सूचना के अधिकार के तहत एक अपील पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को निर्देश दिया था कि वह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा दान में छूट/कटौती प्राप्त करने के लिए दाख़िल किए गए आवेदन की प्रति याचिकाकर्ता को साझा करे. आदेश के ख़िलाफ़ सीबीडीटी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के 2019 के अयोध्या फैसले के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना की गई थी.
बार एंड बेंच के मुताबिक, 30 नवंबर 2022 के अपने आदेश में सीआईसी ने सीबीडीटी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और सीबीडीटी के अपीलीय प्राधिकरण के उस आदेश को उलट दिया था, जिसमें कैलाश चंद्र मूंदड़ा को सूचना देने से मना कर दिया गया था.
मूंदड़ा की दूसरी अपील पर सुनवाई करते हुए सीआईसी ने सीबीडीटी को निर्देश दिया था कि वह आयकर अधिनियम की धारा 80जी(2)(बी) के तहत अपने दान के लिए छूट/कटौती प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट द्वारा दायर पूर्ण आवेदन की प्रति साझा करे.
सीआईसी ने सीबीडीटी को ट्रस्ट के ट्रस्ट डीड की प्रति उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया, जिसे आवेदन के साथ दायर किया गया था.
सीआईसी के निर्देशों के खिलाफ सीबीडीटी के सीपीआईओ ने अदालत का रुख किया, जहां एकल न्यायाधीश प्रतिभा एम. सिंह ने इस पर रोक लगा दी.
न्यायालय ने कहा कि सीआईसी इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि आयकर रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी आयकर अधिनियम-1961 की धारा 138 के तहत छूट प्राप्त है, जो एक विशेष कानून है.
जज ने कहा कि जिस ट्रस्ट की जानकारी मांगी जा रही थी, सीआईसी ने उसे नोटिस जारी नहीं किया और आरटीआई आवेदन तीसरे पक्ष से संबंधित था, इसलिए आरटीआई अधिनियम के तहत इसे छूट प्राप्त है.
जस्टिस सिंह ने आगे कहा कि सीआईसी ने अपने आदेश में सीपीआईओ, सीबीडीटी और अपीलीय प्राधिकरण के आदेशों को पलटने का कोई कारण नहीं बताया.
अदालती आदेश में कहा गया कि उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर याचिकाकर्ता यानी सीपीआईओ (सीबीडीटी) ने अंतरिम राहत देने के लिए मुकदमा दायर किया था. अगर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है तो उसे अपूरणीय क्षति होगी.
अदालत ने आगे कहा, ‘इसलिए 30 नवंबर 2022 का विवादित आदेश, जिसे सीपीआईओ (सीबीडीटी) द्वारा 3 जनवरी 2023 को प्राप्त होना बताया गया है, सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा. सीपीआईओ (सीबीडीटी) के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा.’
अदालत ने आरटीआई आवेदक को नोटिस भी जारी किया और इसे सीपीआईओ (सीबीडीटी) पर छोड़ दिया कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र तो इस मामले में प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया जाना चाहिए.
मामले पर अगली सुनवाई 23 मई को होगी.