छत्तीसगढ़: ईसाइयों पर भीड़ के हमले में पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल

घटना बस्तर संभाग के नारायणपुर ज़िले के गोर्रा गांव में हुई, जहां ईसाई परिवारों की एक बैठक पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया. लगभग दो हफ्ते पहले क्षेत्र के ग्रामीणों ने नारायणपुर कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया था कि हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है.

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घटना बस्तर संभाग के नारायणपुर ज़िले के गोर्रा गांव में हुई, जहां ईसाई परिवारों की एक बैठक पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया. लगभग दो हफ्ते पहले क्षेत्र के ग्रामीणों ने नारायणपुर कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया था कि हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है.

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के गोर्रा गांव में रविवार को ईसाई परिवारों पर हुए कथित हमले में एक पुलिस अधिकारी समेत कई लोग घायल हो गए.

द हिंदू के अनुसार, कुछ घायल व्यक्तियों ने पत्रकारों को बताया कि लगभग एक दर्जन ईसाइयों पर करीब 400 से 500 लोगों की भीड़ द्वारा हमला किया गया था, जिसमें गोर्रा गांव के लोग और बाहरी लोग शामिल थे.

एक पीड़ित महिला ने बताया, ‘हमें एक बैठक में भाग लेने के लिए बुलाया गया था और जब हम पहुंचे, तो हम पर लाठियों से हमला किया गया. उन्होंने हम पर विदेशी धर्म का पालन करने का आरोप लगाया और हमें पास के जंगलों में शरण लेने के लिए मजबूर किया.’

हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसे दो समूहों के बीच झड़प बताया और कहा कि झड़पों में आठ लोग घायल हुए हैं. जमीनी सूत्रों का दावा है कि इस तरह की घटनाओं की सूचना अन्य गांवों से भी मिली है.

हालिया घटना जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में ईसाई परिवारों पर समन्वित हमलों और उन्हें भगा देने के कथित प्रयास के दो सप्ताह बाद सामने आई है.

छत्तीसगढ़ के दैनिक हरिभूमि के अनुसार, मारपीट की इस घटना में एडका थाना प्रभारी भी घायल हुए हैं. नारायणपुर में प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर रूप से घायलों को जगदलपुर रेफर किया गया है.

अख़बार के अनुसार, इसके बाद सर्व आदिवासी समाज ने सोमवार को बंद का आह्वान किया और नारायणपुर-कोंडागांव स्टेट हाईवे को जाम कर दिया.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले द वायर  ने एक रिपोर्ट में बताया था कि दिसंबर महीने में ईसाई-विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने नारायणपुर कलेक्ट्रेट पर बड़ा प्रदर्शन किया था.

उन्होंने कलेक्टर को सौंपे एक ज्ञापन में आरोप लगाया था कि आरएसएस और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है. उनकी मांग थी कि दोषियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए. कार्रवाई के आश्वासन के बाद ग्रामीण अपने-अपने गांव लौटे थे.

द वायर  द्वारा जांचे गए दस्तावेज बताते हैं कि अकेले 18 दिसंबर को 20 हमले दर्ज किए गए; 18 दिसंबर की हिंसा को छोड़कर 21 दिसंबर तक हिंसा की 21 अलग-अलग घटनाएं हुईं हैं, जिनमें नवंबर में 15 और अक्टूबर माह में 3 हुईं.

कलेक्ट्रेट में दी गई शिकायत के मुताबिक, बस्तर के चेरांग में 50 लोगों को पीटा गया और उनके घरों से भगा दिया गया. हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में भाटपाल, मोडेंगा और गोहड़ा ईसाईयों पर हमले हुए. शिकायत में कहा गया है कि बोरवंड से भी हिंसक हमले और तोड़-फोड़ की एक घटना की सूचना मिली थी.

स्थानीय लोगों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि जो लोग ईसाई धर्म का पालन कर रहे हैं, उन्हें विभिन्न गांवों के नेताओं द्वारा हिंसा के लिए उकसाने के बाद निशाना बनाया गया.