एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि बिहार में वर्ष 2016 में लागू हुई शराबबंदी के बाद से पांच सालों में राज्य में कम से कम 20 ज़हरीली शराब की घटनाएं सामने आईं, जिनमें 200 से अधिक मौतें हुईं. अकेले 2021 में ही 9 घटनाएं हुईं और 106 लोगों की मौत हुई. इसके विपरीत, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो पांच सालों में केवल 23 मौतें दिखाता है.
नई दिल्ली/पटना: बीते जुलाई माह में लोकसभा में पेश किए गए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में नकली शराब के सेवन से पिछले छह वर्षों में करीब सात हजार लोगों की जान गई और मौत के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड में दर्ज किए गए हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, देश में नकली शराब के सेवन से वर्ष 2016 में मौत के 1,054 मामले सामने आए, जबकि वर्ष 2017 में इससे 1,510, वर्ष 2018 में 1,365, वर्ष 2019 में 1,296 और वर्ष 2020 में 947 लोगों की जान गई.
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में पूरे देश में नकली शराब के सेवन से जुड़ीं 708 घटनाओं में 782 लोगों की मौत हुई. इस दौरान उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 137, पंजाब में 127 और मध्य प्रदेश में 108 लोगों की जान गई.
एनसीआरबी के अनुसार, 2016 से 2021 तक छह साल की अवधि में नकली शराब ने भारत में कुल 6,954 लोगों की जान ली. इस लिहाज से नकली शराब के सेवन से देश में प्रतिदिन औसतन तीन से अधिक लोगों की मौत हो रही है.
आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से 2021 के बीच नकली शराब के सेवन से मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 1,322 मौतें हुईं, जबकि कर्नाटक में इस अवधि में 1,013 और पंजाब में 852 लोगों की जान गई.
नकली शराब से हुईं मौतों को लेकर लोकसभा में 19 जुलाई 2022 को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद कुंवर दानिश अली के सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने वर्ष 2016 से लेकर 2020 तक के एनसीआरबी के आंकड़े पेश किए थे.
आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2021 के बीच नकली शराब पीने से उत्तर प्रदेश में 425, राजस्थान में 330, झारखंड में 487, हिमाचल प्रदेश में 234, हरियाणा में 489, गुजरात में 54, छत्तीसगढ़ में 535, बिहार में 23, आंध्र प्रदेश में 293 और पश्चिम बंगाल में 24 लोगों की मौत हुई. इस अवधि में नकली शराब ने पुदुचेरी में 172 और दिल्ली में 116 लोगों की जान ली.
बिहार: शराबबंदी के बाद 200 से अधिक मौतें, लेकिन एनसीआरबी के डेटा में सिर्फ 23
वहीं, एक रिपोर्ट बताती है कि बिहार में वर्ष 2016 के बाद से पांच सालों में 200 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई है, जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े यह संख्या सिर्फ 23 बताते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में 16 से 18 अगस्त के बीच बिहार के गोपालगंज जिले के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने के बाद 19 लोगों की मौत हो गई थी. उस साल अप्रैल में शराबबंदी लागू होने के बाद से राज्य में यह पहला बड़ा जहरीली शराब का मामला था.
हालांकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डेटा, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर संकलित किया जाता है, केवल छह मौतों को दर्शाता है.
यह बिहार में जहरीली शराब से संबंधित मौत के आंकड़ों में कोई इकलौती विसंगति नहीं है. 2016 से 2021 तक के एनसीआरबी डेटा को जोड़कर देखें तो बिहार में केवल 23 मौतें जहरीली शराब से होना बताया गया है, जिनमें 2016 में 6, 2017 में शून्य, 2018 में शून्य, 2019 में 9, 2020 में 6 और 2021 में दो मौतें शामिल हैं.
हालांकि इस अवधि के दौरान, राज्य में कम से कम 20 जहरीली शराब के मामले सामने आए, जिनमें करीब 200 लोग मारे गए.
इंडियन एक्सप्रेस के विश्लेषण के मुताबिक, केवल 2021 में ही जहरीली शराब के 9 मामलों में 106 लोगों की मौत हुई. उस साल हुई जहरीली शराब की तीन बड़ी घटनाओं में 22-23 मार्च को भागलपुर में 22 मौतें, गोपालगंज में 2-3 नवंबर को 20 मौतें और गोपालगंज में ही 3-4 नवंबर को 15 मौतें दर्ज की गई थीं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों की हालिया घटना शराबबंदी के बाद हुई सबसे बड़ी त्रासदी है. बिहार के छपरा (सारण) जिले में हुई इस त्रासदी में अब तक कम से कम 39 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा प्रदेश के दो अन्य जिलों में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से आठ और लोगों की मौत होने की सूचना भी आई है.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने उसके सवालों का जवाब नहीं दिया है.
बहरहाल, रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2022 से अब तक 10 जहरीली शराब के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें छपरा से दो और नालंदा से तीन मामले शामिल हैं.
इस बीच, हालिया घटना के आलोक में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि अन्य जिलों में भी हो रहीं जहरीली शराब से मौतों के बारे में मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर, उसने मौके पर जांच के लिए अपने एक सदस्य की अध्यक्षता में एक जांच दल को तैनात करने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर जहरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)