राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारी हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.
नई दिल्ली: कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को सूचित किया कि भारत सरकार में संयुक्त सचिव और सचिव के पद पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व क्रमश: 4 फीसदी और 4.9 फीसदी है.
द हिंदू के मुताबिक, जदयू के रामनाथ ठाकुर के एक प्रश्न के लिखित जवाब में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया, ‘विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में केंद्रीय कर्मचारी योजना (सीएसएस) के तहत वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारियों में अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.’
कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे के एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि 1 जनवरी को 75 मंत्रालयों और विभागों से प्राप्त जानकारी के अनुसार समूह ‘ए’ के पदों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों का प्रतिशत क्रमश: 13.21, 6.01 और 18.07 है.
जवाब में कहा गया कि समूह ‘ए’ के पदों पर पदोन्नति में कोई आरक्षण नहीं है और ओबीसी के लिए भी पदोन्नति में कोई आरक्षण नहीं है.
जहां तक भारत सरकार के संयुक्त सचिवों, अतिरिक्त सचिवों, सचिवों के पदों को भरने का सवाल है तो केंद्रीय कर्मचारी योजना के तहत विभिन्न सेवाओं के कर्मचारियों के नामों पर इन पदों के लिए विचार किया जाता है. यह पद प्रतिनियुक्ति पद होते हैं और किसी सेवा के कैडर पद नहीं हैं.
जवाब में कहा गया है, ‘पैनल में शामिल अधिकारियों में से जो प्रतिनियुक्ति के लिए अपना विकल्प देते हैं, उनके नामों पर इन पदों पर नियुक्तियों के लिए विचार किया जाता है.’