पिछले पांच वर्षों में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले: वित्त मंत्री

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बही खाते से हटा दिया गया है.

New Delhi: Finance Minister Nirmala Sitharaman speaks in the Lok Sabha during the ongoing Winter Session of Parliament, in New Delhi, Monday, Dec. 12, 2022. (PTI Photo)

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बही खाते से हटा दिया गया है.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (एनपीए) बट्टे खाते में डाले हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद को यह जानकारी दी.

वित्तमंत्री ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) या फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बही खाते से हटा दिया गया है. इसमें वे फंसे हुए कर्ज भी शामिल हैं जिसके एवज में चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘बैंक अपने बैलेंस शीट को साफ करने, कर लाभ प्राप्त करने और आरबीआई के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार पूंजी का अनुकूलन करने के लिए नियमित अभ्यास के तहत एनपीए को बट्टे खाते में डालते हैं. आरबीआई से प्राप्त इनपुट के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से प्राप्त इनपुट के अनुसार पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राशि को बट्टे खाते में डाला.’

उन्होंने स्पष्ट किया कि बट्टे खाते में कर्ज को डालने से कर्जदार को लाभ नहीं होता. वे पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है.

बैंक उपलब्ध विभिन्न उपायों के माध्यम से बट्टे खाते में डाली गई राशि को वसूलने के लिए कार्रवाई जारी रखते हैं. इन उपायों में अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता-2016 के तहत मामले दर्ज करना और गैर- निष्पादित संपत्तियों की बिक्री आदि शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान कुल 6,59,596 करोड़ रुपये की वसूली की है. इसमें बट्टे खाते में डाले गए कर्ज में से 1,32,036 करोड़ रुपये की वसूली शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे मामलों में जहां प्रथमदृष्टया यह पाया जाता है कि अधिकारी निर्धारित प्रणालियों और प्रक्रियाओं के गैर-अनुपालन या कदाचार या उचित-परिश्रम मानदंडों का पालन न करने के लिए जिम्मेदार हैं, दोषी अधिकारियों के खिलाफ बोर्ड द्वारा स्वीकृत कर्मचारी जवाबदेही नीति के तहत कार्रवाई शुरू की जाती है.’

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 3,312 बैंक अधिकारियों (एजीएम और उससे ऊपर के रैंक) के खिलाफ एनपीए मामलों के संबंध में कर्मचारियों की जवाबदेही तय की गई है और उनकी चूक के अनुरूप उपयुक्त दंडात्मक कार्रवाई की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)