राजस्थान: ‘जन आक्रोश यात्रा’ स्थगित करने के बाद भाजपा पलटी, कहा- यह जारी रहेगी

बीते 20 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि अगर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा सकता है तो उन्हें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को स्थगित करने पर विचार करना चाहिए. इसी क्रम में राजस्थान में जारी ‘जन आक्रोश यात्रा’ को भाजपा ने स्थगित करने की बात कही थी.

राजस्थान में भाजपा की ओर से निकाली जा रही जन आक्रोश यात्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

बीते 20 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि अगर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा सकता है तो उन्हें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को स्थगित करने पर विचार करना चाहिए. इसी क्रम में राजस्थान में जारी ‘जन आक्रोश यात्रा’ को भाजपा ने स्थगित करने की बात कही थी.

राजस्थान में भाजपा की ओर से निकाली जा रही जन आक्रोश यात्रा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर कोरोनो वायरस के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर राजस्थान में अपनी ‘जन आक्रोश यात्रा’ को स्थगित करने का निर्णय लेने के कुछ घंटों बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि वह कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं आयोजित करने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ेगी.

राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते 1 दिसंबर को राज्य में ‘जन आक्रोश यात्रा’ की शुरुआत की थी.

बीते 22 दिसंबर को पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने कहा था, ‘राजस्थान में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर भाजपा ने ‘जन आक्रोश यात्रा’ को स्थगित कर दिया है. भाजपा के लिए राजनीति से पहले जनता आती है. हमारे लिए लोगों की सुरक्षा, उनका स्वास्थ्य प्राथमिकता है.’

उन्होंने कांग्रेस से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के साथ भी ऐसा ही करने को कहा था.

हालांकि इसके कुछ घंटे बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा था कि यात्रा स्थगित करने को लेकर कुछ भ्रम है. उन्होंने कहा था कि जनसभाएं चलती रहेंगी.

उन्होंने पटना में एक वीडियो बयान में कहा था, ‘अब तक 41 विधानसभा क्षेत्रों में जन आक्रोश सभाओं का आयोजन किया जा चुका है. चूंकि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है, इसलिए कुछ असमंजस की स्थिति थी. भ्रम यात्राओं को स्थगित करने के बारे में था, लेकिन हमारी जनसभाएं होंगी.’

उसी दिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी कोविड-19 मामलों में वैश्विक वृद्धि पर चिंता जताते हुए लोगों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने सहित अन्य सावधानियों का पालन करने की सलाह दी थी.

मंत्री ने कहा था कि हवाई अड्डों ने 22 दिसंबर को देश के 2 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर रैंडम आरटी-पीसीआर टेस्ट करना भी शुरू कर दिया है.

उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित संसद के अधिकांश मंत्रियों को भी सदम में मास्क पहने देखा गया था.

इस घटनाक्रम से पहले बीते 20 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि अगर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा सकता है तो उन्हें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को स्थगित करने पर विचार करना चाहिए.

मंडाविया ने राहुल गांधी को यह पत्र राजस्थान भाजपा के तीन सांसदों द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर चिंता जताए जाने बाद भेजा था.

मंडाविया द्वारा यह पत्र लिखे जाने के बाद बीते 21 दिसंबर को पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा था कि सरकार कोविड-19 को लेकर नियमों एवं प्रोटोकाल की घोषणा करे, जिनका वह पालन करेगी, लेकिन नियम सबके लिए होने चाहिए.

पार्टी के प्रचार एवं मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने सवाल भी किया था कि स्वास्थ्य मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान और कर्नाटक इकाई के नेताओं को पत्र क्यों नहीं लिखा, जो इन दिनों यात्राएं निकाल रहे हैं?

उन्होंने कहा था, ‘भाजपा के नेताओं का हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने राहुल गांधी जी को पत्र लिखा है. क्या इसी तरह का पत्र भाजपा की राजस्थान इकाई के सतीश पूनिया को भेजा गया है जो ‘जन आक्रोश यात्रा’ निकाल रहे हैं? क्या स्वास्थ्य मंत्री ने कर्नाटक में भाजपा के नेताओं को पत्र लिखा, जहां वो एक यात्रा निकाल रहे हैं? मैं मानता हूं कि भाजपा की यात्राओं में भीड़ नहीं आ रही है और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में लाखों की भीड़ आ रही है.