अर्थशास्त्री पी. पुल्लाराव ने इन आरोपों के साथ एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था कि पोलावरम बांध परियोजना में पर्यावरण मंज़ूरी देने में नियमों का उल्लंघन हुआ है, लेकिन एनजीटी ने इस संबंध में विभिन्न संस्थानों की रिपोर्ट पर विचार किए बिना ही मामले को बंद कर दिया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पोलावरम बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी में कथित उल्लंघन के आरोप संबंधी एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है.
पोलावरम परियोजना आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले और पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है.
मामले की सिंचाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने जवाब मांगते हुए केंद्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा को नोटिस जारी किया.
पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी किया जाता है और फरवरी, 2023 तक जवाब दिया जाना चाहिए.’
सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के एक आदेश के खिलाफ अर्थशास्त्री पी. पुल्लाराव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. एनजीटी ने उन्हें अपनी याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था.
अधिवक्ता श्रवण कुमार के जरिये दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि एनजीटी ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर विचार किए बिना मामले को अचानक बंद कर दिया.
याचिका में कहा गया है, ‘अपीलकर्ता का कहना है कि उल्लंघन से संबंधित जो आरोप लगाए गए हैं, वह पर्यावरण के उल्लंघन और परियोजना अधिकारियों द्वारा पर्यावरण मंजूरी में लगाए गए अनिवार्य और एहतियाती शर्तों को लागू नहीं करने से संबंधित हैं.’
पुल्लाराव ने स्थल पर पर्यावरण के उल्लंघन का आरोप लगाया था और दावा किया था कि परियोजना स्थल के पास कृषि भूमि पर भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ फेंके जा रहे हैं.
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बुधवार (28 दिसंबर) को मुलाकात कर पोलावरम परियोजना की संशोधित लागत 55,548.87 करोड़ रुपये के अनुमान को जल्द मंजूरी देने की मांग की थी.
उन्होंने प्रधानमंत्री से शिकायत की थी कि राज्य सरकार द्वारा परियोजना पर खर्च किए गए 2,937.92 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति अपने स्वयं के राजस्व से नहीं करने के अलावा केंद्र ने पेयजल आपूर्ति प्रणाली को परियोजना से अलग मानने का भी गलत विकल्प चुना है.
उन्होंने बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 41.15 मीटर करने के प्रयासों के मद्देनजर भूमि अधिग्रहण शुरू करने और विस्थापित परिवारों के राहत और पुनर्वास के कार्यों को शुरू करने के लिए तदर्थ आधार पर तत्काल 10,485.38 करोड़ रुपये जारी करने की भी प्रधानमंत्री से अपील की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)