आईसीआईसीआई बैंक क़र्ज़ मामला: वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत गिरफ़्तार

इससे पहले सीबीआई ने बीते सप्ताह आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है.

New Delhi: In this Wednesday, Nov. 2, 2022 file photo, Videocon Group's Venugopal Dhoot arrives at the Enforcement Directorate (ED) office, in New Delhi. CBI on Monday, Dec 26, 2022 arrested Dhoot in connection with the ICICI Bank loan fraud case. (PTI Photo) (PTI12_26_2022_000122B)

इससे पहले सीबीआई ने बीते सप्ताह आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है.

वेणुगोपाल धूत की बीते माह की तस्वीर, जब वह नई दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय पहुंचे थे. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक ऋण मामले में वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि एजेंसी ने मुंबई में सुबह धूत (71) से थोड़ी देर पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया. इससे कुछ घंटे पहले ही आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को विशेष अदालत में उनकी हिरासत संबंधी सुनवाई के लिए पेश किया था.

उन्होंने बताया कि सीबीआई इन तीनों और अन्य संदिग्धों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर विचार कर रही है.

कोचर दंपति की तीन दिन की हिरासत सोमवार को समाप्त हो रही है , उन्हें 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई ने चंदा कोचर और उनके पति दीपक को जांच में सहयोग नहीं करने और स्पष्ट जवाब न देने के आरोप में हिरासत में ले लिया था.

चंदा कोचर ने अपने पति और धूत के बीच किसी भी तरह के आर्थिक लेन-देन की जानकारी होने से इनकार किया, जिसका एजेंसी ने 24 दिसंबर को मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान दावा किया था.

कोचर दंपति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा, ‘ऋण लेने वाले मुख्य कर्जदार को गिरफ्तार नहीं किया गया है और वर्तमान आरोपी किसी भी राशि के लाभार्थी नहीं थे.’

देसाई ने जुलाई 2021 में आईसीआईसीआई बैंक द्वारा सीबीआई को लिखे एक पत्र को भी अदालत के संज्ञान में रखा, जिसमें कहा गया था कि उसे उन गतिविधियों से कोई नुकसान नहीं हुआ है, जो सवालों के घेरे में है.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कोचर दंपति और धूत के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-2019 के तहत दर्ज एफआईआर में आरोपी बनाया है.

एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं.

एफआईआर के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2019 में सीबीआई ने कोचर, धूत और नूपावर रिन्यूएबल्स एवं वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज समेत कुछ फर्मों के खिलाफ कथित रूप से आईसीआईसीआई बैंक से 1,730 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी.

अपनी एफआईआर में सीबीआई ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) और अज्ञात लोक सेवकों को मामले में आरोपी बनाया है.

इसने आरोप लगाया कि ‘आरोपी (चंदा कोचर) ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ एक आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए.’ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

सीबीआई ने कहा कि यह राशि 40,000 करोड़ रुपये के ऋण का हिस्सा थी, जिसे वीडियोकॉन समूह ने एसबीआई के नेतृत्व वाले 20 बैंकों के समूह से हासिल किया था. 3,250 करोड़ रुपये के ऋण का लगभग 86 प्रतिशत (2,810 करोड़ रुपये) का भुगतान नहीं किया गया. वीडियोकॉन के खाते को 2017 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था.

सीबीआई ने एफआईआर में यह भी कहा था कि जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह की पांच कंपनियों को दिए गए सावधि ऋण ‘बैंक के क्रेडिट नियमों के उल्लंघन कर दिए गए थे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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