महाराष्ट्र: दलित शख़्स पर थूकने और जूते चाटने को मजबूर करने के आरोप में पुलिस अधिकारी पर केस

महाराष्ट्र के नवी मुंबई शहर का मामला. कलंबोली पुलिस स्टेशन में तैनात एक सहायक पुलिस इंस्पेक्टर पर दलित युवक ने थाने में जातिसूचक गालियां देने का भी आरोप लगाया है. पुलिस ने कहा कि अधिकारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

महाराष्ट्र के नवी मुंबई शहर का मामला. कलंबोली पुलिस स्टेशन में तैनात एक सहायक पुलिस इंस्पेक्टर पर दलित युवक ने थाने में जातिसूचक गालियां देने का भी आरोप लगाया है. पुलिस ने कहा कि अधिकारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नवी मुंबई शहर के कलंबोली पुलिस स्टेशन में तैनात एक सहायक पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ बीते 19 जनवरी को थाने में 28 वर्षीय दलित युवक के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है

पीड़ित युवक विकास उजगारे के खिलाफ कथित रूप से जातिसूचक गालियां देने के आरोप में पुलिस अधिकारी दिनेश पाटिल पर भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. पाटिल पर आरोप है कि उन्होंने थाने में युवक के चेहरे पर थूका और उन्हें अपने जूते चाटने के लिए मजबूर किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बताया जा रहा है कि पाटिल की युवक से रंजिश थी. युवक ने साइबर घोटाले में ठगे जाने के बाद कलंबोली पुलिस स्टेशन के अधिकारियों द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करने में दिखाई गई हिचकिचाहट को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी.

अखबार से बातचीत में विकास उजगारे ने बताया, ‘बीते 6 जनवरी की रात करीब 8 बजे मैं अपने दोस्त के साथ एक चाइनीज रेस्टोरेंट में था, जिसका रेस्टोरेंट मालिक से झगड़ा हो गया था. मालिक ने हम पर हमला किया और मैंने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया. जल्द ही कलंबोली पुलिस स्टेशन की एक टीम मौके पर पहुंच गई.’

उजगारे ने कहा कि चोट लगने के कारण उन्होंने पुलिस अधिकारियों से उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत मिन्नतें करने के बाद अधिकारी मुझे पनवेल के एक सरकारी अस्पताल में ले गए. डॉक्टरों ने पुलिस को मुझे दूसरे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. हालांकि, अधिकारी मुझे कलंबोली पुलिस स्टेशन ले गए, जहां मुझे फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया गया. तभी (इंस्पेक्टर) पाटिल आए और मुझे थप्पड़ मारने लगे.’

उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनकी पहचान उस व्यक्ति के रूप में की जिसने उनके खिलाफ शिकायत की थी.

उजगारे ने कहा, ‘रंजिश रखते हुए पाटिल ने मेरे चेहरे और गर्दन पर मारना शुरू कर दिया. इसके बाद वह मुझे घसीटते हुए एक कमरे में ले गए, जहां मुझ पर बेरहमी से हमला किया गया. अधिकारी ने तब मुझसे मेरी जाति के बारे में पूछा, जब मैंने कहा कि मैं एक दलित हूं, तो उन्होंने मेरी जाति को गाली दी और मुझ पर निचली जाति का होने के लिए थूका और अपने जूते चाटने के लिए मजबूर किया.’

उन्होंने दावा किया कि 7 जनवरी को सुबह करीब 3 बजे कलंबोली पुलिस उन्हें कमोठे के एमजीएम अस्पताल ले गई, वहां छोड़कर चली गई.

मारपीट में लगी चोटों के कारण उजगारे तीन दिनों तक एमजीएम अस्पताल में रहे.

उन्होंने कहा, ‘जब मुझे (अस्पताल से) छुट्टी दे दी गई, तो मैंने एक वकील से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई. मेरा बयान 14 जनवरी को जोनल डिप्टी कमिश्नर और सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा दर्ज किया गया था.’

रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद एफआईआर दर्ज करने में की गई देरी के बाद उजगारे ने नवी मुंबई पुलिस आयुक्त से संपर्क किया, जिसके बाद बीते 19 जनवरी को देर रात मामला दर्ज किया गया.

संपर्क करने पर कलंबोली थाने के वरिष्ठ निरीक्षक संजय पाटिल ने कहा कि दिनेश पाटिल सिक लीव (बीमारी के आधार पर ली गई छुट्टी) पर हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच एक सहायक आयुक्त कर रहे हैं.’