एक चौथाई स्कूलों में बच्चों के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं: एन्युअल एजुकेशन रिपोर्ट

स्कूलों के हालात को लेकर जारी एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि देश में 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी, वहीं 21 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा तो थी, लेकिन वे प्रयोग करने योग्य नहीं थे. यानी क़रीब 23.9 फीसदी स्कूलों में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा से महरूम हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

स्कूलों के हालात को लेकर जारी एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि देश में 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी, वहीं 21 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा तो थी, लेकिन वे प्रयोग करने योग्य नहीं थे. यानी क़रीब 23.9 फीसदी स्कूलों में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा से महरूम हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश में स्कूलों में शौचालय, पेयजल, मिड-डे मील, पुस्तकालय, कम्प्यूटर, बिजली कनेक्शन जैसे शिक्षा के अधिकार से जुड़े स्कूली मानकों में सुधार की रफ्तार बेहद मामूली है और अभी भी एक चौथाई (23.9 प्रतिशत) स्कूलों में पीने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है. साथ ही लगभग एक चौथाई स्कूलों (23.6 प्रतिशत) में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

स्कूलों के हालात को लेकर जारी एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) 2022 में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के अधिकार से जुड़े स्कूली मानकों में मामूली सुधार दर्ज किया गया है. मसलन, वर्ष 2018 में 74.2 प्रतिशत स्कूलों में प्रयोग करने योग्य शौचालय उपलब्ध थे, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 76.4 हो गए.

इसी प्रकार वर्ष 2018 में 74.8 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई. इसी अवधि में ऐसे स्कूल जहां छात्र पाठ्यपुस्तक के अलावा दूसरी पुस्तकों का उपयोग करते हैं, उनकी संख्या 36.9 प्रतिशत से बढ़कर 44 प्रतिशत हो गई.

रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2022 में 12.5 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं थी और 11.4 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल की सुविधा तो थी, लेकिन पेयजल उपलब्ध नहीं था. अगर दोनों को मिला दिया जाए तो वर्ष 2022 में भी ऐसे स्कूल, जहां छात्रों लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं हैं, उनका आंकड़ा 23.9 फीसदी (लगभग एक चौथाई) है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी, वहीं 21 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा तो थी, लेकिन वे प्रयोग करने योग्य नहीं थे. यानी करीब 23.9 फीसदी स्कूलों में विद्यार्थी शौचालयों की सुविधाओं से महरूम हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 10.8 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं थी तथा 8.7 प्रतिशत स्कूलों में शौचालयों पर ताला लगा था.

एजुकेशन रिपोर्ट के अनुसार, 21.7 प्रतिशत स्कूलों में पुस्तकालय नहीं है और 77.3 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के इस्तेमाल के लिए कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 93 प्रतिशत स्कूलों में बिजली का कनेक्शन उपलब्ध है. 89.4 प्रतिशत स्कूलों में मिड-डे मील के लिए रसोई सुविधा उपलब्ध हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 68.1 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में सभी कक्षाओं के लिए ड्रेस दी गई, जबकि 51.1 प्रतिशत उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ड्रेस वितरित की गई. प्राथमिक विद्यालयों में 22.5 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 32.7 प्रतिशत में किसी कक्षा में ड्रेस नहीं दी गई या पता नहीं है.

एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में वर्ष 2022 में 616 जिलों को शामिल करते हुए इनके 19,060 गांव और 3,74,554 घरों का सर्वे किया गया है. इस दौरान 3 से 16 साल के 6,99,597 बच्चों से संपर्क किया गया. इस कार्य में 591 संस्थाओं के 27,536 स्वयंसेवकों की भागीदारी रही.

पिछले एक दशक में 60 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का अनुपात हर साल बढ़ा है

एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) के अनुसार, देश में पिछले एक दशक से अधिक अवधि में ऐसे सरकारी स्कूलों की संख्या हर वर्ष बढ़ी है, जहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 60 से कम है.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में हिमाचल प्रदेश (81.4 प्रतिशत) और उत्तराखंड (74 प्रतिशत) में ऐसे छोटे स्कूलों की संख्या सबसे अधिक मिली है.

राष्ट्रीय स्तर पर 2010 में ऐसे छोटे स्कूलों की संख्या 17.3 प्रतिशत, 2014 में 24 प्रतिशत, 2018 में 29.4 प्रतिशत और 2022 में 29.9 प्रतिशत दर्ज की गई.

एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट एक राष्ट्रव्यापी, नागरिक-नेतृत्व वाला घरेलू सर्वेक्षण है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की एक तस्वीर प्रदान करता है. पहला एएसईआर सर्वेक्षण 2005 में आयोजित किया गया था और 10 वर्षों के लिए सालाना दोहराया गया था.

एएसईआर 2022 चार साल के अंतराल के बाद पहला क्षेत्र-आधारित ‘बुनियादी’ सर्वेक्षण है. यह ऐसे समय में भी आया है, जब बच्चे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्कूल बंद होने के बाद एक लंबी अवधि स्कूल वापस आ गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों में छोटे स्कूलों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. इनमें उत्तर प्रदेश में ऐसे छोटे स्कूल 2010 में 10.4 प्रतिशत थे, जो 2022 में घटकर 7.9 प्रतिशत रह गए हैं. वहीं केरल में ऐसे छोटे स्कूल 2010 में 24.1 प्रतिशत थे जो 2022 में 16.2 प्रतिशत रह गए.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर छात्र एवं शिक्षकों की उपस्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा गया. औसत शिक्षक उपस्थिति 2018 में 85.4 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो 2022 में मामूली रूप से बढ़कर 87.1 प्रतिशत हो गई.

वहीं, पिछले कुछ वर्षो में औसत छात्र उपस्थिति करीब 72 प्रतिशत के आसपास बनी रही.