कर्नाटक: व्यवसायी आत्महत्या मामले में भाजपा विधायक अरविंद लिंबावली और अन्य पर केस दर्ज

पुलिस ने बताया कि 47 वर्षीय व्यवसायी ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें कर्नाटक के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अरविंद लिंबावली सहित छह लोगों को आत्महत्या करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है. इससे पहले भाजपा विधायक केएस ईश्वरप्पा का नाम एक ठेकेदार की आत्महत्या मामले में आया था, जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

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अरविंद लिंबावली. (फोटो साभार: फेसबुक)

पुलिस ने बताया कि 47 वर्षीय व्यवसायी ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें कर्नाटक के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अरविंद लिंबावली सहित छह लोगों को आत्महत्या करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है. इससे पहले भाजपा विधायक केएस ईश्वरप्पा का नाम एक ठेकेदार की आत्महत्या मामले में आया था, जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

अरविंद लिंबावली. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के एक 47 वर्षीय व्यवसायी ने रविवार को अपनी कार के अंदर कथित तौर पर खुद को सिर में गोली मार ली.

पुलिस के अनुसार, बेंगलुरु के ह्वाइटफील्ड निवासी प्रदीप एस. ने अंग्रेजी में आठ पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अरविंद लिंबावली सहित छह लोगों को यह कदम उठाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

पुलिस ने बताया कि प्रदीप रविवार शाम को बेंगलुरु के नेतिगेरे में अपनी कार में मृत पाए गए. उन्होंने कथित तौर पर खुद को सिर में गोली मार ली थी. इस संबंध में भाजपा विधायक और अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पुलिस ने सोमवार को बताया कि भाजपा विधायक अरविंद लिंबावली उन छह लोगों में शामिल हैं, जिनके नाम एक व्यवसायी की मौत के मामले में एफआईआर में दर्ज हैं.

एफआईआर में आरोपी नंबर 3 के रूप में महादेवपुरा से भाजपा विधायक लिंबावली का नाम दर्ज है. एफआईआर में शामिल अन्य लोगों में गोपी के., सोमैया, रमेश रेड्डी जी., जयराम रेड्डी और राघव भट हैं.

कागलीपुरा थाने में मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर सुसाइड नोट के साथ प्रदीप की पत्नी की शिकायत पर आधारित है.

लिंबावली के खिलाफ दर्ज मामले को लेकर एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है. भविष्य में भी कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.’

पुलिस के अनुसार, सुसाइड नोट में प्रदीप के साथ अन्याय करने वाले छह आरोपियों की ओर इशारा किया गया है, उन्होंने न्याय की मांग की है कि व्यक्तियों को दंडित किया जाना चाहिए.

पुलिस ने कहा कि पता चला है कि प्रदीप ने गोपी, सोमैया और अन्य लोगों के साथ एक रिसॉर्ट परियोजना में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का निवेश 2018 में किया था. प्रदीप को इसमें हिस्सेदारी देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें कथित तौर पर धोखा दिया गया.

बताया जा रहा है कि भाजपा विधायक लिंबावली ने उनके बीच समझौता कराने की कोशिश की थी और प्रदीप को उनका बकाया चुकाने के लिए एक महीने पहले एक समझौता हुआ था, लेकिन प्रदीप को पूरा पैसा नहीं मिला.

पुलिस ने बताया कि प्रदीप शनिवार (31 दिसंबर) रात अपने परिवार के साथ नया साल मनाने के लिए नेतिगेरे के एक रिसॉर्ट में गए थे.

पुलिस के अनुसार, प्रदीप रविवार सुबह यह कहकर रिजॉर्ट से निकल गए थे कि उन्हें कहीं जाना है, लेकिन इसके बजाय वह घर चले गए थे. यहां उन्होंने सुसाइड नोट लिखा और रिसॉर्ट लौट आए. इसके बाद शाम को उन्होंने अपनी कार में खुद को गोली मार ली.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में लिंबावली ने बताया, ‘मुझे पता चला है कि (सुसाइड) नोट में मेरा नाम है. वह (प्रदीप) 2010 से 2013 के बीच मेरे सोशल मीडिया को हैंडल करते थे. अपने एक कारोबारी विवाद को वह मेरे संज्ञान में लाए थे और मैंने उन्हें और उनके सहयोगियों से इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कहा था.

भाजपा विधायक ने आगे कहा, ‘मैंने यह भी नहीं पूछा कि उन्होंने कितना निवेश किया है, न ही साझेदारों को कोई सुझाव दिया था कि उन्हें कितना भुगतान करने की आवश्यकता है. बाद में वह (प्रदीप) आए और मुझे धन्यवाद दिया था. मुझे नहीं पता कि उन्होंने आत्महत्या क्यों की या नोट में मेरा नाम क्यों लिखा गया है?’

सुसाइड नोट के अनुसार, रिजॉर्ट में निवेश करने को लेकर प्रदीप को 3 लाख रुपये का लाभ और हर महीने 1.5 लाख रुपये वेतन देने का वादा किया गया था. प्रदीप ने दावा किया कि लंबे समय से उन्हें कुछ नहीं दिया गया. उन्होंने अन्य पांच आरोपियों का समर्थन करने के लिए लिंबावली को दोषी ठहराया.

इन दावों के बारे में पूछे जाने पर भाजपा विधायक लिंबावली ने कहा, ‘वह (प्रदीप) मेरे कार्यालय छोड़ने के बाद भी यह कहते हुए पार्टी के काम में सक्रिय थे कि वह एक व्यवसाय शुरू करेंगे, इसलिए मेरे संपर्क में थे. यहां तक कि वह अपनी पत्नी पर अफेयर का आरोप लगाने के लिए मेरे पास आए थे तो मैंने उन्हें यह कहकर लौटा दिया था कि वह अपने निजी मामलों को मेरे पास न लाएं.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रिसॉर्ट से कहीं जाने का बहाना बनाकर घर गए प्रदीप ने तीन सुसाइड नोट लिखे और एक पत्नी की अलमारी में रख दिया. फिर रिसॉर्ट लौट आए. नोट की दूसरी प्रति अपने एक रिश्तेदार की कार के वाइपर ब्लेड पर फंसा दी और तीसरी प्रति को अपनी कार में रख दिया था.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले मई 2022 में पुलिस ने प्रदीप के खिलाफ पत्नी नमिता से कथित तौर पर मारपीट करने का मामला दर्ज किया था.

बेलंदूर पुलिस स्टेशन में उनकी पत्नी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर दर्ज एक एफआईआर में कहा गया है कि प्रदीप ने नमिता को थप्पड़ मारा और दोनों के बीच हुई बहस को लेकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया था. शिकायत में नमिता ने कहा था कि प्रदीप ने उसके साथ गाली-गलौज की और पिस्टल से गोली मारने की धमकी दी थी.

मालूम हो कि इससे पहले कर्नाटक में भाजपा के वरिष्ठ विधायक केएस ईश्वरप्पा का नाम एक ठेकेदार की आत्महत्या मामले में सामने आया था.

अप्रैल 2022 में उडुपी के एक होटल में बेलगावी के एक ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के बाद शिवमोगा से विधायक ईश्वरप्पा ने ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस मामले में उन पर 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगा था.

ईश्वरप्पा के खिलाफ ठेकेदार की मौत को लेकर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. ठेकेदार ने ईश्वरप्पा एवं उनके करीबियों पर 2021 में बेलगावी के हिंदलगा गांव में एक उत्सव से पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने के बाद इसके बिल को मंजूर कर राशि जारी करने के लिए 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाया था.

ईश्वरप्पा ने न केवल इस आरोप को खारिज कर दिया था, बल्क ठेकेदार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर कराया था.

मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले केएस. ईश्वरप्पा ने दिसंबर 2022 में एक बयान में कहा था कि जब तक उन्हें दोबारा मंत्री नहीं बनाया जाता, तब तक वह विधानसभा सत्र में भाग नहीं लेंगे.

ईश्वरप्पा ने पत्रकारों से कहा था कि ठेकेदार आत्महत्या मामले में जांच एजेंसी द्वारा क्लीनचिट दिए जाने के बावजूद उन्हें मंत्री पद से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि वह बेलागवी जाएंगे, जहां विधानमंडल का सत्र चल रहा है, लेकिन इसमें भाग नहीं लेंगे.