सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में बिना ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है, इस न्यायालय के अगले आदेश आने तक उक्त निर्देश के परिचालन पर रोक रहेगी. यह आदेश भी दिया है कि तीन महीने के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा. 

(फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है, इस न्यायालय के अगले आदेश आने तक उक्त निर्देश के परिचालन पर रोक रहेगी. यह आदेश भी दिया है कि तीन महीने के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के बिना शहरी निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति को यह आदेश भी दिया कि 31 मार्च, 2023 तक तीन महीने के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा. पीठ ने पहले तय छह महीने के बजाय तीन महीने के अंदर यह कवायद पूरी करने को कहा.

पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद प्रशासकों के अधीन स्थानीय निकायों के कामकाज के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा जारी एक निर्देश के परिचालन की अनुमति दी जा सकती है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने उक्त आदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि इस न्यायालय के अगले आदेश आने तक उक्त निर्देश के परिचालन पर रोक रहेगी.

पीठ ने कहा, ‘स्थानीय निकायों के प्रशासनिक कामकाज में कोई अवरोध नहीं आए, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार निर्देश ‘डी’ (हाईकोर्ट के आदेश में निर्धारित) के अनुरूप वित्तीय शक्तियों का निर्वहन करने के लिहाज से अधिसूचना जारी करने के लिए स्वतंत्र होगी. जो इस केवियेट पर निर्भर होगा कि प्रशासकों द्वारा कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाएगा.’

पीठ ने शुरू में सॉलिसिटर जनरल की इन दलीलों पर विचार किया कि राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों में विभिन्न पिछड़ी जातियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए आरक्षण के मुद्दे पर फैसला करने के शीर्ष अदालत के फैसलों के अनुरूप उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय विशिष्ट पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया है.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है या 31 जनवरी, 2023 को या उसके आसपास समाप्त होने वाला है, इसलिए याचिकाकर्ता (राज्य) की ओर से दलील दी गई है कि हाईकोर्ट के उक्त फैसले में निर्देश ‘डी’ में जिस व्यवस्था पर विचार हुआ है, उसे नए सिरे से चुनाव होने तक इस अदालत के आदेश के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है.’

पीठ ने राज्य सरकार की इस दलील पर भी संज्ञान लिया कि नव निर्वाचित आयोग का कार्यकाल छह महीने है, लेकिन प्रक्रिया को 31 मार्च तक या उससे पहले यथासंभव शीघ्र पूरा कराने के प्रयास करने होंगे.

पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग को 31 मार्च, 2023 तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा.

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद स्थानीय निकाय मामलों के संचालन के लिए प्रशासकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी. हालांकि कहा कि प्रशासकों के पास महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेने की शक्तियां नहीं होंगी.

शीर्ष अदालत ने उन लोगों को भी नोटिस जारी किए, जिन्होंने राज्य सरकार की अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने सुनवाई तीन सप्ताह बाद करने के लिए सूचीबद्ध की.

मालूम हो कि बीते 28 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पांच दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए आदेश दिया था कि राज्य सरकार चुनावों को तत्काल अधिसूचित करे, क्योंकि कई नगरपालिकाओं का कार्यकाल 31 जनवरी तक समाप्त हो जाएगा.

राज्य सरकार ने पांच दिसंबर के अपने मसौदे में नगर निगमों की चार महापौर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं, जिसमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिलाओं के लिए और मेरठ एवं इलाहाबाद ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं. 200 नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 54 सीट आरक्षित की गई थीं, जिनमें पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 18 सीट आरक्षित थीं.

राज्य की 545 नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गईं 147 सीट में, इस वर्ग की महिलाओं के लिए अध्यक्ष की 49 सीट आरक्षित की गई थीं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को मसौदा अधिसूचना में ओबीसी की सीटें सामान्य वर्ग को स्थानांतरित करने के बाद 31 जनवरी तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उनकी सरकार निर्धारित समयसीमा में ओबीसी आरक्षण लागू कर चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समयसीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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