भारतीय सेना ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास नौ दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प हुई, जिसमें ‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल’ हुए. संसद में विपक्ष के हंगामे के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना ने चीनी अतिक्रमण प्रयास का दृढ़ता से जवाब दिया.
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने सोमवार को यह जानकारी दी कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट एक स्थान पर नौ दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प हुई, जिसमें ‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए.’
पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी (लाइन ऑफ एक्जुअल कंट्रोल) पर यांग्त्से के पास झड़प हुई.
भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, ‘पीएलए (चीन की सेना) के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता से सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.’
बयान में कहा गया है, ‘दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए. इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग बैठक’ की.’
सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया. इसने कहा कि तवांग सेक्टर में एलएसी पर क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों की ‘अलग-अलग धारणा’ है.
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यांग्त्से में ‘कई भारतीय सैनिक घायल हो गए. उनमें से कुछ के हाथ-पैर भी टूट गए हैं और वर्तमान में गुवाहाटी के एक अस्पताल में हैं. संघर्ष के समय लगभग 600 चीनी सैनिक मौजूद थे.
एक रक्षा अधिकारी ने इस मामले की बारीकियों में जाए बिना द हिंदू को बताया कि ‘चीनी पक्ष की चोटें भारतीय पक्ष की तुलना में बहुत अधिक थीं.’
15 जून, 2020 के बाद भारतीय सैनिकों और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच यह पहली झड़प है, उस समय पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे और कई घायल हुए थे.
यह पहली बार नहीं है जब दोनों पक्ष एलएसी पर भिड़े और अपरिभाषित सीमा को लेकर झड़प हुई. इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से बताया है, ‘अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों को लेकरअलग-अलग धारणा हैं, जिसमें दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं. यह चलन 2006 से रहा है,’.
विपक्ष की संसद ने चर्चा की मांग
इस बीच कांग्रेस ने झड़प की घटना को लेकर सोमवार को कहा कि सरकार को इस मामले पर संसद में चर्चा के माध्यम से देश को विश्वास में लेने की जरूरत है.
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से संसद में सीमा की स्थिति पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. पिछले साल अधिवक्ता और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के (तत्कालीन) सभापति एम. वेंकैया नायडू को टैग किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि लोकसभा सचिवालय द्वारा सितंबर 2020 से भारत-चीन सीमा स्थिति पर 17 प्रश्नों को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के संदिग्ध आधार’ पर अस्वीकार कर दिया गया.
सोमवार को झड़प की जानकारी सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘एक बार फिर हमारे सैनिकों को चीन ने उकसाया है. हमारे सैनिकों ने बहादुरी से मुकाबला किया और कुछ जवान घायल भी हुए. हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्र के रूप में एक हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करेंगे. लेकिन मोदी सरकार को एलएसी (लाइन ऑफ एक्जुअल कंट्रोल) पर चीन की आक्रामकता और अप्रैल 2020 से हो रहे निर्माण कार्य को लेकर ईमानदार होना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार को इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराके देश को भरोसे में लेना चाहिए. हम अपने जवानों की वीरता और बलिदान के ऋणी हैं.’
..about the Chinese transgressions and the construction at all points near the LAC, since April 2020. Govt needs to take the nation into confidence by discussing this issue in Parliament.
We are forever indebted to the valour and sacrifice of our soldiers.
2/2— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 12, 2022
वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ट्वीट किया है, ‘भारतीय सेना के शौर्य पर हमें गर्व है. सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है. इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है.’
देश से बड़ा कोई नहीं है, लेकिन मोदी जी अपनी छवि को बचाने के लिए देश को ख़तरे में डाल रहे हैं।
उत्तरी लद्दाख़ में घुसपैठ स्थायी करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में LAC की सीमा में 15-18 km अंदर 200 स्थायी शेल्टर बना दिए, पर सरकार चुप रही।अब यह नया चिंताजनक मामला सामने आया है। https://t.co/RgzMZLQlJw
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 12, 2022
रमेश ने आरोप लगाया, ‘देश से बड़ा कोई नहीं है, लेकिन मोदी जी अपनी छवि को बचाने के लिए देश को ख़तरे में डाल रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘उत्तरी लद्दाख़ में घुसपैठ स्थायी करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में एलएसी की सीमा में 15-18 किलोमीटर अंदर 200 स्थायी शेल्टर बना दिए, पर सरकार चुप रही. अब यह नया चिंताजनक मामला सामने आया है.’
उधर, कांग्रेस ने गलवान झड़प के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए भाषण का वीडियो भी ट्वीट किया है जिसमें वह कह रहे हैं कि ‘किसी ने हमारी जमीन पर कब्जा नहीं किया है और कोई भारत में नहीं घुसा है और न ही हमारे किसी पोस्ट (चौकी) पर किसी अन्य ने कब्जा किया है.’
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के उक्त भाषण का संदर्भ देते हुए कहा, ‘अगर यह गलती नहीं की गई होती. अगर चीन का नाम लिया गया होता, वह भारत की ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करता… अभी भी वक्त है… डरें नहीं.’
अगर ये गलती न की होती। चीन का नाम लेने से डरे न होते तो आज चीन की हैसियत नहीं थी कि हमारे देश की तरफ आंख उठाकर देखे।
हमारी जमीन पर कब्जा करना, हमारी जमीन पर आकर हमारे सैनिकों से झड़प करना तो दूर की बात है।
अब भी वक्त है… डरो मत! pic.twitter.com/cSG5cjWZAa
— Congress (@INCIndia) December 12, 2022
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने झड़प को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए.
तिवारी ने ट्वीट किया है, ‘झड़प दुर्भाग्यपूर्ण है. गलवान 2020 पूर्वी लद्दाख में है… यह तवांग, अरुणाचल प्रदेश है… सुदूर उत्तर-पूर्व.’
वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है, ‘‘मैंने पहले भी कहा है कि चीन की नजरें तवांग पर है, क्योंकि वे 6वें दलाई लामा के जन्मस्थल से भविष्य में दलाई लामा चुने जाने वाले व्यक्ति का नाता जोड़ना चाहते हैं. पीएलए के खिलाफ मुकाबला करने वाले सैनिकों पर गर्व है.’’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया है, ‘हमारे 20 बहादुर सैनिकों की शहादत के बाद भी चीन को दो टूक जवाब देने की बजाय.. प्रधानमंत्री ने ‘कोई नहीं घुस आया…’ का बयान देकर देश की सुरक्षा और संप्रभुता से ज्यादा, अपनी ‘आभासी छवि’ बनाए रखने में सारा ध्यान न लगाया होता, तो चीन बार बार यह दुस्साहस कभी नहीं करता!’
उधर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने झड़प की घटना को लेकर केंद्र सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का सोमवार को आरोप लगाया. ओवैसी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे.
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कमजोर राजनीतिक नेतृत्व’ ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है.
चीन ने तवांग में जो ज़ुर्रत की है, वो सिर्फ हमारे PM और सरकार की कमज़ोरी को दर्शाता है। सेना ने उसका जवाब दिया है पर चीन की ये हिम्मत इसलिए हुई है क्यूंकि मोदीजी ने जून २०२० में गलवान के बाद कहा "न कोई घुसा है"।
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 13, 2022
ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘अरुणाचल प्रदेश से आ रही खबरें परेशान करने वाली और चिंताजनक हैं. भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा. जब संसद का सत्र चल रहा था तो उसे सूचित क्यों नहीं किया गया.’
एक अन्य ट्वीट में एआईएमआईएम नेता ने कहा, ‘सेना किसी भी वक्त चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. मोदी के नेतृत्व में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है. इस पर संसद में तत्काल चर्चा की जरूरत है. मैं कल इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा.’
हमारे 56 इंच के प्रधानमंत्री चीन का नाम लेने से इतना घबराते क्यों हैं? क्या वजह है कि ढाई साल से चीन लदाख में हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर के बैठा है और मोदीजी के मुंह से चूं तक नहीं निकलती? इतनी मजबूत सेना है हमारी और इतना डरा हुआ नेता, क्यों?
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 13, 2022
ओवैसी ने कहा कि घटना का विवरण अधूरा है और एक अन्य ट्वीट में पूछा, ‘झड़प का कारण क्या था? क्या गोलियां चलाई गई थीं या यह गलवान की तरह हुआ? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी स्थिति क्या है? चीन को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए संसद सैनिकों को अपना सार्वजनिक समर्थन क्यों नहीं दे सकती है?’
रक्षा मंत्री बोले: चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया.
रक्षा मंत्री ने बताया कि इस झड़प में किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है और इस तरह की कार्रवाई के लिए मना किया गया है.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर निचने सदन में दिए बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही.
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया. विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण प्रश्नकाल की कार्यवाही बाधित हुई.
एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे शुरू होने पर राजनाथ सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘नौ दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में वास्तवित नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अतिक्रमण कर यथा स्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया.’
उन्होंने कहा, ‘इस झड़प में हाथापाई हुई. भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी चौकी पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया.’
सिंह ने कहा कि इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोट आईं. उन्होंने कहा, ‘मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है, और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है.’
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप करने के कारण चीनी सैनिक अपने स्थान पर वापस चले गए.
उन्होंने कहा कि इस घटना के पश्चात क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चीनी समकक्ष के साथ स्थापित व्यवस्था के तहत एक फ्लैग मीटिंग की और इस घटना पर चर्चा की. सिंह ने कहा कि चीनी पक्ष को इस तरह की कार्रवाई के लिए मना किया गया है और सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए कहा गया है.
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी भौमिक (सीमाओं की) अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सदैव तत्पर हैं.’
सिंह ने कहा, ‘मुझे विश्वास है, कि यह सदन हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)