और पेड़ों की कटाई के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है.

रेल कॉरपोरेशन ने एनजीओ द्वारा जताई गई आपत्तियों को खारिज करते हुए दावा किया था कि उसने सार्वजनिक महत्व की परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर आवश्यक अनुमोदन हासिल कर लिया था और इसके कारण होने वाले नुकसान की भरपाई पौधे लगाकर की जाएगी.

अहमदाबाद और मुंबई के बीच प्रस्तावित 508 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड रेल गलियारे से दोनों शहरों के बीच का यात्रा का समय साढ़े छह घंटे से घटकर ढाई घंटे रह जाने की उम्मीद है. परियोजना की नींव सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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