कालिखो पुल : चौकीदार से चीफ मिनिस्टर तक का सफर

अरुणाचल प्रदेश के आठवें मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल (फोटो: पीटीआई)

अरुणाचल प्रदेश के आठवें मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है.

Guwahati: Arunachal Pradesh Chief Minister Kalikho Pul being felicitated at the inaugural conclave of North East Democratic Alliance (NEDA) at Sankardev Kalakshetra in Guwahati on Wednesday. PTI Photo (PTI7_13_2016_000115B)
कालिखो पुल. फोटो: पीटीआई

कालिखो पुल की कहानी एक ऐसे संघर्षशील युवा की है जिसका बचपन बेहद गरीबी और अभावों में बीता और जिसने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो देने के बावजूद काम करते हुए न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने.

कालिखो का जन्म 20 जुलाई, 1969 को चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती अंजॉ जिले के हवाई क्षेत्र के वाल्ला बस्ती नाम के गांव में हुआ था. जब वह सिर्फ 13 माह के थे तब उनकी माता कोरानलु का निधन हो गया और छह साल की उम्र में उनके पिता ताइलुम भी नहीं रहे.

10 साल की उम्र में उन्होंने हवाई क्राफ्ट सेंट के कारपेंटरी कोर्स में एडमिशन लिया. जहां उन्हें हर दिन डेढ़ रुपये स्टाइपेंड मिलता था. इसके अलावा पुल ने रात की पाली में चलने वाले स्कूल में दाखिला भी ले लिया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी.

एक बार उन्होंने स्कूल में हुए एक समारोह में स्वागत भाषण दिया और हिंदी में देशभक्ति का गाना गाया. इस समारोह में तत्कालीन शिक्षा मंत्री और लोहित के डिप्टी कमिश्नर आए हुए थे. उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर डिप्टी कमिश्नर के कहने पर उनका एडमिशन एक बोर्डिंग स्कूल में हो गया. जहां से पुल ने आगे की पढ़ाई की.

लकड़ी का सामान बनाने वाले पुल ने बाद में चौकीदार की नौकरी भी की. पुल ने लोहित जिले के तेजू स्थित इंदिरा गांधी सरकारी कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की. कालिखो पुल अरुणाचल के कमान मिशमी जातीय समूह से थे. यह समूह भारत-चीन सीमा के दोनों तरफ पाया जाता है. उनकी तीन पत्नियां और चार बच्चे हैं.

कॉलेज के दिनों में पुल छात्र राजनीति में आए. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1995 से हुई, जब वे कांग्रेस के टिकट पर हायुलियांग सीट से विधायक निर्वाचित हुए. पहली ही बार पुल तत्कालीन मुकुट मिथी सरकार में वित्त राज्यमंत्री बने. वह लगातार पांच बार जीते और बिजली, वित्त, भूमि प्रबंधन जैसे विभाग संभाले.

1995 से 1997 तक वे वित्त राज्यमंत्री रहे. उसके बाद 1997-99 तक बिजली राज्य मंत्री रहे. 1999-2002 तक वित्त राज्य मंत्री और 2002 से 2003 तक भूमि प्रबंधन के राज्य मंत्री रहे. 2003 से 2005 तक पुल ने वित्त मंत्रालय संभाला. उन्हें एक उच्चस्तरीय समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया साथ ही लगभग एक साल तक वे मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रहे.

कालिखो 2006 से 2009 तक फिर वित्त मंत्री बने. 2009 से 2011 तक वे ग्रामीण कार्यों के मंत्री रहे. साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला. 2011 से 2014 के बीच वे सीएम के सलाहकार रहे. 2014 में फिर से उन्हें मंत्री बनाया गया.

कालिखो पुल साढ़े चार महीने तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. फरवरी 2016 में कालिखो पुल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के समर्थन से अरुणाचल के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के जुलाई में आए आदेश के बाद उन्हें पद से हटना पड़ा था.

9 अगस्त, 2016 को कथित तौर पर कालिखो ने ईटानगर स्थित अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली. वह सिर्फ 47 साल के थे.