ईशा योग केंद्र और आदिगुरु प्रतिमा के उद्घाटन पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी पहाड़ियों में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.

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सदगुरु और आदियोगी की प्रतिमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी पहाड़ियों में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.

सदगुरु और आदियोगी की प्रतिमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी हिल्स की तलहटी में बने आदियोगी (शिव) की प्रतिमा के अनावरण और ईशा योग केंद्र खोलने पर बुधवार को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

राज्य, योग केंद्र और 14 अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने स्थगन का अंतरिम आदेश जारी किया.

सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को प्रतिमा का अनावरण किया जाना था.

जनहित याचिका (पीआईएल) में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.

जनहित याचिका क्याथप्पा एस. और चिक्कबल्लापुरा के कुछ अन्य ग्रामीणों द्वारा दायर की गई है.

केंद्रीय पर्यावरण, वानिकी और पारिस्थितिकी मंत्रालय, कर्नाटक सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और कोयम्बटूर स्थित ईशा योग केंद्र इस मामले के 16 उत्तरदाताओं में शामिल हैं.

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि शिकायत यह है कि प्राधिकारियों ने योग केंद्र के आध्यात्मिक गुरु (सदगुरु) के इशारे पर प्रसिद्ध नंदी पहाड़ी के आधार में एक निजी फाउंडेशन बनाने और व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने के लिए उन उल्लंघनों को होने दिया, जिसने चिक्कबल्लापुरा होबली में नंदी हिल्स, एनडीबी तलहटी के कोर कमांड क्षेत्र, पर्यावरण इको सिस्टम और वाटरशेड को नष्ट किया.

जनहित याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने कई सदियों से अस्तित्व में रहे नंदी पहाड़ी और नरसिम्हा देवारू रेंज (बेट्टा) की तलहटी में पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यावरण और प्राकृतिक वर्षा जल धाराओं, जलाशयों, जल धाराओं को पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करते हुए नष्ट करने दिया.

याचिका में कहा गया है कि इसका सीधा असर नंदी पहाड़ी क्षेत्र में रहने वालों, उनकी आजीविका, मवेशियों, भेड़, जंगली जानवरों पर पड़ रहा है.

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि उत्तर पिनाकिनी और दक्षिण पिनाकिनी नदियां, जो नंदी पहाड़ी से निकलती हैं, इससे प्रभावित होंगी. इसमें कहा गया है कि योग केंद्र भगवान शिव की एक धातु की मूर्ति यहां लाया और रातोंरात मूर्ति स्थापना के लिए जमीन को क्षति पहुंचाई.

द हिंदू के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वरले और जस्टिस अशोक एस. किनागी की एक खंडपीठ ने याचिका पर आगे की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

हालांकि, ईशा योग केंद्र ने गुरुवार को याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए अदालत का रुख किया, जिसमें कहा गया था कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आदियोगी शिव की 112 फीट ऊंची मूर्ति का 15 जनवरी को अनावरण करने वाले हैं.

ईशा योग केंद्र के वकील ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं ने कई तथ्यों को छुपाकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि अंतरिम आदेश तैयारी को प्रभावित करेगा.

हालांकि पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका लेने पर सहमत हो गई, लेकिन उसने कहा कि वह गुरुवार (12 जनवरी) को याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती है जैसा कि योग केंद्र के वकील ने अनुरोध किया था. इसके बाद अदालत याचिका पर शुक्रवार (13 जनवरी) को सुनवाई के लिए सहमत हो गई.

जनहित याचिका (पीआईएल) में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रसिद्ध नंदी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित कई भूखंडों को ईशा फाउंडेशन और ईशा बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदा गया था और सरकार ने कानूनों का उल्लंघन करते हुए ईशा योग केंद्र को भूमि हस्तांतरित की है.

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि विशाल मशीनरी का उपयोग करके इन जमीनों पर निर्माण कार्य किया गया है. निर्माण की प्रकृति और ईशा योग केंद्र की प्रस्तावित गतिविधियां नंदी पहाड़ियों के आसपास की नदियों सहित पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं.

याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया है चिक्कबल्लापुरा जिले के अधिकारियों ने अवैध रूप से ईशा योग केंद्र की स्थापना के लिए 2019 से कई अनुमतियां दी हैं.

याचिकाकर्ताओं ने ईशा योग केंद्र की गतिविधियों को व्यावसायिक प्रकृति का बताते हुए दावा किया है कि सरकारी भूमि का कुछ टुकड़ा शैक्षिक उद्देश्यों के लिए ईशा योग केंद्र को सौंप दिया गया था, लेकिन भूमि का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)