केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि दुर्घटना करने वाले वाहन का बीमा नहीं होने की स्थिति में भी सड़क हादसों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिए अब एक योजना है. केंद्र ने अदालत से इस बदलाव को पूरे देश में लागू करने के लिए छह महीने का समय देने का आग्रह किया. अदालत ने क़ानूनी प्रावधानों को छह महीने में लागू करने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह बिना बीमा वाले किसी वाहन से हुई सड़क दुर्घटनाओं और ‘हिट एंड रन’ (टक्कर मारकर वाहन के साथ दुर्घटनास्थल से फरार हो जाना) मामलों के पीड़ितों को मुआवजा देने संबंधी कानूनी प्रावधानों को छह महीने में लागू करना सुनिश्चित करे.
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि बिना बीमा वाले वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं के मामलों में मुआवजा देने के लिए मोटर वाहन संबंधी कानून में संशोधन किया गया है, लेकिन इसे लेकर अभी तक दिशानिर्देश तैयार नहीं किए गए हैं.
इसने कहा कि दुर्घटना करने वाले वाहन का बीमा नहीं होने की स्थिति में भी सड़क हादसों के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए अब एक योजना है. केंद्र ने अदालत से इस बदलाव को पूरे देश में लागू करने के लिए छह महीने का समय देने का आग्रह किया.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘दुर्घटना करने वाले वाहन का बीमा नहीं होने और ‘हिट एंड रन’ मामलों में भी सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान है. परिणामस्वरूप भारत संघ को कानूनी किताब में दर्ज प्रावधान लागू करने के लिए छह महीने का समय दिया जाता है.’
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत का आदेश एक मृतक दुर्घटना पीड़ित के कानूनी उत्तराधिकारियों की याचिका पर पारित किया गया था, जिन्होंने मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों और इसके नियम को लागू न करने के कारण हुए नुकसान के लिए खुद के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाओं के अन्य पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की थी.
अगस्त 2011 में बिना बीमा वाले ट्रैक्टर की वजह से हुई सड़क दुर्घटना में पीड़ित की मृत्यु हो गई थी और याचिका में बिना बीमा वाले वाहनों और हिट एंड रन मामलों में भी दुर्घटनाओं के संबंध में गंभीर चिंता जताई गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने मोटर वाहन अधिनियम के कार्यान्वयन के साथ-साथ अधिकारियों को बिना लाइसेंस वाले वाहनों या बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने वाले व्यक्ति द्वारा हुई दुर्घटनाओं का डेटा देने और इस तरह के खतरे को खत्म करने और ऐसे अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने की मांग की गई थी.
केंद्र ने कहा कि बिना बीमा वाले वाहनों के संबंध में संशोधन 1 अप्रैल, 2022 से लागू हो गया है और मोटर वाहन (32वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा 145-165 को लागू करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)