अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी के आरोपों के बाद समूह ने क़ानूनी विकल्पों पर विचार की बात कही है. इस पर हिंडनबर्ग ने कहा है कि अगर वे गंभीर हैं तो उन्हें अमेरिका में भी मुक़दमा दायर करना चाहिए.
नई दिल्ली: अडानी समूह ने गुरुवार को कहा कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है. वहीं, अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह पर ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. कंपनी के इस आरोप के बाद विविध कारोबार से जुड़े समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई.
रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद अडानी समूह ने संक्षिप्त बयान जारी करते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. उसके कुछ ही घंटे बाद ही हिंडनबर्ग ने ट्विटर पर लिखा कि अडानी समूह ने रिपोर्ट में उठाए गए 88 सीधे सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं दिया है.
कंपनी ने कहा, ‘अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में हमने सीधे तौर पर 88 सवाल पूछे हैं. हमें भरोसा है कि ये कंपनी को पारदर्शी होने का मौका देंगे. लेकिन, अब तक अडानी समूह ने इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है.’
कंपनी ने यह भी कहा कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.
Our response to Adani: pic.twitter.com/6NcFKR8gEL
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 26, 2023
हिंडनबर्ग ने बयान में कहा, ‘हमें अपनी रिपोर्ट जारी किए 36 घंटे हो गए हैं, लेकिन अडानी समूह ने एक भी मामले का जवाब नहीं दिया, जिसे हमने उठाया है.’
हिंडनबर्ग ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. उसे पूरा विश्वास है कि अगर कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है, उसमें कोई दम नहीं होगा.
अडानी समूह के विधि मामलों के प्रमुख जतिन जलुंधवाला ने कहा, ‘हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के समूह के खिलाफ 24 जनवरी 2023 को रिपोर्ट प्रकाशित की. इससे अडानी समूह, हमारे शेयरधारकों और निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. भारतीय शेयर बाजार में रिपोर्ट के जरिये जो उतार-चढ़ाव आया, वह काफी चिंता की बात है.’
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट और उसकी निराधार बातें कुछ और नहीं बल्कि अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार की गई थी.
जलुंधवाला ने कहा, ‘एक विदेशी इकाई ने जानबूझकर और बिना सोचे-विचारे निवेशक समुदाय और आम लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है. उसने अडानी समूह, उसके नेतृत्व की साख को बट्टा लगाने के साथ हमारी प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ (पब्लिक ऑफरिंग) की बिक्री को नुकसान पहुंचाने का काम किया है. हम उसकी इन हरकतों से काफी परेशान हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अमेरिकी और भारतीय कानून के तहत निपटने और दंडात्मक कार्रवाई पर गौर कर रहे हैं.’
इससे पहले, बुधवार को अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी ने कहा कि उसके दो साल के शोध के बाद यह पता चला कि अडानी समूह दशकों से ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने कहा कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.
साथ ही, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.
यह रिपोर्ट अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ के आवेदन के लिए खुलने से ठीक पहले आई है. इस रिपोर्ट के बाद समूह की सभी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई.
रिपोर्ट आने के बाद बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने बयान में कहा था, ‘रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गई है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है. जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं.’
समूह ने रिपोर्ट के समय को लेकर भी सवाल उठाया है. उसने कहा कि एफपीओ से ठीक पहले जारी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे से इसे लाया गया है जिसका मकसद अडानी समूह के साख को बट्टा लगाना है.
अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच करें रिजर्व बैंक और सेबी: कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सेबी को करनी चाहिए क्योंकि भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा इन संस्थानों की जिम्मेदारी है.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस कारोबारी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नजदीकी रिश्ते हैं और इस समूह को इसका फायदा हुआ है.
Hindenburg has put out a damning report on the Adani group which has reacted predictably. Here is my statement on this serious matter that requires a thorough investigation in the public interest. pic.twitter.com/gfmgmKPx4e
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 27, 2023
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘आमतौर पर राजनीतिक दलों को किसी कंपनी या कारोबारी समूह के बारे में आई किसी अध्ययन रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, लेकिन अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च के फॉरेंसिक अध्ययन पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया जरूरी है क्योंकि अडानी समूह कोई सामान्य समूह नहीं है, बल्कि इसकी पहचान नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके नजदीकी होने की है.’
रमेश ने कहा कि जो आरोप लगे हैं उनकी जांच व्यापक जनहित में रिजर्व बैंक और सेबी जैसी संस्थाओं द्वारा की जानी चाहिए, जिन पर भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा की जिम्मेदारी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)