भारत में क़रीब 14% लोगों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की ज़रूरत है. क़रीब 2% लोग गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त हैं. क़रीब 2 लाख लोग आत्महत्या जैसे क़दम उठाते हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को कहा कि भारत संभावित मानसिक स्वास्थ्य महामारी के मुहाने पर खड़ा है और मानसिक बीमारी से प्रभावित 90 प्रतिशत मरीज चिकित्सा सुविधा से वंचित हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में मानसिक बीमारी से प्रभावित लोगों में भारतीयों की संख्या काफी अधिक है.
हमारे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 में यह पाया गया है कि भारत की आबादी के करीब 14 प्रतिशत लोगों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की जरूरत है. करीब दो प्रतिशत लोग गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त हैं. करीब दो लाख लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं.
उन्होंने कहा कि यह आंकड़े चिंताजनक हैं. यह भी तथ्य है कि मेट्रोपोलिटन शहरों में रहने वाले और इसमें भी युवा और बच्चों को मानसिक बीमारी के सबसे अधिक खतरों का सामना करना पड़ रहा है. भारत में यह स्थिति हमारे लिए चिंताजनक है.
कोविंद ने कहा कि हमारे देश में युवाओं की अच्छी खासी संख्या है. देश की करीब 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है. हमारा समाज तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है. यह स्थिति संभावित मानसिक स्वास्थ्य महामारी का संकेत दे रही है.
उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों के बावजूद यह विडंबना है कि 90 प्रतिशत जरूरतमंद भारतीयों को मानसिक स्वास्थ्य सेवा नहीं प्राप्त हो रही है. इसके मार्ग में सबसे बड़ी बाधा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मरीजों में इसके बारे में इनकार की प्रवत्ति है.
इस विषय को नजरअदाज़ किया जाता है और इसके बारे में चर्चा नहीं होती है. कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां स्वयं मूल्यांकन करने के कारण स्थिति और खराब हो जाती है. ऐसे में कई बार लोगों द्वारा अतिवादी कदम उठाने का मामला भी सामने आया है.
राष्ट्रपति ने कहा कि एक समाज के रूप में हमें इस सांस्कृतिक धब्बे से लड़ना है. हमें मानसिक रोग और इसके उपचार से विभिन्न पहलुओं के बारे में चर्चा करनी है क्योंकि इसका उपचार हो सकता है. हमें इसे गुनाह की तरह छिपा कर नहीं रखना है.
राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि भारत सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में इस महत्वपूर्ण विषय के बारे में जागरूकता फैलाने को प्रमुखता दी गई है. इस कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 22 उत्कृष्ठता केंद्र का निर्माण करने की बात कही गई है.
इसके अलावा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत देश के 650 जिलों में से 517 को पहले ही इसके दायरे में लाया जा चुका है. उन्होंने कहा कहा कि मानसिक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के संदर्भ में यह जरूरी है कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र आपस में गठजोड़ करें, इसके साथ ही सरकार और सामाजिक संगठनों के बीच भी सहयोग बढ़े. ऐसे गठजोड़ से समाज को लाभ होगा.
कोविंद ने कहा कि कुछ हद तक ऐसी पहल से उस खाई को पाटा जा सकेगा जो संयुक्त परिवार की व्यवस्था के टूटने के कारण पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौती से निपटने के संदर्भ में दूसरा प्रमुख विषय मानव संसाधन से जुड़ा हुआ है. भारत की आबादी सवा सौ करोड़ है लेकिन केवल सात लाख डाक्टर ही हैं.
मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह स्थिति और भी विकट है. देश में केवल पांच हजार मनोचिकित्सक हैं और दो हजार से कम क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक हैं. यह संख्या अपर्याप्त है और हमें इस दिशा में काम करना है. राष्ट्रपति ने कहा कि योग इस दिशा में काफी सहयोगी हो सकता है. हमें अपने पारंपरिक ज्ञान का भी उपयोग करने की जरूरत है.