तेलंगाना में वारंगल के नज़दीक स्थित यूनेस्को विरासत स्थल रामप्पा मंदिर में प्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई की भागीदारी की वजह से नृत्य समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई. इसके बाद आयोजकों ने कार्यक्रम को एक अन्य जगह स्थानांतरित कर दिया, जहां साराभाई ने नृत्य प्रस्तुति दी.
हैदराबाद: काकतीय हेरिटेज ट्रस्ट के एक अधिकारी ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी के दफ्तर ने तेलंगाना में वारंगल के नजदीक स्थित रामप्पा मंदिर में प्रसिद्ध भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी नृत्यांगना मल्लिका साराभाई की भागीदारी की वजह से उसे नृत्य समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं दी.
साराभाई ने कहा, ‘मांग बहुत स्पष्ट थी. या तो मल्लिका साराभाई को वारंगल के रामप्पा मंदिर में कलाकारों की सूची से हटा दें या उत्सव को रद्द कर दें.’
हालांकि आयोजकों ने मंत्री के ‘मौखिक इनकार’ को धता बताते हुए 21 जनवरी को कार्यक्रम का आयोजन किया. मंदिर के अंदर कार्यक्रम आयोजित करने के बजाय इसे कूडा ओपन ग्राउंड्स के पास एक खुले स्थान पर आयोजित किया गया. इस दौरान 4,000 से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे.
ट्रस्ट के संस्थापक न्यासी बीवी पापा राव ने कहा कि संस्था द्वारा शनिवार (21 जनवरी) को कार्यक्रम आयोजित किया गया, लेकिन यह वारंगल शहर में एक अलग स्थान पर संपन्न हुआ.
केंद्रीय मंत्री रेड्डी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
राव ने दावा किया कि प्रसिद्ध रामप्पा मंदिर एक यूनेस्को विरासत स्थल है और ट्रस्ट ने मंदिर में ‘रामप्पा उत्सव’ के मद्देनजर लगभग दो महीने पहले अनुमति के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पास आवेदन किया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘संस्कृति मंत्री ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी, क्योंकि उसमें साराभाई हिस्सा ले रही थीं.’
वारंगल में साराभाई ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह घटना उनके ‘हिंदुत्व के व्यक्तिगत राजनीतिक विरोध’ के कारण हुई.
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक मुखर आलोचक रहीं मल्लिका साराभाई ने कहा कहते हैं कि रेड्डी (केंद्रीय संस्कृति मंत्री) ने अपने कॉल में यह स्पष्ट कर दिया था कि वह नहीं चाहते थे कि कोई ‘मोदी आलोचक’ इस तरह के एक प्रमुख कार्यक्रम में प्रस्तुति दे.
यूनेस्को की मान्यता प्राप्त होने के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रामप्पा महोत्सव का आयोजन किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘मंत्री ने बस इतना आदेश दिया कि मुझे नृत्य की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. मुझे केवल भाजपा और उसकी हिंदुत्व की राजनीति के खिलाफ मेरे राजनीतिक रुख के कारण इससे वंचित कर दिया गया.’
कथित तौर पर कोलकाता में एक सार्वजनिक भाषण के तुरंत बाद जी. किशन रेड्डी ने संगठन के ट्रस्टियों को फोन किया था, जहां 68 वर्षीय शास्त्रीय नृत्यांगना मल्लिका साराभाई ने देश में ‘आदर्शों के पूर्ण विनाश’ पर निराशा व्यक्त की थी. उन्होंने हिंदू धर्म के नाम पर ‘हिंदुत्व’ की विचारधारा को लोगों पर थोपने के लिए मौजूदा शासन की आलोचना की थी.
यह पहली बार नहीं है जब साराभाई को इस तरह के व्यवधान का सामना करना पड़ा हो. साल 2020 में साराभाई को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, लेकिन समारोह को ही रद्द कर दिया गया और संस्थान ने बस इतना कहा कि यह अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण किया गया था.
साराभाई कहती हैं कि वह दीक्षांत समारोह में डिजाइन और भारतीय विरासत के बारे में बात करने जा रही थीं. उन्होंने कहा, ‘पिछले दो दशकों में मैंने सरकार से ऐसी कई रुकावटों का सामना किया है, लेकिन यह अधिक से अधिक बेशर्म होती जा रही है.’
साराभाई ने कहा, ‘वारंगल में कार्यक्रम अच्छी तरह से आयोजित किया गया. तेलंगाना सरकार और स्थानीय प्रशासन ने 48 घंटे के एक छोटे से नोटिस के भीतर सभी व्यवस्थाएं कीं और 4,000 से अधिक लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि शो शांति से चले.’
साराभाई का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की ये हथकंडे केवल उनका मनोरंजन करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह किसी किताब प्रतिबंध के समान है. जब राज्य किसी किताब पर प्रतिबंध लगाता है, तो हर कोई उसकी प्रति लेने के लिए दौड़ पड़ता है. अगर आप मेरी प्रस्तुति पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो अधिक से अधिक लोग मेरे समर्थन में आएंगे और मेरी कला को देखेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ. इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)