अदालत ने सीएपीएफ के सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने का आदेश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त मंत्रालय की 2003 की एक अधिसूचना और पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग के 2020 के एक कार्यालयीन पत्र को ख़ारिज कर दिया, जिनमें 1 जनवरी, 2004 के विज्ञापनों के अनुरूप केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित रखा गया है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त मंत्रालय की 2003 की एक अधिसूचना और पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग के 2020 के एक कार्यालयीन पत्र को ख़ारिज कर दिया, जिनमें 1 जनवरी, 2004 के विज्ञापनों के अनुरूप केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित रखा गया है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने का आदेश दिया है और केंद्र सरकार को आठ सप्ताह के अंदर आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने को कहा है.

हाईकोर्ट ने वित्त मंत्रालय की 2003 की एक अधिसूचना और पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग के 2020 के एक कार्यालयीन पत्र (ओएम) को खारिज कर दिया, जिनमें एक जनवरी, 2004 के विज्ञापनों के अनुरूप केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित रखा गया है.

इस संबंध में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मचारियों ने याचिकाएं दायर की हैं.

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि 22 दिसंबर, 2003 की अधिसूचना और पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्रदान करने वाला 17 फरवरी, 2020 का कार्यालय ज्ञापन रेम (किसी चीज के विरुद्ध निर्देशित) में लागू होगा. इसका अर्थ यह है कि पुरानी पेंशन योजना न केवल इस मामले में याचिकाकर्ताओं के लिए, बल्कि बड़े पैमाने पर सीएपीएफ के सभी कर्मचारियों के मामले में लागू होगा. तदनुसार, आवश्यक आदेश आठ सप्ताह के भीतर जारी किए जाएं.’

फैसला बुधवार (11 जनवरी) को सुनाया गया और बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत अर्धसैनिक बलों के कुछ जवानों को इस योजना का लाभ नहीं देने वाले आदेशों को रद्द करने की मांग वाली 82 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

मामले में याचिकाकर्ताओं को 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त किया गया था, जिन्होंने तर्क दिया कि 22 दिसंबर, 2003 को केंद्र ने 1 जनवरी, 2004 से नई पेंशन योजना के कार्यान्वयन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी. उन्होंने दावा किया कि पुरानी पेंशन योजना के लाभ को केवल उन कर्मचारियों को दिया गया था, जिनकी भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर, 2003 तक पूरी हो गई थी, लेकिन वे 1 जनवरी, 2004 के बाद बल में शामिल हुए थे.

उन्होंने 2002-03 और 2003-04 में भारत तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसे अर्धसैनिक बलों में विभिन्न पदों के लिए आवेदन करने का दावा किया.

अदालत के फैसले में कहा गया है, ‘हालांकि, यह देखते हुए कि यह लाभ सशस्त्र बलों के कर्मचारियों तक नहीं बढ़ाया गया था, उनमें से कई ने यह तर्क दिया कि चूंकि उनकी भर्ती/चयन प्रक्रिया 22/12/2003 की अधिसूचना से पहले शुरू हुई थी, इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत कवर किया जाएगा, हालांकि उत्तरदाताओं ने उन्हें नई पेंशन योजना के सदस्य के रूप में माना है.’

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर अपने संबंधित बल के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष कई अभ्यावेदन दिए, हालांकि पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने के उनके अनुरोध को ठुकरा दिया गया.

देश की सुरक्षा में सशस्त्र बलों की भूमिका पर जोर देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, ‘बलों के कर्मचारियों के लिए बहुत सम्मान रखते हुए न्यायालयों के साथ-साथ भारत सरकार ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी नीतिगत निर्णय उनके लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए.’

अदालत ने आगे कहा, ‘दिनांक 22/12/2003 की अधिसूचना और दिनांक 17/02/2020 के कार्यालय ज्ञापन की सामग्री स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है कि जब नई पेंशन योजना को लागू करने का नीतिगत निर्णय लिया गया था, तो देश के सशस्त्र बलों को इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया था. इसलिए हमारी राय है कि 22/12/2003 की अधिसूचना के साथ-साथ 17/02/2020 के कार्यालय ज्ञापन को उनके वास्तविक सार में लागू करने की आवश्यकता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)