बीते अक्टूबर में तेलंगाना पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया था, जो कथित तौर पर सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के चार विधायकों को सौ-सौ करोड़ रुपये की पेशकश करके भाजपा के पक्ष में करने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे. तेलंगाना सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी.
हैदराबाद: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों की खरीद-फरोख्त की कथित कोशिश के मामले की जांच सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित कर दी.
मामले की जांच अब तक राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही थी. उच्च न्यायालय ने एसआईटी भंग कर दी और पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच भी रद्द कर दी.
मामले में तीन आरोपियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं और मामले को एसआईटी से किसी स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई को हस्तांतरित करने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुरोध पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर भाजपा की याचिका खारिज कर दी.
हालांकि, उच्च न्यायालय ने आरोपियों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी.
याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध करते हुए कहा था कि निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का हिस्सा है.
रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदु कुमार और सिम्हायजी स्वामी नाम के तीन व्यक्तियों को मामले में नामजद आरोपी बनाया गया है. दरअसल, टीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी सहित चार विधायकों ने उनके खिलाफ 26 अक्टूबर को एक शिकायत दायर की थी.
तीनों नामजद आरोपियों को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे सत्तारूढ़ टीआरएस के चार विधायकों को प्रलोभन देने की कथित तौर पर कोशिश कर रहे थे. हाल में, उन्हें उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी.
एफआईआर की प्रति के मुताबिक, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी और इसके बदले में विधायकों को टीआरएस (अब बीआरएस) छोड़ना था तथा अगला विधानसभा चुनाव भाजपा उम्मीदवार के रूप में लड़ना पड़ता.
इस घटनाक्रम को के. चंद्रशेखर राव की सरकार के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा सकता है, जो केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को घेर रही है.
केसीआर ने कई मौकों पर आरोप लगाया है कि उक्त विवाद में भाजपा की स्पष्ट भूमिका थी और कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को तेलंगाना में टीआरएस सरकार को गिराने के कथित प्रयासों के बारे में पता था.
बता दें कि 26 अक्टूबर को तेलंगाना पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया था, जो सत्तारूढ़ टीआरएस के चार विधायकों में से प्रत्येक को 100 करोड़ रुपये की पेशकश करके भाजपा के पक्ष में करने के लिए कथित रूप से हैदराबाद पहुंचे थे.
पुलिस के अनुसार आरोपियों की पहचान हरियाणा के फरीदाबाद के पुजारी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्रीमनाथ राजा पीठम के पुजारी संत डी. सिम्हयाजी और हैदराबाद में डेक्कन प्राइड नामक रेस्तरां के मालिक नंदकुमार के रूप में हुई थी.
गिरफ्तारी से एक दिन पहले अलग से मुख्य आरोपी रामचंद्र भारती और टीआरएस के एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का एक कथित ऑडियो क्लिप सामने आया था.
कथित ऑडियो क्लिप ने संकेत दिया कि टीआरएस विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए लुभाने के कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंजूरी मिली थी, जिसे क्लिप में क्रमशः ‘नंबर एक’ और ‘नंबर दो’ के रूप में संदर्भित किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)