सरकार द्वारा प्रयोग किए जा रहे नए आईटी नियमों पर संसद की विधान समितियों ने चर्चा नहीं की

सरकार ने नए आईटी नियमों को फरवरी 2021 में अधिसूचित किया था. आम तौर पर ऐसे नियमों को चर्चा व बहस के लिए 15 दिनों के भीतर संसद में पेश किया जाना चाहिए. एक आरटीआई अर्ज़ी के जवाब में सामने आया है कि सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इन नियमों पर लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों ने चर्चा नहीं की थी.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

सरकार ने नए आईटी नियमों को फरवरी 2021 में अधिसूचित किया था. आम तौर पर ऐसे नियमों को चर्चा व बहस के लिए 15 दिनों के भीतर संसद में पेश किया जाना चाहिए. एक आरटीआई अर्ज़ी के जवाब में सामने आया है कि सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इन नियमों पर लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों ने चर्चा नहीं की थी.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: सरकार पिछले दो वर्षों में आईटी अधिनियम, 2000 के तहत तैयार किए गए नए नियमों का सक्रिय रूप से उपयोग कर रही है, हालांकि, इन नियमों पर संसद में चर्चा नहीं की गई है.

डेक्कन हेराल्ड ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब का हवाला देते हुए बताया कि लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों ने नियमों को लेकर चर्चा नहीं की है.

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को 25 फरवरी, 2021 को सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल समाचार संगठनों के नियमों को शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया था. आम तौर पर इस तरह के नियमों को चर्चा और बहस के लिए 15 दिनों के भीतर संसद में पेश किया जाना चाहिए.

हालांकि, आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा दायर एक आरटीआई अनुरोध के जवाब में लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि उसके बुलेटिन में अब तक सदन में पेश किए गए नियमों का कोई उल्लेख नहीं है.

अख़बार के अनुसार, यह कहा गया, ‘ऐसा लगता है कि संबंधित मंत्रालय यानी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के 15 दिनों की अवधि के भीतर सदन के पटल पर रखने के लिए उक्त अधिसूचना को अग्रेषित नहीं किया है. (पैरा 6.15 सरकार और संसद-संसदीय कार्य के संबंध में मंत्रालयों द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया).’

वहीं, राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि ऐसी सभी सूचनाएं उसकी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. इसके बुलेटिन में देखा जा सकता है कि नियम 25 मार्च, 2021 को राज्यसभा में पेश किए गए थे.

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की कथित संलिप्तता पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक के साथ पोस्ट को हटाने के लिए यूट्यूब और ट्विटर को निर्देश देने के लिए इन नियमों का इस्तेमाल किया है.

नायक ने कहा कि सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को हटाने के कारणों के बारे में बताने वाले ब्लॉकिंग ऑर्डर को साझा नहीं किया गया है. आईटी नियमों के तहत सरकार को ये कारण लिखित में देने होते हैं.

उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले आरटीआई का उपयोग करते हुए अन्य मामलों में ब्लॉकिंग ऑर्डर देखने का अनुरोध किया था, लेकिन सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जवाब देने से इनकार करने के लिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1)(ए) के तहत मिलने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा छूट की बात कही.

नायक ने कहा, ‘बीबीसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म के खिलाफ नवीनतम कार्रवाई सहित सोशल और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्री को ब्लॉक करने के दौरान और बाद में अपने कामों के बारे में अधिक पारदर्शी होने को लेकर केंद्र सरकार की अनिच्छा केवल इसके इरादों के बारे में संदेह पैदा करती है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘अगर सरकार का मानना है कि इस तरह की सामग्री को ब्लॉक करने के लिए 2021 के नियमों के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करने के लिए उसके पास अचूक उपाय है, तो उसे ऐसे आदेशों और सभी सामग्रियों को सार्वजनिक करना चाहिए.’

pkv games bandarqq dominoqq