भारतीय निर्वाचन आयोग ने 1 अगस्त से आधार और मतदाता पहचान पत्र को लिंक करने का एक स्वैच्छिक अभियान शुरू किया था, जिसमें 12 दिसंबर तक 54.32 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं से उनका आधार नंबर जुटाया गया, लेकिन अब सूचना के अधिकार से पता चला है कि आयोग ने अब तक किसी भी मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक नहीं किया है.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने 1 अगस्त से शुरू हुए स्वैच्छिक अभियान में 12 दिसंबर तक पंजीकृत मतदाताओं से 54.32 करोड़ आधार नंबर एकत्र किए थे, हालांकि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है.
यह जानकारी चुनाव आयोग ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इंडियन एक्सप्रेस को उपलब्ध कराई है.
17 जून को कानून मंत्रालय ने 1 अप्रैल 2023 की तिथि को आधार से मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने की अंतिम तिथि के रूप में अधिसूचित किया था.
पिछले हफ्ते ही चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा था कि कुल 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 50 प्रतिशत लोगों ने अपने आधार को मतदाता पहचान पत्र से स्वेच्छा से जोड़ दिया है.
यह पूछे जाने पर कि मतदाता पहचान पत्र से कितने आधार नंबर लिंक किए गए हैं, चुनाव आयोग ने आरटीआई के जवाब में कहा, ‘यह सूचित किया जाता है कि मतदाता सूची/ईपीआईसी डेटाबेस को आधार डेटाबेस से जोड़ने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है. यह भी सूचित किया जाता है कि दिनांक 01/08/2022 से दिनांक 12/12/2022 तक मौजूदा मतदाताओं से प्राप्त ‘फॉर्म 6बी’ की कुल संख्या 54,32,84760 है.’
इस सवाल के जवाब में कि कितनी प्रविष्टियां हटाई गईं या डुप्लीकेट या धोखाधड़ी के मामलों का पता चला, चुनाव आयोग ने जवाब दिया, ‘जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कोई भी आधार लिंकिंग शुरू नहीं हुई है, इसलिए अब तक आधार लिंकिंग के आधार पर ऐसी किसी भी प्रविष्टि की पहचान नहीं की गई है.’
आरटीआई के जवाब में यह भी बताया गया है कि चुनाव आयोग ने 4 जुलाई को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था कि 1 अगस्त से ‘फॉर्म 6बी में स्वैच्छिक आधार पर मौजूदा मतदाताओं की आधार संख्या के संग्रह के लिए कार्यक्रम’ चलाया जाए.
चुनाव आयोग के प्रवक्ता इस पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया कि लिंकिंग का कार्य अब तक शुरू क्यों नहीं हुआ है, अगर यह 1 अप्रैल 2023 के बाद शुरू होगा तो अब तक एकत्र किए गए डेटा को चुनाव आयोग द्वारा कैसे संग्रहीत किया जा रहा है.
इस बीच, शुक्रवार (16 दिसंबर) को लोकसभा में सांसद रितेश पांडे, प्रद्युत बोरदोलोई और सैयद इम्तियाज जलील के एक सवाल का जवाब देते हुए कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया था कि आधार और मतदाता पहचान पत्र को लिंक न करने पर किसी भी मतदाता को सूची से नहीं हटाया जाएगा.
मंत्री ने एक लिखित जवाब में बताया था कि आधार संख्या को ‘आधार डेटा वॉल्ट’ नामक एक कोष में संग्रहीत किया गया है, जो कि आधार अधिनियम-2016 पर आधारित है.
उनके जवाब में कहा गया था, ‘भारतीय चुनाव आयोग, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करता है और आधार संख्या को अपने डेटाबेस में संग्रहीत नहीं करता है. आधार संख्या का उपयोग केवल प्रमाणीकरण उद्देश्यों के लिए किया जाता है और चुनाव आयोग यूआईडीएआई आधार डेटाबेस से किसी भी व्यक्तिगत जानकारी को पुनः प्राप्त नहीं करता है.’
चुनाव आयोग ने इससे पहले मार्च 2015 में आधार संख्या एकत्र करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया था, लेकिन उस साल अगस्त में इसे निलंबित कर दिया गया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जिन नागरिकों ने अपना आधार प्रस्तुत नहीं किया है, उन्हें उन लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता है जिन पर उनका अधिकार है.