कलकत्ता हाईकोर्ट ने 53 प्राथमिक शिक्षकों को बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती में अनियमितताओं के लिए 53 प्राथमिक शिक्षकों को सेवा से बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया है. वे उन 269 लोगों में शामिल हैं, जिनकी सेवा अदालत ने पहले के अपने एक आदेश में समाप्त कर दी थी.

कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीपीडिया)

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती में अनियमितताओं के लिए 53 प्राथमिक शिक्षकों को सेवा से बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया है. वे उन 269 लोगों में शामिल हैं, जिनकी सेवा अदालत ने पहले के अपने एक आदेश में समाप्त कर दी थी.

कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीपीडिया)

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती में अनियमितताओं के लिए 53 प्राथमिक शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया.

वे उन 269 लोगों में शामिल हैं, जिनकी सेवा अदालत ने पहले के एक आदेश में समाप्त कर दी थी. उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि इन 269 व्यक्तियों को हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई का अवसर दिया जाए.

इस आदेश के अनुसार, 54 प्राथमिक शिक्षकों ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत का रुख कर हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिन्होंने इससे पहले उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश दिया था.

उनकी दलीलों पर गौर करने के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने शुक्रवार को इनमें से 53 प्राथमिक शिक्षकों को बर्खास्त करने का आदेश दिया.

वर्ष 2014 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने के बावजूद नौकरी से वंचित किए जाने का दावा करने वाले उम्मीदवारों की याचिका पर पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया था.

उन्होंने 269 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने का भी आदेश दिया था, जिन्हें टीईटी के परिणामों में अंकों और रैंक में हेरफेर के जरिये नौकरी मिली थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाईकोर्ट के एकल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि यद्यपि वे टीईटी-2014 परीक्षा में शामिल हुए थे, उम्मीदवारों के अंकों वाली और उनके संबंधित योग्यता पदों को दर्शाने करने वाली कोई सूची कभी प्रकाशित नहीं हुई थी और यह कि 273 उम्मीदवारों का एक अतिरिक्त पैनल अवैध रूप से तैयार किया गया था, जिन्हें टीईटी में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक उम्मीदवारों में से एक अतिरिक्त अंक दिया गया था.

इसमें यह दावा किया गया था कि इस एक अतिरिक्त अंक के बल पर 269 उम्मीदवार शिक्षकों की नौकरी के लिए योग्य हो गए और बाद में उन्हें नियुक्तियां मिल गईं.

पूर्व प्राथमिक विद्यालय बोर्ड के अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य, जो नादिया के पलाशीपारा से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक भी हैं, को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था, जो इस मामले में धन के लेन-देन की भी जांच कर रहा है.

मालूम हो कि इस मामले के आरोपी पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को भर्ती घोटाले के सिलसिले में बीते जुलाई महीने में गिरफ्तार किया गया था. साथ ही ईडी ने भर्ती घोटाले के सिलसिले में कोलकाता की एक अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया था.

ईडी ने घोटाले में कथित रूप से अर्पिता मुखर्जी से जुड़े कई परिसरों पर छापेमारी की थी. जांच एजेंसी ने घोटाले में छापेमारी के दौरान करीब 50 करोड़ रुपये की नकदी, विदेशी मुद्रा, आभूषण और सोने के बिस्कुट बरामद करने का दावा किया था.

पार्थ चटर्जी तृणमूल कांग्रेस सरकार में 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्री थे. चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मंत्री पद से हटाकर तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था.

सीबीआई ने 15 सितंबर को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली को स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाला मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था.

इस साल अगस्त में सीबीआई ने शांति प्रसाद सिन्हा और अशोक साहा को गिरफ्तार किया था, जो स्कूल सेवा आयोग द्वारा भर्ती की निगरानी करने वाली पांच सदस्यीय समिति का हिस्सा थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)