अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. पार्टी ने आरोप लगाया कि वह इस विषय पर संसद में चर्चा नहीं होने दे रहे हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की घटना की पृष्ठभूमि में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा और सवाल किया कि वह इस विषय पर संसद में चर्चा क्यों नहीं होने दे रहे और देश को भरोसे में क्यों नहीं ले रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यह दावा करते हुए कि डोकलाम में चीन की ओर से किया जा रहा निर्माण रणनीतिक ‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ को खतरे में डाल रहा है. पार्टी ने पूछा कि देश में ‘चीन पे चर्चा’ कब होगी?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के अभियान ‘चाय पर चर्चा’ पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘डोकलाम में ‘जम्फेरी रिज’ तक चीनी निर्माण से भारत के रणनीतिक ‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ को खतरा है, जो पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेश द्वार है! यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत चिंता का विषय है! नरेंद्र मोदी जी, देश में ‘चीन पे चर्चा’ कब होगी?’
Chinese build-up in Doklam upto “Jampheri Ridge” is threatening India’s strategic “Siliguri Corridor” — the gateway to Northeastern States!
This is of utmost concern for our National Security ! @narendramodi ji,
When will the nation have . . .
“CHINA PE CHARCHA” ? pic.twitter.com/eL8JHTftUZ
— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 17, 2022
खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री का यह राजनीतिक कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह उनकी पार्टी द्वारा पूछे गए सात सवालों पर अपने ‘मन की बात’ करें.
उन्होंने यह बयान उस वक्त दिया है, जब भारतीय जनता पार्टी अरुणाचल प्रदेश में ‘चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों की पिटाई करने’ संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर लगातार हमले कर रही है. भाजपा ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस को राहुल गांधी को फौरन पार्टी से निष्कासित करना चाहिए.
रमेश ने कहा, ‘देश जानना चाहता है कि आप इस बात पर क्यों जोर दे रहे हैं कि सीमा की स्थिति और चीन से हमारे सामने आने वाली चुनौतियों पर संसद में बहस नहीं होनी चाहिए.’
उन्होंने सवाल किया, ‘20 जून, 2020 को आपने (प्रधानमंत्री) क्यों कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन द्वारा कोई घुसपैठ नहीं हुई? आपने चीन को यह अनुमति क्यों दी कि वह हमारे सैनिकों को उन हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में जाने से रोके, जहां वे मई, 2020 से पहले नियमित रूप से गश्त किया करते थे?’
रमेश ने यह भी पूछा, ‘आपने ‘माउंटेन स्ट्राइक कोर’ बनाने को लेकर 17 जुलाई, 2013 को कैबिनेट द्वारा स्वीकृत की गई योजना को क्यों त्याग दिया? आपने चीनी कंपनियों को पीएम केयर फंड में अंशदान क्यों देने दिया? आपने पिछले दो वर्षों में चीन से आयात को रिकॉर्ड स्तर पर क्यों बढ़ने दिया?’
कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘आप इस बात पर जोर क्यों दे रहे हैं कि सीमा के हालात और चीन से खड़ी हुईं चुनौतियों पर संसद में चर्चा नहीं होनी चाहिए? आपने चीन के शीर्ष नेतृत्व के साथ 18 बार मुलाकात की है और हाल ही में शी चिनफिंग से बाली में हाथ भी मिलाया. चीन ने तवांग सेक्टर में हाल ही में अतिक्रमण की शुरुआत की और सीमा पर हालात को एकतरफा ढंग से बदल रहा है. आप देश को भरोसे में क्यों नहीं ले रहे हैं?’
मालूम हो कि कांग्रेस का यह हमला राहुल गांधी के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार सो रही है, जबकि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है. बीते 16 दिसंबर को राहुल ने ये टिप्पणी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की थी.
राहुल की टिप्पणी पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. पार्टी ने कहा कि वह सशस्त्र बलों के मनोबल को कम कर रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर चीन और पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया था.
नड्डा ने राहुल पर ‘सशस्त्र बलों के मनोबल को फिर से कम करने’ का आरोप लगाया था और उनकी टिप्पणियों को ‘अत्यधिक निंदनीय और अक्षम्य’ बताया.
उन्होंने कहा था, ‘यह उनकी देशभक्ति पर सवालिया निशान खड़ा करता है. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए थे. यह उनके मानसिक दिवालियापन का दुखद प्रतिबिंब है.’
अपनी आधिकारिक ब्रीफिंग में भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा था कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ‘रिमोट-कंट्रोल’ से संचालित नहीं होते हैं और अगर कांग्रेस देश के साथ खड़ी है तो राहुल को उनकी टिप्पणियों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे भारत की स्थिति को ‘कमतर’ करते हैं और इसके सशस्त्र बल का मनोबल तोड़ते हैं.
इससे पहले संसद में दिए गए एक बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को ‘एकतरफा’ तरीके से बदलने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने अपनी ‘दृढ़ और साहसी’ प्रतिक्रिया से उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया.
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में ताजा संघर्ष हुआ था, जिसमें दोनों तरफ के जवानों को चोटें आई थीं.
यह जून 2020 में गलवान घाटी में घातक झड़प के बाद इस तरह की पहली बड़ी घटना थी. मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से गतिरोध जारी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)