एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: ऑपरेशन के लिए हेनी बाबू को चार दिन की ज़मानत

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हेनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया है कि उनके मुवक्किल को मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए.

हेनी बाबू. (फोटो साभार: ट्विटर)

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हेनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया है कि उनके मुवक्किल को मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए.

हेनी बाबू. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हेनी बाबू को शहर के एक अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच करवाने के लिए शुक्रवार को चार दिन की अस्थायी जमानत दे दी.

हेनी बाबू बीते लगभग दो साल से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. उन्होंने स्वास्थ्य आधार पर अस्थायी जमानत की मांग को लेकर पिछले महीने हाईकोर्ट का रुख किया था.

हेनी बाबू ने अपनी याचिका में कहा था कि मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द व ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज करवाने के लिए उन्हें तीन महीने की जमानत की जरूरत है.

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस पीडी नाइक की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हेनी बाबू को अस्पताल में चार दिन इलाज कराने की अनुमति दे दी.

हेनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया कि उनके मुवक्किल को सर्जरी और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने हेनी बाबू को सिर्फ मोतियाबिंद के लिए एक निजी अस्पताल में इलाज की अनुमति दी है. अन्य बीमारियों के इलाज के संबंध में याचिका के दायरे को बढ़ाने से इनकार कर दिया.

बार एंड बेंच के अनुसार, पीठ ने हेनी बाबू को अस्पताल में रहने के दौरान अपनी मां, पत्नी, बेटी और अपने भाइयों से मिलने की अनुमति दी है. पीठ ने स्पष्ट किया है कि वह सर्जरी का खर्च खुद देंगे.

मालूम हो कि बीते सितंबर महीने में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने हेनी बाबू की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ आरोप प्रथमदृष्टया सही हैं और वह प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के एक सक्रिय और प्रमुख सदस्य हैं.

मामले की जांच कर रहे एनआईए ने हेनी बाबू पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर माओवादी गतिविधियों एवं विचारधारा का प्रचार करने के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है. हेनी बाबू को इस मामले में 28 जुलाई, 2020 में गिरफ्तार किया गया था.

मालूम हो कि यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद’ सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि इसके चलते कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा हुई थी.

हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को स्थानांतरित किए जाने से पहले पुणे पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी.

मामले में अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस मामले के एक आरोपी झारखंड के 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता  फादर स्टेन स्वामी का उचित इलाज करने में जेल अधिकारियों की देरी के कारण उनकी पांच जुलाई 2021 को मृत्यु हो गई थी.

बीते नवंबर महीने में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दलित अधिकार कार्यकर्ता और विद्वान आनंद तेलतुंबड़े की जमानत याचिका मंजूर कर ली थी.

हालांकि हाईकोर्ट ने इस आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी, ताकि इस मामले की जांच कर रही एनआईए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सके. तेलतुंबड़े इस मामले में जमानत पाने वाले तीसरे आरोपी हैं.

इससे पहले वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और तेलुगू कवि वरवरा राव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. 13 अन्य अभी भी महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)