अदालत ने पूछा, पुलिस कैसे मान सकती है कि 10 रुपये के स्टांप पर हलफ़नामा देने से लड़की का धर्म परिवर्तन क़ानूनन जायज़ है जबकि क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
जोधपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महिला को कथित तौर पर जबरन मुसलमान बनाने और उससे शादी करने के मामले में बुधवार को राज्य पुलिस की खिंचाई करते हुए उसे प्राथमिकी दर्ज करने और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए.
महिला के परिवार वालों ने दावा किया है कि यह लव जिहाद का मामला है. जस्टिस जीके व्यास और जस्टिस एमके गर्ग की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जवाब दाखिल कर स्पष्ट करें कि राज्य में धर्म परिवर्तन से जुड़े कानूनी प्रावधान क्या हैं.
लड़की की उम्र 22 साल है और उसके भाई की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने पुलिस की लापरवाही पर नाखुशी जताई, जिसने परिवार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था.
अदालत ने पूछा कि पुलिस कैसे मान सकती है कि महज दस रुपये के स्टांप पेपर पर हलफनामा देने से लड़की का धर्म परिवर्तन कानूनन जायज है जबकि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है.
भाई ने अपनी याचिका में दावा किया कि फैज मोदी लंबे समय से उसकी बहन से छेड़छाड़ करता था और जब वह कॉलेज जा रही थी तो उसने अपहरण कर लिया.
भाई ने आरोप लगाया कि परिवार के लोग जब उसका पता नहीं लगा सके, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की जिसने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया कि फैज मोदी शादी का सबूत पेश कर चुका है और उसने 14 अप्रैल को महिला के धर्म परिवर्तन का हलफनामा दिया है.
उसने आरोप लगाए कि आरोपी ने उससे आपत्तिजनक तस्वीरों के माध्यम से ब्लैकमेल किया और इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने और उससे शादी करने का दबाव बनाया.
याचिकाकर्ता की तरफ से वकील गोकुलेश बोहरा ने कहा कि लड़की 25 अक्टूबर तक अपने परिवार के साथ थी, जबकि दस्तावेज छह महीने पुराने हैं.
बोहरा ने दावा किया, यह लव जिहाद का स्पष्ट मामला है और इस तरह के मामलों की जांच में पुलिस द्वारा रुचि नहीं दिखाने के कारण पिछले कुछ समय में नगर में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं.
इस तरह के आरोप हैं कि हिंदू लड़कियों को धर्म परिवर्तन करने और मुसलमानों से शादी करने के लिए लुभाया जाता है और हिंदू संगठन इसे लव जिहाद बताते हैं.
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को राजस्थान सरकार से कहा कि राज्य में धर्मपरिवर्तन के कानूनों और दिशा—निर्देशों के बारे में बताए.
अदालत ने निर्देश दिया कि लड़की को सात दिनों के लिए नारी निकेतन में भेजा जाए और पुलिस को निर्देश दिया कि सुनिश्चित किया जाए कि वहां उससे कोई मुलाकात नहीं करे.
मामले में विस्तृत रिपोर्ट की मांग करते हुए अदालत ने पुलिस से कहा कि क्या उसने लड़की के कथित हलफनामे की सच्चाई की जांच का प्रयास किया. इसने पुलिस को निर्देश दिया कि प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच करे.
केरल की हिंदू महिला मामले को लेकर उत्पन्न विवाद के परिप्रेक्ष्य में यह मामला सामने आया है, जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने से पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था.