राजौरी आतंकी हमला: चार लोगों की मौत के बाद आईईडी विस्फोट में भाई-बहन की जान गई

जम्मू कश्मीर में राजौरी ज़िले के डांगरी गांव में बीते रविवार को आतंकवादियों ने चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस तरह इस आतंकी हमले में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय लोगों का दावा है कि सुरक्षा चूक के कारण विस्फोट की यह घटना हुई.

राजौरी जिले के डांगरी गांव में, जहां 2 जनवरी को आईईडी विस्फोट हुआ था, सेना के जवान तलाशी लेते हुए. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर में राजौरी ज़िले के डांगरी गांव में बीते रविवार को आतंकवादियों ने चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस तरह इस आतंकी हमले में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय लोगों का दावा है कि सुरक्षा चूक के कारण विस्फोट की यह घटना हुई.

राजौरी जिले के डांगरी गांव में, जहां 2 जनवरी को आईईडी विस्फोट हुआ था, सेना के जवान तलाशी लेते हुए. (फोटो: पीटीआई)

राजौरी/जम्मू: जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के डांगरी गांव में सोमवार को एक आईईडी विस्फोट में दो चचेरे भाई-बहन की मौत हो गई. इसी गांव में 14 घंटे पहले (एक जनवरी को) ही आतंकवादियों ने चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इस तरह इस आतंकी हमले में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है और 12 अन्य घायल हुए हैं.

स्थानीय लोगों का दावा है कि संभवत: सुरक्षा चूक के कारण विस्फोट की यह घटना हुई.

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि आतंकवादियों ने आईईडी (विस्फोटक उपकरण) रविवार (एक जनवरी) को लगाया था और शाम को गोलीबारी के बाद इलाके की घेराबंदी करने वाली पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा जांच किए जाने के दौरान विस्फोटक का पता नहीं चल सका था.

स्थानीय निवासियों ने बताया कि डांगरी गांव में रविवार को हुए हमले के पीड़ित प्रीतम लाल नाम के व्यक्ति के घर के पास हुए विस्फोट में समीक्षा शर्मा (16) और विहान कुमार शर्मा (4) की मौत हो गई. सोमवार सुबह करीब 9:30 बजे हुए विस्फोट के समय मकान में लाल के रिश्तेदारों सहित कई लोग थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे दीपक शर्मा के भतीजे और भतीजी थे, जो रविवार शाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों में शामिल थे.

23 वर्षीय दीपक के अलावा सतीश कुमार (45 वर्ष), दीपक कुमार (23 वर्ष), प्रीतम लाल (57 वर्ष) और शिशुपाल (32 वर्ष) की इस हमले में मौत हो गई थी. एक रिश्तेदार ने बताया कि दीपक गणित में एमए थे. हाल ही में उनका चयन सेना में हो गया था. अगले सप्ताह में वह जॉइन करने वाले थे.

डांगरी गांव में लगभग 1,000 घर हैं, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. हमले की जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि दो आतंकवादियों ने सबसे पहले रविवार शाम करीब पौने छह बजे दीपक शर्मा के घर पर गोलियां चलाईं, जिसमें उनके छोटे भाई और एक चचेरे भाई को घायल कर दिया. अपने घर के बाहर सड़क पर खड़े दीपक शर्मा जब अंदर भागे तो उन्हें गोली मार दी गई.

रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद आतंकवादी कथित तौर पर प्रीतम लाल के पड़ोस के घर में चले गए, जो अपने दो नाबालिग पोते और बहू के साथ आंगन में बैठे थे. हमलावरों ने कथित तौर पर उनसे अपना आधार कार्ड दिखाने के लिए कहा. जब प्रीतम लाल इसे लेने के लिए अंदर गए तो आतंकवादियों ने कथित तौर पर उनकी बहू और पोते को रसोई में बंद कर दिया और उन्हें गोली मार दी. पड़ोस में रिश्तेदार के घर गए उनके बेटे शिशुपाल जब अपने घर पहुंचे तो उन्हें भी गोलियों से भून दिया गया.

इसके बाद आतंकवादी कथित तौर पर एक पूर्व सैनिक सतीश कुमार के घर गए. मुंबई में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत सतीश कुमार 10-12 दिन पहले अपने चाचा की पुण्यतिथि में शामिल होने के लिए घर आए थे.

आतंकवादियों ने फिर कथित तौर पर चौथे घर को निशाना बनाया. यह चंदर प्रकाश का घर था. अंदर केवल एक महिला और एक नाबालिग लड़की मिलीं. यहां आतंकी दीवारों पर गोलियां बरसाकर वे चले गए.

इसी दौरान ग्रामीण मौके पर पहुंचे. ग्रामीणों ने कहा कि इसके बाद बंसीलाल ने अपने हथियार से गोलियां चलाईं, जिसके बाद आतंकवादी भाग गए। दोनों आतंकवादी अब भी फरार हैं.

ग्राम सरपंच दीपक कुमार ने कहा कि यह पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से सुरक्षा में गंभीर चूक है. उन्होंने राजौरी में संवाददाताओं से कहा, ‘यह सुरक्षा एजेंसियों द्वारा गंभीर सुरक्षा चूक है. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए.’

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदर्शन करने वाले स्थानीय लोगों की मांग पर गांव का दौरा किया, जिन्होंने शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने सोमवार रात घोषणा की कि कथित ‘सुरक्षा चूक’ की जांच की जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का वादा किया.

उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण रक्षा समिति को तत्काल मजबूत किया जाएगा.

स्थानीय प्रतिनिधियों और पीड़ितों के परिवारों के साथ बैठक में उपराज्यपाल ने कहा, ‘हमने सुरक्षा बलों को पूरी आजादी दी है और मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस हमले के दोषियों को जल्द सजा मिलेगी. आतंकियों और आतंक के पूरे तंत्र को कुचलना हमारा दृढ़ संकल्प है.’

घटना के कारण राजौरी शहर सहित पूरे जिले में प्रदर्शन होने और पूर्ण बंद की स्थिति रहने के बीच पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि आईईडी (विस्फोटक उपकरण) विस्फोट का मकसद वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाना था, जो वहां पहुंचने वाले थे.

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए यह एक सुनियोजित हमला था. उन्होंने राजौरी में संवाददाताओं से कहा, ‘अधिकारी घटनास्थल पर देर से पहुंचे. तब तक घटना हो चुकी थी.’

उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें (हमलावरों को) मुंहतोड़ जवाब देंगे.’

डीजीपी ने घोषणा की है कि ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) को हथियारों से फिर से लैस किया जाएगा. दरअसल, कुछ प्रदर्शनकारी नेताओं और स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि यदि अधिकारियों ने वीडीसी के हथियार वापस नहीं लिए होते तो घटना टाली जा सकती थी.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य विबोध गुप्ता ने आरोप लगाया कि वीडीसी की 60 प्रतिशत बंदूकें वापस ले ली गई हैं.

गुप्ता ने डीजीपी से कहा, ‘यह बाल कृष्ण (नामक व्यक्ति) थे, जिनके पास एक बंदूक थी और उन्होंने जवाबी गोलीबारी की, जिससे आतंकी भागने को मजबूर हुए. उनके इस कार्य ने गांव के 40 से अधिक लोगों की जान बचाई.’

डीजीपी ने प्रदर्शनकारियों से भी मुलाकात की, जो मौके पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पहुंचने तक मृतकों की अंत्येष्टि करने से इनकार कर रहे थे. शाम में सिन्हा गांव में पहुंचे, जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

उपराज्यपाल ने ग्राम सरपंचों और पुलिस के साथ बैठक से पहले लोगों से कहा कि शोकाकुल परिवारों को हर सहायता दी जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘आपने मुझसे जो (सुरक्षा चूक और उपायों के बारे में) कहा है, मैं वादा करता हूं कि हम विषय की तह तक जाएंगे. जो कुछ भी कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत होगी, वह की जाएगी.’

उपराज्यपाल से मिलने के बाद प्रदर्शनकारी मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार करने के लिए सहमत हो गए.

सिन्हा ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के डांगरी गांव में हुए आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने इस घटना में मारे गए नागरिकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की.

अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक टीम जांच के लिए डांगरी गांव पहुंच गई है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), जम्मू, मुकेश सिंह ने राजौरी में संवाददाताओं को बताया, ‘आईईडी एक बैग के नीचे रखा गया था.’

जम्मू मंडल के आयुक्त रमेश कुमार के साथ घटनास्थल पर पहुंचे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सेना और पुलिस व्यापक तलाश अभियान चला रही है.

सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों के मुताबिक, हमले में दो आतंकवादी शामिल थे.

राजौरी में हुए हमले के स्थान पर पहुंचे डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, ‘मैं इसलिए आया हूं कि परिवारों के साथ एकजुट होना बहुत जरूरी है. इसलिए कश्मीर जाने के बजाय, मैं सीधे यहां आया और भी आईईडी लगाए गए हो सकते हैं.’

डीजीपी प्रदर्शन स्थल पर भी पहुंचे और कहा कि राजौरी के लोगों ने पूर्व में आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है. उन्होंने कहा, ‘हत्याओं को लेकर मुझे दुख है. यह दुख का विषय है. यह वीडीसी को मजबूत करने का समय है.’

उन्होंने कहा, ‘कोई बंदूकें वापस नहीं ली जाएंगी, यदि कुछ बंदूकें ले ली गई हैं तो वे (वीडीसी को) लौटा दी जाएंगी तथा जरूरत पड़ने पर और बंदूकें उपलब्ध कराई जाएंगी.’

उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया, ‘शवों का असम्मान न करें और उनकी अंत्येष्टि की जाए.’

एक जनवरी को के हमले के बारे में सिंह ने कहा कि दो आतंकवादियों ने तीन मकानों पर गोलीबारी की, जिसमें चार लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए. घायलों की हालत स्थिर है.

आमतौर पर शांत रहने वाले जम्मू क्षेत्र में कई वर्षों बाद इस तरह की यह पहली घटना है. वहीं, जम्मू में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मिशन स्टेटहुड, शिवसेना और डोगरा फ्रंट ने प्रदर्शन किए.

राज्यपाल ने कहा कि ‘सुरक्षा में चूक’ की गहन जांच होगी

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार रात कहा कि जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में दोहरे आतंकवादी हमले के मद्देनजर सुरक्षा चूक की गहन जांच की जाएगी.

सिन्हा ने राजौरी में पुलिस, सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के शीर्ष अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और डांगरी गांव में हुए आतंकी हमलों की विस्तृत जांच का निर्देश दिया.

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस), गृह, आर के गोयल, संभागीय आयुक्त जम्मू, एडीजीपी जम्मू और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बैठक में उपस्थित थे, जिसमें पीड़ितों के परिवारों और गांव के सरपंच ने भी भाग लिया.

यह सुरक्षा चूक प्रतीत होती है जिसमें राजौरी इलाके के डांगरी गांव में एक आईईडी विस्फोट में चार और 16 साल की उम्र के दो चचेरे भाई-बहन की मौत हो गई. इससे 14 घंटे पहले ही आतंकवादियों ने वहां चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि आतंकवादियों ने रविवार को ही आईईडी लगाया था और यह जांच के दौरान पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों की चूक थी, जिन्होंने कल शाम गोलीबारी के बाद इलाके को घेर लिया था.

सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ लोगों ने सुरक्षा चूक का मुद्दा उठाया, यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि क्या ऐसी कोई चूक हुई थी. जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.’

उन्होंने कहा कि सेना भी इलाके में अभियान चला रही है और हम आगामी दिनों में इस इलाके में कड़ी कार्रवाई करने की कोशिश करेंगे. उपराज्यपाल ने कहा कि बैठक में ‘दो से तीन फैसले लिए गए’. उन्होंने कहा कि हम इस कृत्य में शामिल लोगों को माकूल जवाब देंगे.

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के डांगरी गांव में एक जनवरी की शाम संदिग्ध आतंकवादियों ने तीन मकानों पर गोलीबारी की थी. जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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