नोटबंदी के बाद भी नकली नोटों की चुनौती बरक़रार, पांच साल में 245 करोड़ रुपये के जाली नोट बरामद

केंद्र सरकार ने 2016 में 1,000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इस फैसले का एक प्रमुख उद्देश्य जाली नोटों की समस्या को ख़त्म करना था. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2016 से 2021 के बीच 245.33 करोड़ के मूल्य के जाली नोट जब्त किए हैं. सबसे अधिक 92.17 करोड़ रुपये के जाली नोट 2020 में जब्त किए गए थे.

Hyderabad: Hyderabad Police Commissioner Anjani Kumar inspects currency worth Rs 99.36 lakh seized from an alleged hawala transaction, in Hyderabad, Friday, Oct 5, 2018. (PTI Photo) (PTI10_5_2018_000168B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने 2016 में 1,000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इस फैसले का एक प्रमुख उद्देश्य जाली नोटों की समस्या को ख़त्म करना था. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2016 से 2021 के बीच 245.33 करोड़ के मूल्य के जाली नोट जब्त किए हैं. सबसे अधिक 92.17 करोड़ रुपये के जाली नोट 2020 में जब्त किए गए थे.

Hyderabad: Hyderabad Police Commissioner Anjani Kumar inspects currency worth Rs 99.36 lakh seized from an alleged hawala transaction, in Hyderabad, Friday, Oct 5, 2018. (PTI Photo) (PTI10_5_2018_000168B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र द्वारा 2016 में नोटबंदी किए जाने के बाद भी देश में जाली भारतीय नोटों का प्रसार एक चुनौती बना हुआ है.

सरकार ने 2016 में 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. सरकार के इस फैसले का एक प्रमुख उद्देश्य जाली नोटों की समस्या को खत्म करना था.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 2016 से कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने 245.33 करोड़ रुपये के मूल्य के जाली नोट जब्त किए हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक 92.17 करोड़ रुपये मूल्य के जाली नोट 2020 में जब्त किए गए थे, जबकि 2016 में सबसे कम 15.92 करोड़ रुपये मूल्य के जाली नोट जब्त किए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में, 20.39 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए गए, जबकि 2019 में 34.79 करोड़ रुपये, 2018 में 26.35 करोड़ रुपये और 2017 में 55.71 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए गए.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मई 2022 में प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों द्वारा पता लगाए गए 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी से अधिक बढ़कर 79,669 हो गई.

वर्ष 2021-22 के दौरान 2,000 रुपये के 13,604 नकली नोट पकड़े गए, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 54.6 प्रतिशत अधिक थे.

वर्ष 2020-21 में गिरावट के बाद पिछले वित्त वर्ष में बैंकों द्वारा पकड़े गए नकली नोटों की कुल संख्या 2,08,625 से बढ़कर 2,30,971 हो गई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 2019-20 के दौरान जाली नोटों की संख्या 2,96,695 थी.

साल 2021-22 के आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में 10 रुपये, 20 रुपये, 200 रुपये के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमश: 16.4 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत, 11.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है. इसी तरह 500 (नए नोट) और 2,000 रुपये के नकली नोट में क्रमश: 101.9 प्रतिशत और 54.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

50 रुपये और 100 रुपये मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 28.7 प्रतिशत और 16.7 प्रतिशत की गिरावट आई है.

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल जाली नोटों में से 6.9 प्रतिशत रिजर्व बैंक में और 93.1 प्रतिशत अन्य बैंकों में पाया गया.

2016 के तत्कालीन प्रचलित 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों के नोटबंदी के प्रमुख उद्देश्यों में से एक नकली नोटों के प्रचलन पर अंकुश लगाना था.

मालूम हो कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी, जिसका मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, नकली मुद्रा पर रोक लगाना तथा आतंकवादी संगठनों के वित्त पोषण पर लगाम लगाना बताया गया था.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दो जनवरी को मोदी सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के निर्णय के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 4:1 के बहुमत से सरकार के फैसले को वैध ठहराते हुए कहा था कि नोटबंदी का उद्देश्य कालाबाजारी, टेरर फंडिंग आदि को खत्म करना था, यह प्रासंगिक नहीं है कि इन उद्देश्यों को पाया गया या नहीं.

इस पीठ पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन शामिल हैं. तीन न्यायाधीशों को छोड़कर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र सरकार की शक्तियों के बिंदु पर असहमति वाला फैसला सुनाया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)