कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि ‘मोदीनॉमिक्स’ के कारण सरकार के क़र्ज़ में भारी वृद्धि ने आम लोगों को कुचल दिया है. उन्होंने कहा कि आज़ादी से लेकर 2014 तक देश पर 55 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ था. 2014 से 2023 के बीच यह बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया. आज हर नागरिक पर 1 लाख 9 हज़ार रुपये का क़र्ज़ है.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में देश में कर्ज, बेरोजगारी और असमानता बढ़ी है तथा पिछले नौ साल में प्रत्येक भारतीय पर कर्ज 2.53 गुना बढ़ गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि ‘मोदीनॉमिक्स’ के कारण सरकार के कर्ज में भारी वृद्धि ने आम लोगों को कुचल दिया है, क्योंकि 2014 से प्रति भारतीय कर्ज 43,124 रुपये से बढ़कर 1,09,373 रुपये हो गया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘दोस्त’ ‘जेब काटते रहे’, क्योंकि मीडिया ने जनता का ध्यान भटकाया.
गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘महामारी के दौरान प्रधानमंत्री के ‘फेवरेट मित्र’ की संपत्ति 8 गुना कैसे बढ़ी? एक साल में प्रधानमंत्री के ‘फेवरेट मित्र’ की सम्पत्ति 46 प्रतिशत कैसे बढ़ी? मीडिया जनता का ध्यान भटकाती रही, प्रधानमंत्री के ‘मित्र’ जेब काटते रहे. गरीबों की कमाई ‘मित्रों’ ने चुराई.’
महामारी के दौरान, PM के ‘फेवरेट मित्र’ की सम्पत्ति 8 गुना कैसे बढ़ी?
एक साल में, PM के ‘फेवरेट मित्र’ की सम्पत्ति 46% कैसे बढ़ी?
मीडिया जनता का ध्यान भटकाती रही, प्रधानमंत्री के ‘मित्र’ जेब काटते रहे।
गरीबों की कमाई, 'मित्रों' ने चुराई।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 22, 2023
वल्लभ ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले शासन के तहत K-आकार की रिकवरी देखी है और सवाल किया कि पिछले नौ वर्षों में प्रति भारतीय ऋण में 2.53 गुना वृद्धि क्यों देखी गई.
वल्लभ ने कहा, ‘1947 से 31 मार्च 2014 तक भारत सरकार का कुल कर्ज बढ़कर 55.87 लाख करोड़ रुपये रहा. पिछले नौ वर्षों में यह 2.77 गुना बढ़कर 155.31 लाख करोड़ रुपये क्यों हो गया?’
🔹आजादी से लेकर 2014 तक देश पर 55 लाख करोड़ रु. का कर्ज था।
🔹2014 से 2023 के बीच यह कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ रु. हो गया।
🔹आज हर नागरिक पर 1 लाख 9 हजार रु. का कर्ज है।
देश में 'K शेप्ड' रिकवरी मॉडल है, जिसमें चुनिंदा लोग ऊपर बढ़े व बाकी सब नीचे चले गए।
: @GouravVallabh जी pic.twitter.com/z5ocHT0U26
— Congress (@INCIndia) January 22, 2023
उन्होंने कहा, ‘क्यों उधार लिया गया पैसा K-आकार के प्रतिलाभ (रिकवरी) में मदद कर रहा है, जबकि 50 प्रतिशत आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का तीन प्रतिशत हिस्सा है और वह जीएसटी के 64 प्रतिशत का भुगतान कर रही है?’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी नीत सरकार हमारी आने वाली पीढ़ियों को कर्ज में डूबा रही है. पिछले 9 वर्षों में प्रति भारतीय कर्ज 43,124 रुपये से बढ़कर 1,09,373 रुपये हो गया. मोदी नीत सरकार के पिछले 9 वर्षों में प्रति भारतीय ऋण 2014 की तुलना में 2.53 गुना अधिक हो गया है.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पिछले 9 साल में प्रति भारतीय कर्ज में 66,249 रुपये की बढ़ोतरी हुई है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, 2022 में जीडीपी के लिए भारत का कर्ज 83 प्रतिशत था, जो अन्य उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से काफी ऊपर है, जिनका औसत कर्ज 64.5 प्रतिशत है.
उन्होंने भारत सरकार के बकाया आंतरिक और बाहरी ऋण और अन्य देनदारियों के आंकड़ों का हवाला दिया.
वल्लभ ने कहा कि ‘ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे धनी पांच प्रतिशत लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत से अधिक संपत्ति है, जबकि नीचे की आधी आबादी (50 प्रतिशत) के पास केवल तीन प्रतिशत संपत्ति है.
उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ, माल और सेवा कर (जीएसटी) में एकत्र किए गए 14.83 लाख करोड़ रुपये, 64 प्रतिशत नीचे की 50 प्रतिशत आबादी से आया, जबकि केवल तीन प्रतिशत राशि शीर्ष 10 प्रतिशत से आई.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री तक पहुंच को रोकने के सरकार के कदम से संबंधित सवाल पर वल्लभ ने कहा, ‘मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया के समान भारत सरकार की एक योजना है जिसे ‘ब्लॉक इन इंडिया’ कहा जाता है. सरकार नहीं चाहती कि कठिन सवाल पूछे जाएं. अगर बीबीसी का मुख्यालय दिल्ली में होता, तो ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) अब तक उसके दरवाजे पर होता.’
सोमवार को एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘2014 में कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था व पिछले 9 वर्षों में 100 लाख करोड़ बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया. वादा किया था 15 लाख रुपये देने का और दिया 100 लाख करोड़ रुपये का ऋण. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, 2022 के लिए हमारा ऋण-जीडीपी अनुपात 83 प्रतिशत था, जबकी उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का औसत 64.5 प्रतिशत है.’
-2014 में कुल कर्ज़ ₹55 लाख करोड़ था व पिछले 9 वर्षों में ₹100 लाख करोड़ बढ़कर ₹155 लाख करोड़ हो गया
-वादा किया था ₹15 लाख देने का और दिया ₹100 लाख करोड़ का ऋण
-IMF के अनुसार, 2022 के लिए हमारा DEBT-GDP ratio 83% था जबकी Emerging Market & Developing Economies का औसत 64.5% है pic.twitter.com/D8uDHstrwj— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) January 23, 2023
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)