न्यूनतम वेतन में 37 प्रतिशत वृद्धि को दिल्ली में मिली हरी झंडी

अब अकुशल कर्मियों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपये से बढ़कर 13,350 रुपये, अर्ध-कुशल कर्मियों का 10,764 रुपये से बढ़कर 14,698 रुपये मासिक हो जाएगा.

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अब अकुशल कर्मियों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपये से बढ़कर 13,350 रुपये, अर्ध-कुशल कर्मियों का 10,764 रुपये से बढ़कर 14,698 रुपये मासिक हो जाएगा.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली सरकार ने राज्य में अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन में करीब 37 प्रतिशत वृद्धि को मंजूरी दे दी.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा बनाई गई 15 सदस्यीय समिति की इस संबंध में की गई सभी सिफारिशों को मंजूर कर लिया.

समिति का गठन न्यूनतम मजदूरी में संशोधन की सिफारिशें देने के लिए पिछले साल किया गया था. यह दूसरा मौका है जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने को मंजूरी दी है. पूर्व उपराज्यपाल ने पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिशों को निरस्त कर दिया था.

केजरीवाल ने कहा कि आप सरकार ने समिति गठित करने के लिये उनकी पूर्वानुमति नहीं ली थी. केजरीवाल ने कहा कि समिति की सिफारिशों को सोमवार को नए उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह स्वयं उपराज्यपाल से मिलकर इन सिफारिशों को मंजूरी देने का आग्रह करेंगे ताकि कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके.

मंत्रिमंडल के निर्णय के मुताबिक अकुशल कर्मियों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपये से बढ़कर 13,350 रुपये मासिक होगा. अर्ध-कुशल कर्मियों के लिए इसे 10,764 रुपये से बढ़ाकर 14,698 रुपये और कुशल कर्मचारियों के लिए 11,830 रुपये से बढ़ाकर 16,182 रुपये मासिक करने की सिफारिश की गई है.

मुख्यमंत्री ने सिविल लाइंस स्थित अपने आधिकारिक निवास पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि उपराज्यपाल अगले सप्ताह इन्हें मंजूरी दे देंगे क्योंकि इसमें हमने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है. होली के मौके पर यह कर्मचारियों के लिए बड़ा तोहफा होगा.’

इससे पहले सरकार की तरफ से बनाई गई समिति ने न्यूनतम वेतन में 50 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की थी. अकुशल के लिए इसे बढ़ाकर 14,052 रुपये, अर्ध-कुशल के लिये 15,471 रुपये और कुशल के लिए 17,033 रुपये मासिक करने की सिफारिश की गई थी.

‘दोनों समितियों की सिफारिश में 600 से 700 रुपये का अंतर था. हम पिछले समिति की सिफारिशों को भी लागू कर सकते थे लेकिन हमने पूर्व उपराज्यपाल के साथ विवाद से बचने के लिये ऐसा नहीं किया.’

केजरीवाल ने कहा, ‘हम दूसरी समिति की सिफारिशों में भी कुछ बदलाव कर सकते थे, लेकिन मंत्रिमंडल के फैसले को अमल में लाने में किसी तरह की अड़चन नहीं हो इसलिए हमने ऐसा कुछ नहीं किया और सिफारिशें को ज्यों की त्यों मंजूरी दे दी.’

दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पहले न्यूनतम वेतन तीन बिंदुओं के आधार पर तय किया जाता था- आवास, कपड़ा और खाना. लेकिन समिति ने इसमें शिक्षा, बिजली और ईंधन को भी शामिल किया है.

उपराज्यपाल द्वारा बनाई गई समिति में सरकार, उद्योग और श्रमिक संगठनों सहित पांच सदस्य शामिल थे.

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