तीन महीने से अपनी 33 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे डॉक्टर सरकार से बातचीत विफल होने के बाद अब काम पर नहीं आएंगे.
जयपुर: राजस्थान के विभिन्न इलाकों में काम कर रहे डॉक्टरों और सरकार के बीच शनिवार को बातचीत विफल होने के बाद 8911 डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 3 महीने से अपनी 33 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे डॉक्टर अब सोमवार से काम पर नहीं आएंगे.
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक सेवारत चिकित्सा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय चौधरी का कहना है कि आंदोलन कर रहे डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा संघ के पास पहले ही भेज दिया था और बातचीत विफल होने के बाद सामूहिक रूप से इस्तीफा सरकार के पास भेज दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर का प्रमुख मांगों में वेतन बढ़ाने और स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर नियुक्त किए गए राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) अधिकारी को हटाने की बात थी. डॉक्टरों का कहना कि चिकित्सा विभाग में अतिरिक्त निदेशक पद पर अब तक वरिष्ठ डॉक्टर की नियुक्ति होती थी, लेकिन अब इस पद पर आरएएस अधिकारी की नियुक्ति हुई है.
आंदोलनकारी डॉक्टरों ने राज्य के स्वस्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ से बातचीत के दौरान कहा कि अतिरिक्त निदेशक पद से आरएएस अधिकारी को तुरंत हटाया जाए और वे इस तानाशाही को स्वीकार नहीं करेंगे.
अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार मंत्री सराफ ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि एक बार उप-चुनाव हो जाएं उसके बाद मांगों पर फैसला होगा और उनकी एक भी मांग को नजरअंदाज नहीं करेंगे.
मंत्री बोल ही रहे थे कि उप-सचिव पारस जैन बीच में बोल पड़े कि इनका फैसला उप-चुनाव के बाद नहीं बल्कि 2019 में अगली सरकार में होगा. जैन की बात सुन डॉक्टर भड़क गए और बातचीत को बीच में ही छोड़ कर चले गए.
डॉक्टरों ने जैन पर भड़कते हुए कहा कि मंत्री और सचिव शांत बैठे हैं और उप-सचिव बीच में बोल रहे हैं. डॉक्टरों ने पूछा कि एक मंत्री और सचिव से बड़ा आरएएस अधिकारी कैसे हो गया?
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि सोमवार से पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी और इसकी जिम्मेदार मौजूदा सरकार होगी.
हालांकि उप-सचिव पारस जैन ने डॉक्टरों के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि डॉक्टरों से बातचीत हुई, लेकिन वे बिना कुछ बोले ही चले गए और उनका इस्तीफा भी अभी तक सरकार को नहीं मिला है.
जैन ने 2019 की सरकार के बाद फैसला होगा इस आरोप पर कहा, ‘मैंने मंत्री जी की बात काटकर बीच में ऐसा कुछ नहीं बोला था.’
राजस्थान पत्रिका की मुताबिक ये आंदोलनकारी डॉक्टर जिला, उप-जिला, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सेटेलाइट स्वस्थ्य सेवा, उप-स्वास्थ्य केंद्र अपनी सेवा दे रहे हैं, जहां रोजाना लगभग एक लाख से ज्यादा मरीज इलाज करवाने आते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों के इस्तीफे के बाद राज्य में स्वास्थ्य संबंधित समस्या उत्पन्न होगी और कई मरीजों को दिक्कत झेलनी पड़ेगी.
चिकित्सा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय चौधरी का कहना है कि सरकार खुद टकराव की स्थिति पैदा करना चाहती है. सोमवार से अब डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे और राज्य में अगर स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराती है तो वे लोग इसका जिम्मेदार सरकार को ठहराएंगे.