वीडियो: नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सबसे कठोर आलोचकों में से एक रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार और मुस्लिमों के साथ सरकार द्वारा किए जा रहे व्यवहार के अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की.
नई दिल्ली: मोदी सरकार को दुनिया की सबसे भयावह सरकारों में एक कहने की वजह बताते हुए प्रो. सेन ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि यह सरकार अपने ही लोगों के साथ बुरा व्यवहार करती है.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार का रिकॉर्ड वास्तव में भयानक रहा है. मुसलमानों के साथ मोदी सरकार का व्यवहार और यह तथ्य कि संसद के किसी भी सदन में इसका कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, ‘अस्वीकार्य रूप से बर्बर’ है.
उन्होंने कहा, ‘बर्बर शब्द मेरी जुबान पर इसलिए आता है, क्योंकि यह न केवल अन्यायपूर्ण और गलत है, बल्कि यह लोगों के जीवन को पूरी तरह से अनिश्चित बना देता है और भारत की संस्कृति को सीमित कर देता है.’
प्रो. सेन ने फ्रांसीसी समाचार पत्र ‘ला मोंडे’ में की गई अपनी एक टिप्पणी पर चर्चा करते हुए कहा, ‘यह (भारत सरकार) सबसे संकीर्ण अर्थों में समुदायवादी है, मुसलमानों पर हमला करती है और इस विचार का प्रचार करती है कि हिंदू एक राष्ट्र बनाते हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि भारत में मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह बढ़ रहा है, उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है और क्या वह इस बारे में चिंतित हैं, इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ चिंतित नहीं हूं, मैं भयभीत हूं कि विभिन्न घटकों वाला राष्ट्र अचानक विनाशकारी अलगाव की स्थिति में है. अल्पसंख्यकों के साथ बुरा व्यवहार राष्ट्र की प्रमुख मूर्खताओं में से एक है. मुसलमानों के साथ इस तरह का व्यवहार देश के इतिहास और इसके वर्तमान का एक अपमान और विध्वंस है.’
उन्होंने कहा, ‘केवल सिर्फ को भारतीयों के रूप में गिनना, अन्य किसी को नहीं, भयानक है. यह हमारे देश की प्रकृति को लेकर एक भयानक भ्रम है. देश की बहुलतावादी प्रकृति को नजरअंदाज करना एक भयानक मूर्खता है.’
यह पूछे जाने पर कि वह इस तथ्य को कैसे देखते हैं कि कैबिनेट मंत्री और यहां तक कि मुख्यमंत्री भी मुसलमानों को दीमक और बाबर की औलाद के रूप में संदर्भित करते हैं, उन्हें अब्बा जान के संदर्भ में ताना मारते हैं और बार-बार पाकिस्तान जाने के लिए कहते हैं, उन्होंने कहा, ‘यह भाषा भारतीय राष्ट्र की एक विकृत समझ का एक प्रतिबिंब है.’
प्रो. सेन ने कहा, ‘वह (मोदी सरकार) यह नहीं समझती कि एक राष्ट्र का क्या अर्थ है.’
राजनीति में मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 15 प्रतिशत (मुसलमान) लोगों को ऐसे देखा जाता है, जैसे कि उनका कोई महत्व नहीं है.