भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर करते हुए कहा था कि सत्ता के इशारे पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बिना उसकी अनुमति लिए उन पर भविष्य में कोई केस दर्ज न किया जाए.
कोलकाता: भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को राहत देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में उनके खिलाफ दर्ज 17 से अधिक एफआईआर पर रोक लगा दी है और राज्य को उनके खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने से रोक दिया है.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस राजशेखर मंथा की पीठ ने यह आदेश शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर की गई रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इसमें उन्होंने सत्तारूढ़ व्यवस्था के इशारे पर उनके खिलाफ 17 एफआईआर दर्ज किए जाने की बात कही थी.
अदालत ने टिप्पणी की, ‘तथ्य यह है कि रिट याचिकाकर्ता लोगों के एक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, जो विपक्ष के नेता का पद रखते हैं. अदालत का विचार इस संदेह से मुक्त नहीं है कि राज्य पुलिस तंत्र या तो स्वयं या सत्ता में बैठे व्यक्तियों के प्रभाव में याचिकाकर्ता के सार्वजनिक जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह से बाधित कर रहा है. याचिकाकर्ता की स्वतंत्रता को वंचित करने के लिए यह एक सोची समझी साजिश प्रतीत होती है.’
शुभेंदु अधिकारी का कहना था कि राज्य सरकार ने उन्हें जनप्रतिनिधि के रूप में काम करने से रोकने के प्रयास में उनके खिलाफ कुल 26 एफआईआर दर्ज की हैं और ज्यादातर एफआईआर हल्के अपराधों में हैं.
उन्होंने आगे कहा कि कुछ शिकायतें तो ‘खाली स्थान भरो’ टाइप की दर्ज की गई हैं, जिनमें शिकायतकर्ताओं के नाम, उम्र और पिता के नाम की जगह खाली छोड़ दी गई थी और इन्हें सत्ता के प्रति निष्ठा रखने वालों को सौंप दिया गया, जिनमें वे शिकायतकर्ता बन गए.
गौरतलब है कि यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि लगातार एफआईआर दर्ज करके राज्य हाईकोर्ट के रोक संबंधी उस आदेश (6 सितंबर) को भी दरकिनार कर रहा था, जिसमें हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना मौजूदा या भविष्य के मामलों में कोई भी कठोर कार्रवाई के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी को सुरक्षा प्रदान की गई थी.
शुभेंदु अधिकारी के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हाईकोर्ट के 6 सितंबर के आदेश के बाद उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर याचिकाकर्ता को दिए गए संरक्षण आदेश को विफल करने का प्रयास थी.
अपने आदेश में अदालत ने यह भी कहा कि आम लोगों के खिलाफ दर्ज समान मामलों में या तो सीआरपीसी की धारा 107 और 116 के तहत कार्यवाही की जाती है या पुलिस केवल पूछताछ करके उन लोगों को चेतावनी दे देती है, लेकिन याचिकाकर्ता के संबंध में राज्य पुलिस द्वारा पूरी तरह से अलग ही दृष्टिकोण अपनाया जाता प्रतीत होता है.
इन परिस्थितियों में न्यायालय ने आदेश दिया कि रिट याचिका में उल्लिखित प्रत्येक एफआईआर पर रोक रहेगी और राज्य पुलिस हाईकोर्ट की अनुमति के बिना याचिकाकर्ता के खिलाफ और एफआईआर दर्ज नहीं करेगी.
मालूम हो कि मई 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर कभी सहयोगी रहे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं.
नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी 1,956 मतों से विजयी हुए थे. शुभेंदु अधिकारी को 110,764 मत मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी ममता बनर्जी के पक्ष में 108,808 मत पड़े थे.
विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने अपनी परंपरागत भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. इसके अगले दिन छह मार्च 2021 को भाजपा ने उन्हें चुनौती देने के लिए तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी को मैदान में उतारा था.
दिसंबर 2020 में बंगाल के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी विभिन्न दलों के नौ विधायकों और तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे.