स्वीडन की रक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी साब और अडानी समूह ने वर्ष 2017 में भारत में लड़ाकू विमान बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया था, लेकिन अब साब इंडिया के अध्यक्ष ने कहा है कि वे उस कंपनी के साथ साझेदारी करेंगे, जिसमें उन्हें 74 फीसदी हिस्सेदारी मिले.
नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र की दिग्गज स्वीडिश कंपनी साब और भारत के अडानी समूह ने अगस्त 2017 में भारत में ग्रिपेन ई फाइटर के निर्माण के लिए साथ मिलकर काम करने की घोषणा की थी, लेकिन सोमवार (16 जनवरी) को उन्होंने कहा कि वह अब उस समझौते पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं.
साब इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मैट्स पामबर्ग ने इस संबंध में बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने अडानी के साथ समझौते पर आगे न बढ़ने का फैसला किया है.’
उन्होंने बताया कि वह भारत में ग्रिपेन ई का निर्माण करने के लिए उस कंपनी के साथ साझेदारी करेंगे, जिसमें उन्हें 74 फीसदी हिस्सेदारी मिले.
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रक्षा मंत्रालय इस मुद्दे पर मूल उपकरण निर्माताओं की प्रतिक्रियाओं पर विचार कर रहा है. मंत्रालय का अगला कदम आवश्यकता की स्वीकृति बनाना और फिर प्रस्ताव के लिए अनुरोध जारी करना होगा.
साब उन सात एयरोस्पेस कंपनियों- बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, दासो एवं अन्य- में से एक है, जो भारतीय वायुसेना को 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट प्रदान करने के लिए एमआरएफए (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) कार्यक्रम में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं.
निविदा (टेंडर) की कीमत 60,000-70,000 करोड़ रुपये से अधिक रहने का अनुमान है.
2007 में 126 मीडियम मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों के लिए जारी की गई पहली निविदा के रद्द होने पर यह लड़ाकू विमान प्राप्त करना जरूरी हो गया था.