लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत अन्य मांगों को लेकर जम्मू में प्रदर्शन

प्रदर्शन के दौरान लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से कहा गया कि इस सरकार के रवैये को देखते हुए हमने अपना आंदोलन तेज़ करने का फैसला किया है. यह विरोध उसी का हिस्सा है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.

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Jammu: Members of the Leh Apex Body and Kargil Democratic Alliance United For Ladakh shout slogans during a protest demanding job reservation, early recruitmnent and other issues, in Jammu, Sunday, Jan. 15, 2023. (PTI Photo)(PTI01_15_2023_000187B)

प्रदर्शन के दौरान लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से कहा गया कि इस सरकार के रवैये को देखते हुए हमने अपना आंदोलन तेज़ करने का फैसला किया है. यह विरोध उसी का हिस्सा है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.

जम्मू में बीते रविवार को लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के सदस्यों ने अपनी विभिन्न मांगों के लिए प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: लद्दाख के प्रमुख नेताओं ने केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा प्रदान करने सहित अपनी चार मांगों को लेकर एक अभियान के तहत रविवार को जम्मू शहर में विरोध प्रदर्शन किया.

प्रेस क्लब, जम्मू के बाहर आयोजित विरोध प्रदर्शन लेह स्थित अपेक्स बॉडी ऑफ पीपल्स मूवमेंट फॉर द सिक्स्थ शेड्यूल और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक विरोध के संबंध में एक समयसारणी की भी घोषणा की, जिसमें फरवरी के तीसरे सप्ताह में दिल्ली में एक रैली का आयोजन शामिल है.

लेह अपेक्स बॉडी के अध्यक्ष पूर्व सांसद थूपस्तान छेवांग ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति से दूर रहने का फैसला किया है, क्योंकि सरकार ने हमारे चार सूत्री एजेंडे को नजरअंदाज किया और पैनल की संरचना के बारे में हमारे सुझाव पर भी कोई ध्यान नहीं दिया.’

उनके डिप्टी सेरिंग दोरजे लक्रूक के अलावा केडीए के सह-अध्यक्ष कमर अली अखून और असगर अली करबलाई के अलावा विभिन्न गैर-भाजपा दलों से जुड़े अन्य नेताओं ने कहा कि वे लद्दाख के लोगों से संबंधित मुद्दों पर सरकार के साथ बातचीत के खिलाफ नहीं हैं.

छेवांग ने कहा, ‘लेह अपेक्स बॉडी की गृह मंत्री के साथ दो अलग-अलग बैठकें हुईं, जबकि केडीए की एक बैठक हुई. हमने लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा के लिए हाथ मिलाया है और चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों को हल करने के लिए गंभीर प्रयास करे.’

पूर्व मंत्री असगर अली करबलाई ने कहा कि वे अपने चार सूत्री एजेंडे के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें लेह और करगिल जिलों के लिए दो अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों का निर्माण, लद्दाख के युवाओं के लिए भर्ती और नौकरी में आरक्षण के साथ-साथ एक लोक सेवा आयोग का निर्माण भी शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘इस सरकार के रवैये को देखते हुए हमने अपना आंदोलन तेज करने का फैसला किया है और आज का कार्यक्रम उसी का हिस्सा है. हम फरवरी के तीसरे सप्ताह में दिल्ली के जंतर-मंतर जाएंगे. इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.’

उन्होंने कहा कि वे पहले ही सरकार को उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन पर अपनी आपत्तियां भेज चुके हैं. साथ ही कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों को बातचीत के एजेंडे में शामिल करे और लेह अपेक्स बॉडी तथा केडीए द्वारा नामित प्रतिनिधियों को उचित प्रतिनिधित्व भी दे.’

पूर्व मंत्री सेरिंग दोरजे ने कहा कि लद्दाख की पूरी आबादी उनके साथ है.

उन्होंने कहा ‘वे (लद्दाख भाजपा) भी लेह अपेक्स बॉडी का हिस्सा थे, लेकिन बाद में (पूर्ण राज्य की मांग के बाद) उन्होंने खुद को दूर कर लिया. अगर वे दोबारा हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.’

लेह अपेक्स बॉडी और केडीए, लेह और करगिल जिलों के सामाजिक-धार्मिक, राजनीतिक और युवा संगठनों का एक अलग गठजोड़ है. इसका गठन 5 अगस्त, 2019 के घटनाक्रम के बाद किया गया था, जब केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के हटाकर जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त कर दिया था और इसे केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित कर दिया था.

छठी अनुसूची स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) के गठन के माध्यम से एक क्षेत्र की जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा करती है. एडीसी एक जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय हैं, जिन्हें संविधान ने राज्य विधानमंडल के भीतर अलग-अलग तरह की स्वायत्तता दी है.