जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के समक्ष 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण देना ज़रूरी है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते.
नई दिल्ली: पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में क्षेत्रीय दलों की आय के एक बड़े हिस्से में चुनावी बॉन्ड का योगदान रहा.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 के लिए बीजद की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, जिसे चुनाव आयोग ने बुधवार को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया था, पार्टी ने घोषित किया है कि उसे ‘अनुदान, दान और योगदान’ की श्रेणी में 291 करोड़ रुपये मिले और पूरी राशि चुनावी बॉन्ड के रूप में थी. बीजद की कुल आय 307.28 करोड़ में चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय का हिस्सा 94 फीसदी रहा.
इसी तरह, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की वार्षिक रिपोर्ट में दिखाया गया है कि पार्टी को 2021-22 में चुनावी बॉन्ड से 60 करोड़ रुपये मिले और यह इसकी कुल आय 93.72 करोड़ का 64 फीसदी है और अनुदान, योगदाव न दान से हुई आय का 75 फीसदी है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति, जिसने हाल ही में अपना नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया है, को चुनावी बॉन्ड से 153 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. यह उसकी कुल आय 218.11 करोड़ रुपये का 70 फीसदी है और अनुदान, योगदान व दान से हुई आय कै 79 फीसदी है.
चुनाव आयोग को सौंपी गई अपनी योगदान रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में समाजवादी पार्टी के घोषित दान का लगभग 10 फीसदी चुनावी बॉन्ड से आया था.
सपा की वार्षिक योगदान रिपोर्ट दिखाती है कि पार्टी को व्यक्तियों, कंपनियों और चुनावी ट्रस्टों से कुल 33,00,55,516 रुपये का दान मिला.
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ईसीआई को 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड से प्राप्त योगदान इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते हैं.
समाजवादी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड से 3.21 करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा करने का फैसला किया. बॉन्ड दो दिन- 10 जनवरी और 12 जनवरी 2022- डाक के माध्यम से प्राप्त किए गए थे.
रिपोर्ट में घोषित छह चुनावी बॉन्ड के लिए पार्टी ने विवरण के रूप में लिखा, ‘डाक से प्राप्त बिना नाम के चुनावी बॉन्ड.’
2018 में सरकार द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना शुरू किए जाने के बाद के वर्षों में सपा ने योगदान रिपोर्ट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा एक अन्य वर्ष- 2019-20 में भी की थी, जब इसे एक करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्ड मिले थे. यह उस साल सपा को मिली कुल योगदान राशि- 15.23 करोड़ का बड़ा हिस्सा था.
भाजपा और कांग्रेस सहित 2021-2022 के लिए सभी प्रमुख राष्ट्रीय दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट अभी तक उपलब्ध नहीं है. 2020-21 में भाजपा ने चुनावी बॉन्ड से आय में 22.38 करोड़ रुपये की घोषणा की थी, जो स्वैच्छिक योगदान से इसकी कुल आय का 4 फीसदी था.
वहीं, चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में कांग्रेस को अपनी कुल आय का लगभग 10 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड के माध्यम हुए योगदान से मिला.