लक्षद्वीप के ज़िलाधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस केंद्रशासित प्रदेश के 36 में 17 निर्जन द्वीपों पर नारियल की खेती के लिए मज़दूरों के अस्थायी ढांचे बने हुए हैं. प्रशासन ने आशंका जताई है कि मज़दूरों के साथ ऐसे लोग भी वहां पहुंच सकते हैं, जो अवैध, असामाजिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं.
कवरत्ती: लक्षद्वीप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और लोक सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए कुल 36 में से 17 निर्जन द्वीपों में पूर्व अनुमति के बिना प्रवेश पर रोक लगा दी है.
इस केंद्रशासित प्रदेश के ये 17 द्वीप निर्जन हैं और इन द्वीपों पर जाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) की अनुमति की जरूरत होगी.
लक्षद्वीप के जिलाधिकारी ने इन द्वीपों में लोगों के प्रवेश पर रोक लगाए जाने की घोषणा की. उन्होंने इस संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत यह घोषणा की.
प्रशासन द्वारा 28 दिसंबर को किया गया फैसला निर्जन द्वीपों से आतंकी या तस्करी गतिविधियों को रोकने के लिए किया गया है. उन द्वीपों पर नारियल की खेती के लिए मजदूरों के अस्थायी ढांचे बने हुए हैं.
प्रशासन ने आशंका जताई है कि मजदूरों के साथ ऐसे लोग भी वहां पहुंच सकते हैं, जो अवैध, असामाजिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं.
आदेश के अनुसार, ‘चूंकि कुछ निर्जन द्वीपों पर नारियल की खेती से संबंधित मजदूरों के रहने के लिए अस्थायी संरचनाएं बनी हुई हैं, इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन मजदूरों के साथ-साथ ऐसे व्यक्ति, जो अवैध, असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों जैसे तस्करी, हथियार या नशीले पदार्थों को छिपाने के लिए आश्रय या ठिकाने की तलाश करते हैं, यहां पहुंच सकते हैं.’
आदेश में कहा गया है कि आतंकवादी समूहों या संगठनों द्वारा देश के महत्वपूर्ण संस्थानों और भीड़भाड़ वाली जगहों पर हमला करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने की आशंका के मद्देनजर एहतियाती उपाय जरूरी हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जिलाधिकारी ने आदेश में कहा, ‘आतंकवाद, हिंसा और राष्ट्र-विरोधी, तस्करी, अवैध और असामाजिक गतिविधियों की संभावना के साथ-साथ देश के महत्वपूर्ण सैन्य और अर्ध-सैन्य, औद्योगिक और धार्मिक स्थानों पर हमलों के माध्यम से लोगों में भय और आतंक को रोकने के लिए मुझे लक्षद्वीप के 17 निर्जन द्वीपों में पूर्व लिखित अनुमति के बिना प्रवेश पर रोक लगाना उचित लगता है.’
जिलाधिकारी ने अपने आदेश में चेतावनी दी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा) के तहत सजा दी जा सकती है. इस धारा में एक से छह महीने की जेल या जुर्माने का प्रावधान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)