बीते 30 दिसंबर को 10 महिलाओं ने अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू किया था. भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से 1984 में दो-तीन दिसंबर की दरम्यानी रात गैस का रिसाव होने से 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित भी हुए.
भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए उचित अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित नीलम पार्क में एक दिन पहले अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन पर बैठीं सभी 10 महिलाओं ने राज्य एवं केंद्र सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद शनिवार शाम को अपना अनशन समाप्त कर दिया.
सन 1984 की यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड गैस हादसे से पीड़ित इन 10 महिलाओं ने इस घटना में मर गए लोगों के परिवारों और घायलों के लिए उचित अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर यह अनशन शुरू किया था.
सत्याग्रह का नेतृत्व गैस पीड़ितों के पांच संगठनों के नेता कर रहे थे. इन संगठनों में भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा एवं चिल्ड्रेन अगेंस्ट डाव केमिकल शामिल थे.
मालूम हो कि भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से 1984 में दो-तीन दिसंबर की दरम्यानी रात मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव होने से 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. जहरीले रिसाव से पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित भी हुए.
इन संगठनों द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड हादसे के पीड़ितों के पांच संगठनों ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद शनिवार शाम 10 गैस पीड़ित महिलाओं का बिन पानी अनशन समाप्त कर दिया.’
विज्ञप्ति के अनुसार, शनिवार दोपहर में पांचों संगठनों के नेताओं के साथ एक फोन कॉल में राज्य सरकार में भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास मंत्री ने पीड़ित संगठनों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और आंकड़ों के साथ सहमति व्यक्त की और चार जनवरी 2023 को बैठक में सहमति को अंतिम रूप देने का वादा किया.
संगठनों ने यह भी कहा कि इससे पहले दोपहर में अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने संगठनों के वकील को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों को उन कागजातों में शामिल किया जाएगा जिन्हें अतिरिक्त मुआवजा के लिए सुधार याचिका पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.
इसमें कहा गया है कि 10 गैस पीड़ित महिलाओं ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दिए गए फलों का रस पीकर अपना 29 घंटे का बिन पानी का अनशन तोड़ा.
बयान में कहा गया है, ‘पिछले 38 वर्षों की सभी बाधाओं और कई निराशाओं के बावजूद, हम आशा करते हैं कि नए साल की शुरुआत दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा से बचे लोगों के लिए एक उम्मीद के साथ हुई है.’
बीते 30 दिसंबर को जब यह अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू हुआ तो इसका नेतृत्व कर रहे गैस पीड़ितों के पांच संगठनों की ओर से कहा गया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि गैस रिसाव में केवल 5,295 लोग मारे गए, जबकि इससे होने वाली बीमारियों से हजारों लोग मर रहे हैं और मरने वालों की संख्या 25,000 के करीब हो सकती है. उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोपी डाव केमिकल से चंदा लेने का भी आरोप लगाया.
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी. ने कहा था, ‘ये सभी लंबे समय से गैस जनित बीमारियों से पीड़ित हैं और हादसे के कारण अधिकांश ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है. कुछ के बच्चे और पोते जन्मजात विकृतियों वाले हैं. फिर भी 93 प्रतिशत प्रभावित आबादी की तरह, उन्हें त्रासदी के कारण घायल होने के लिए केवल 25,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)