मतदाता पहचान पत्र से आधार को लिंक नहीं करने वालों के नाम मतदाता सूची से नहीं हटेंगे: सरकार

लोकसभा में तीन सदस्यों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है और इसे जोड़ने के लिए मतदाता की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिपीडिया/फेसबुक)

लोकसभा में तीन सदस्यों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है और इसे जोड़ने के लिए मतदाता की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिपीडिया/फेसबुक)

नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जिन लोगों ने अपने मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को लिंक नहीं किया है, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं हटाए जाएंगे.

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में तीन सदस्यों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

मंत्री से यह सवाल किया गया था कि जिन लोगों के मतदाता पहचान पत्र आधार के साथ लिंक नहीं है, क्या उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे?

इसके जवाब में मंत्री ने कहा, ‘नहीं.’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है और इसे जोड़ने के लिए मतदाता की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है. चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के संदर्भ में निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से लोगों से उनकी आधार संख्या प्रदान करने के लिए कहने की अनुमति है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल स्वैच्छिक है.

भारत निर्वाचन आयोग ने 01/08/2022 से ‘स्वैच्छिक आधार पर’ मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने के लिए कार्यक्रम शुरू किया है.

इन आरोपों के बीच कि चुनाव अधिकारी आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना अनिवार्य कर रहे हैं, अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़े जाने के संबंध में दो अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक याचिका पर नोटिस जारी किया है.

जस्टिस एसके कौल और एएस ओका ने इसी तरह के मुद्दे उठाने वाली दो अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले को जोड़ दिया था.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया था कि आधार कार्ड का उपयोग केवल लाभ प्रदान करने के लिए किया जा सकता है और जब कोई नागरिक अधिकारों का प्रयोग कर रहा हो तो इस पर जोर नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने तर्क दिया था कि आधार कार्ड नहीं होने के आधार पर वोट देने के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता है.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी नियमों और अधिसूचनाओं के माध्यम से भारत का चुनाव आयोग लोगों को अपने आधार नंबर को मतदाता सूची से जोड़ने के लिए बाध्य करना चाहता है.

याचिका में कहा गया है, आधार से मतदाता पहचान पत्र के प्रस्तावित लिंकेज का लोगों के मतदान के संवैधानिक और कानूनी अधिकार का प्रयोग करने की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा.

याचिका में कहा गया है, ‘आधार से मतदाता पहचान पत्र के प्रस्तावित लिंकेज का लोगों के मतदान के संवैधानिक और कानूनी अधिकार का प्रयोग करने की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि अक्सर मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर बेदखली निश्चित है.लोगों को बिना उचित प्रक्रिया के मतदाता सूची से हटा दिया जाता है.’

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इसके अलावा आधार और भारत के चुनाव आयोग के डेटाबेस को जोड़ने से वोट की गोपनीयता से समझौता होता है, जो चुनावी पसंद के स्वतंत्र अभ्यास के लिए मौलिक है.

इसी महीने चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया था कि भारत के आधे से अधिक मतदाताओं ने अब तक अपने मतदाता पहचान पत्र के साथ अपने आधार नंबर को जोड़ दिया है. यह 1 अगस्त को शुरू हुए भारतीय चुनाव आयोग के विशेष अभियान के तहत हुआ है.

एक अधिकारी ने कहा था कि लगभग 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 55 से 56 करोड़ मतदाता पहले ही स्वेच्छा से मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के लिए अपना आधार विवरण प्रदान कर चुके हैं. सरकार ने 1 अप्रैल 2023 को मतदाताओं द्वारा अपना आधार विवरण प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि के रूप में अधिसूचित किया है.