कुछ साल पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए लॉन्च पैड बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि इस स्थिति के कारण, वे अपने बच्चों के स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे, परिवार के बीमार सदस्यों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. साथ ही कुछ ने फल या चाय बेचना शुरू कर दिया है, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं.
रांची: कुछ साल पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए लॉन्च पैड बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के लगभग 1,300 कर्मचारियों को एक साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है. कर्मचारियों ने इस मुद्दे का जल्द समाधान नहीं होने पर अदालत का रुख करने की चेतावनी दी है.
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि इस स्थिति के कारण वे अपने बच्चों के स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे या परिवार के बीमार सदस्यों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. साथ ही इनमें से कुछ ने फल या चाय बेचना शुरू कर दिया है, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं.
रांची स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए एक संयुक्त मंच ‘एचईसी अधिकारी एवं कर्मचारी जनकल्याण संघ’ का गठन किया है.
इसके अध्यक्ष प्रेम शंकर पासवान ने बताया कि उन्होंने 23 जनवरी को ईमेल के जरिये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और अन्य का ध्यान अपनी दिक्कतों की ओर आकर्षित किया है.
पासवान ने कहा, ‘अगर जल्द ही हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो हमें फरवरी में अदालत का रुख करना होगा.’
उप-महाप्रबंधक रैंक के अधिकारी सुभाष चंद्र ने कहा कि अधिकारियों का कुल 15 महीने का वेतन लंबित है, जबकि कर्मचारियों का 12 महीने का वेतन लंबित है.
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक दिल्ली में बैठते हैं और एचईसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं. अधिकारी ने इस खबर के जारी होने तक समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ के फोन कॉल, संदेश और ईमेल का जवाब नहीं दिया.
1958 में शुरू हुई यह सरकार संचालित कंपनी, इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए भारत में उपकरणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक हुआ करती थी.
वेतन नहीं मिलने के विरोध में कर्मचारी नवंबर 2022 से धरना दे रहे हैं.
एचईसी में उप-प्रबंधक शशि कुमार ने कहा, ‘मेरी मां का इलाज के बिना निधन हो गया. मेरे वरिष्ठ सहयोगी की पत्नी की मृत्यु हो गई और उनके पास उसका शव ले जाने के लिए वाहन किराये पर लेने तक के पैसे नहीं थे, इसलिए वह उन्हें एक कार की डिक्की में ले गए. दुकानदार हमें उधार पर सामान नहीं देते. हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं.’
पुनरुद्धार के कई प्रयासों और झारखंड हाईकोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को समस्याओं पर गौर करने के निर्देश देने के बावजूद एचईसी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ.
कर्मचारी रामजनम शर्मा ने कहा कि वह फल बेचकर गुजारा करते हैं, जबकि आईआईटी उत्तीर्ण सहित कई अन्य को जीवनयापन के लिए चाय, पकौड़े या फूल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
एचईसी में प्रबंधक 37 वर्षीय पूर्णेंदु दत्त मिश्रा ने कहा, ‘भारत इसरो के लॉन्चिंग पैड बहुत अधिक दरों पर आयात करता था. 2005-06 में हमें एक ऑर्डर मिला. देश के एक संगठन ने बहुत कम कीमत पर स्वदेश निर्मित लॉन्चिंग पैड प्रदान किया.’
गत 18 दिसंबर, 2014 को जीएसएलवी मार्क-3 के प्रक्षेपण के बाद एचईसी ने एक बयान में कहा था, ‘श्रीहरिकोटा में इसरो की दूसरी लॉन्च पैड परियोजना में योगदान देना एचईसी के लिए बहुत गर्व की बात है. दूसरे लॉन्च पैड से हर लॉन्च के साथ इसरो एचईसी को गौरवान्वित करता है.’
मिश्रा ने आरोप लगाया कि एचईसी की दुर्दशा के पीछे कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और खराब नीतियां हैं.
उन्होंने कहा, ‘निजी संगठनों के विपरीत हम लाभ के लिए काम नहीं करते, बल्कि देश के लिए काम करते हैं. हमने बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा बचाई है.’
एचईसी से 16 जनवरी को निदेशक (विपणन) के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. राणा एस. चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि कंपनी फिर से पटरी पर आएगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘एचईसी ने भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हम कुछ विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमारे पास 1,300 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर है. उम्मीद है, यह फिर से पटरी पर आएगी.’
एचईसी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को वित्त वर्ष 21-22 में 188 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिले.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, लंबित उन्नयन/आधुनिकीकरण, साथ ही कार्यशील पूंजी के गंभीर तनाव और कोविड-19 के प्रभाव ने कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और यह पिछले साल के दौरान 202.76 करोड़ रुपये के मुकाबले 184.69 करोड़ रुपये का कारोबार ही कर सकी.’
एचईसी ने 2021-22 में 256.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया.
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पुरानी मशीनरी के बार-बार टूटने से ऑर्डर के निष्पादन पर असर पड़ा है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से नकदी प्रवाह चक्र भी प्रभावित हुआ है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)