सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने की रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर पाबंदी लगाने की मांग

सपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मज़बूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से ‘धर्म’ नहीं, बल्कि ‘अधर्म’ है. 

/
स्वामी प्रसाद मौर्य. (फोटो साभार: फेसबुक)

सपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मज़बूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से ‘धर्म’ नहीं, बल्कि ‘अधर्म’ है.

स्वामी प्रसाद मौर्य. (फोटो साभार: फेसबुक)

लखनऊ: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस ग्रंथ के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जताई है.

मौर्य ने तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के एक लोकप्रिय संस्करण रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हालांकि सपा ने मौर्य की इस टिप्पणी से खुद को यह कहते हुए अलग कर लिया है कि यह उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी थी. वहीं उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई ने मांग की है कि वह माफी मांगें और अपना बयान वापस लें.

राज्य के प्रमुख ओबीसी नेता माने जाने वाले मौर्य ने कहा, ‘धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का ‘जाति’, ‘वर्ण’ और ‘वर्ग’ के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से ‘धर्म’ नहीं, बल्कि ‘अधर्म’ है. रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है.’

मौर्य ने कहा, ‘इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं. इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए. यह उन महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वाली बात है जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर वाद-विवाद करना किसी धर्म का अपमान है तो धार्मिक नेताओं को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती. क्या यह वर्ग हिंदू नहीं है?’

मौर्य ने साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले सपा में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी थी.

उन्होंने कहा, ‘रामचरितमानस के आपत्तिजनक हिस्सों जिनसे ‘जाति’, ‘वर्ग’ और ‘वर्ण’ के आधार पर समाज के एक हिस्से का अपमान होता है, उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.’

समाचार चैनल यूपी तक को दिए एक साक्षात्कार में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘धर्म कोई भी हो हम, सबका सम्मान करते हैं, लेकिन धर्म के नाम पर अगर वर्ग विशेष, जाति विशेष को अपमानित करने के लिए कुछ कहा जाता है तो सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘स्वाभाविक रूप से रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिस पर हमें पहले भी घोर आपत्ति थी, आज फिर कह रहा हूं कि किसी भी धर्म को गाली देने का अधिकार किसी को भी नहीं है. ये तुलसी बाबा की ही रामायण की चौपाई है, जिसका एक अंश है, जिसमें सीधे-सीधे जाति को लेकर, अधम जाति होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं तुलसी बाबा.’

सपा नेता मौर्य ने कहा, ‘वहीं पर एक जगह ये भी लिखते हैं कि ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी, यानी शूद्र का मतलब होता है, सारे आदिवासी, सारे दलित, सारे पिछड़े. जो तथाकथित हिंदू धर्म की वर्ण व्यवस्था है, जिसका चौथा सोपान है शूद्र का, उसी शूद्र में सभी दलित, आदिवासी, पिछड़े आते हैं और नारी को भी नहीं छोड़ा गया है. किसी भी वर्ग की नारी हो और जब इस पर कोई आपत्ति करता है तो धर्माचार्य, ठेकेदार सफाई देने आ जाते हैं कि उनको हमने शिक्षा के लिए इशारा किया है.’

स्वामी प्रसाद कहते हैं, ‘जब बाबा तुलसीदास ने इस रामायण को लिखा तो यही धर्म के ठेकेदार कहते थे कि स्त्री और शूद्रों को पढ़ने-लिखने का अधिकार नहीं है. स्त्रियों को पढ़ने-लिखने का अधिकार अंग्रेजों की हुकूमत में मिला. तथाकथित शूद्रों को पढ़ने-लिखने का अधिकार अंग्रेजों की हुकूमत में मिला. जब तुलसी बाबा ने रामायण लिखा, उस समय तो अधिकार ही नहीं था, तब कहां शिक्षा देने की बात आ गई.’

वे आगे कहते हैं, ‘एक जगह और लिखते हैं, जिसका अर्थ है समस्त गुणों से हीन… लंपट हो, व्यभिचारी हो, दुराचारी हो, देशद्रोही हो, अनपढ़ हो, गंवार हो, फिर भी अगर ब्राह्मण है तो पूजनीय है. दूसरी ओर कितना भी ज्ञानी क्यों न हो, कितना भी विद्वान क्यों न हो, कितना भी ज्ञाता क्यों न हो, लेकिन शूद्र है तो उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता है और जब इनकी किसी बात पर टिप्पणी कीजिए तो चंद मुट्ठी भर धर्म के ठेकेदार, जिनकी इस पर रोजीरोटी चलती है, वो कहते हैं कि हिंदू भावना आहत हो रही है.’

इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बीते 11 जनवरी को नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में ‘रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था.’ उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था.

उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति और रामचरितमानस जैसे हिंदू ग्रंथ दलितों, अन्य पिछड़ा वर्गों और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं के खिलाफ हैं.

चंद्रशेखर ने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और भगवा विचारक गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स नफरत फैलाते हैं. नफरत नहीं प्यार देश को महान बनाता है. उनके इस बयान के कथित वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने अपनी ही पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘समाजवादी पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है. स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी उनके निजी विचार हैं और उनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के हक की आवाज उठाती है.’

उधर, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, ‘इस मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव और रामगोपाल यादव को जवाब देना चाहिए. अब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में एक बड़ा नेता बनने के लिए छटपटा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है. सपा ने हमारी धार्मिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश की थी.’

चौधरी ने कहा, ‘इस तरह के बयान तो कोई विक्षिप्त ही दे सकता है. सपा को यह तय करना होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान पार्टी का आधिकारिक बयान है या नहीं. मौर्य ने यह बयान दिया है और उन्हें इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए. उन्होंने देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है. यह निंदनीय है. उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो सपा नेतृत्व को उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए.’

इस बीच, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू और भाजपा नेता अपर्णा यादव ने बुलंदशहर में मौर्य के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि रामचरितमानस के बारे में ऐसी बातें कहना ‘निकृष्ट मानसिकता’ की निशानी है.

उन्होंने कहा, ‘मौर्य ऐसी बातें करके अपने ही चरित्र को दर्पण दिखा रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq